सौरभ: सद्‌गुरु, अगर मैं यह जान लूं कि जीवन अच्छी तरह से कैसे जीया जा सकता है, तो फिर से जन्म लेकर जीने में दिक्कत क्या है? फिलहाल मैं बहुत सारी चीजों में उलझा हुआ हूं, इसलिए मुझे समस्या होती है। आखिर मुझे मृत्यु से मुक्ति की चाह क्यों होनी चाहिए, मुझे अच्छी तरह से जीने की चाह क्यों नहीं रखनी चाहिए?

सद्‌गुरु: अगर आप अपने जीवन का मैकेनिक्स जानते और आप अच्छी तरह से रह सकते, तो आप इसे अगले जन्म तक क्यों टालना चाहेंगे? आप अभी अच्छी तरह से रह सकते हैं। यानी जो लोग अच्छी तरह से नहीं रह रहे, वे निश्चित रूप से वापस नहीं आना चाहेंगे, लेकिन उनके पास कोई और चारा भी नहीं है। मैं तो उनकी बात कर रहा हूं, जो लोग बहुत अच्छी तरह से यहां रह रहे हैं, वे लोग यहां वापस नहीं आना चाहते, पर इसलिए नहीं कि उनका जीवन बहुत मुश्किल हो गया है। सबसे पहले तो हमें यह समझना होगा कि वास्तव में ‘अच्छी तरह से जीना’ होता क्या है। आप अगर कोई भी काम करना चाहते हैं, तो सबसे पहले तो आपको उसके बारे में जानना होगा।

जीवन के बारे में जानने के बाद यादों का बुलबुला फट जाता है

अगर आप इस जीवन के बारे में, इसकी प्रकृति के बारे में जानते हैं, अगर आप अपने जीवन के सभी आयामों से बखूबी परिचित हैं, तो आप यादों के उस बुलबुले के बारे में भी जानते होंगे, जिसमें फिलहाल आप अभी रह रहे हैं। आप उससे बाहर भी निकलना चाहेंगे। मान लीजिए कि पिछली यादें वापस आपके पास आईं, किसी ने आपको इसके बारे में बताया नहीं, आपने वास्तव में महसूस किया, तो आप देखेंगे कि आप इसे हजारों बार कर चुके हैं, लेकिन फिर भी आप उसी एक जैसी प्रक्रिया से बार-बार गुजर रहे हैं। मैं चाहता हूं कि आप अपने जीवन की प्रक्रिया पर नजर डालें... आप पैदा हुए, आपने चलना सीखा, यह आपके लिए सबसे रोमांचक चीज थी, आपने कोई चीज खाई, जो बेहद शानदार थी, इस तरह आप बड़े होते गए, फिर आपकी शादी हुई, आपने यह किया, वह किया, पैसा कमाया, बच्चे पैदा किए और फिर आप मर गए। मैं आपके जीवन की कहानी को थोड़ा छोटा करके पेश कर रहा हूं। उसके बाद आप फिर से पैदा हुए, पहली बार खड़े होने पर आप फिर से रोमांचित हुए, इतना ही नहीं, आप अपनी साइकिल चलाने पर भी खूब खुश हुए, आप फिर से अपनी गर्लफ्रेंड से मिले, आप बहुत खुश थे, और फिर से आपकी शादी हो गई और ऐसे ही यह सिलसिला चलता गया, चलता गया। बार बार जीवन क्रम ऐसे ही दोहराता रहा।

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एक बार अगर उसे अहसास हो जाता है कि वह बार-बार उन्हीं चीजों को दोहरा रहा है तो वह परेशान होगा, उसे तकलीक होगी। वह अगले आयाम में जाना चाहेगा।

तो अच्छी तरह से रहने का मतलब है कि आपने जीवन के सभी पहलुओं को अच्छी तरह से समझ लिया। अगर आपने जीवन को जानने के लिए यहां मौजूद सभी चीजों को अच्छी तरह से समझ लिया तो अब तक तो आपकी यादों का वो बुलबुला फूट जाना चाहिए, जिसको आप सहेजकर रख रहे थे। अगर ये सारे बुलबुले आपके भीतर फूट पड़ें तो निश्चित रूप से आप दूसरे आयाम की ओर बढ़ना चाहेंगे। आज हर इंसान अपनी तरक्की चाहता है, भले ही वह कुछ भी कर रहा हो। आप स्कूल पढ़ने गए, क्या आपको स्कूली जीवन में मजा आया? बेशक आया। तो अगर स्कूल का जीवन इतना अच्छा था, तो क्या हम आपको हमेशा के लिए स्कूल में रख सकते हैं? या फिर आप कॉलेज जाना चाहेंगे? क्यों? क्योंकि यह मानव की प्रकृति नहीं होती। एक बार अगर उसे अहसास हो जाता है कि वह बार-बार उन्हीं चीजों को दोहरा रहा है तो वह परेशान होगा, उसे तकलीक होगी। वह अगले आयाम में जाना चाहेगा।

हर इंसान आगे बढ़ना चाहता है

अब अगर आप अगले आयाम में जाते हैं, तो जीवन पहले जैसा नहीं होगा। तो यह मेरी राय नहीं है, यह हर इंसान की चाहत है, भले ही वह कहीं भी हो, वह किसी भी काम में हो, भले ही वह कितना ही अच्छा क्यों न हो, वह हमेशा अगली चीज चाहता है। इसकी वजह यह नहीं है कि हम इससे या उससे परेशान हो रहे हैं, बल्कि हम लगातार आगे बढ़ना चाहते हैं। बात सिर्फ इतनी है कि यह मानव अस्तित्व की प्रकृति है कि वह अगले या कहें कि परम आयाम तक पहुंचना चाहता है। यह लौकिक आयाम तो इसके और उसके बारे में हो सकता है। लेकिन अगला आयाम खुद अपने और अपनी परम प्रकृति के बारे में होता है।

बात सिर्फ इतनी है कि यह मानव अस्तित्व की प्रकृति है कि वह अगले या कहें कि परम आयाम तक पहुंचना चाहता है।

हालांकि अभी आप जिस मानसिक अवस्था में हैं, उसमें परम प्रकृति की बात करना हो सकता है कि आपको उतना रुचिकर न लगे। उसकी वजह यह नहीं है कि यह कैसा है, बल्कि उसकी वजह है कि इसे आप अपनी मौजूदा परिस्थितियों से देख रहे हैं, आप इसे दूसरे संदर्भ से देख भी नहीं सकते, क्योंकि जिस आयाम में आप फिलहाल मौजूद होते हैं आप केवल उसी आयाम से सोच, विचार, समझ या महसूस कर सकते हैं। आप अगले आयाम का आनंद नहीं ले सकते, आप जितनी अधिक अगले आयाम को छूने की कोशिश करेंगे, उतना ही आप उस तक नहीं पहुंच पाएंगे, लेकिन आपकी चाहत जितनी मजबूत होती जाएगी, आप इस आयाम को तोड़कर आगे जाना चाहेंगे। यह ऐसे ही होता है।