क्या मृत्यु में मदद करने के लिए प्रशिक्षण पाना संभव है?
सद्गुरु से एक साधक ने प्रश्न पूछा कि अगर वे मृत्यु के समय मदद के लिए लोगों को प्रशिक्षित कर सकें तो इससे लोगों को बहुत लाभ मिलेगा – क्योंकि आज की पीढ़ी में ये ज्ञान लुप्त हो चुका है। सद्गुरु बता रहे हैं कि मृत्यु की परिस्थिति को संभालने के लिए किन सावधानियों के जरूरत है।
सद्गुरु से एक साधक ने प्रश्न पूछा कि अगर वे मृत्यु के समय मदद के लिए लोगों को प्रशिक्षित कर सकें तो इससे लोगों को बहुत लाभ मिलेगा – क्योंकि आज की पीढ़ी में ये ज्ञान लुप्त हो चुका है। सद्गुरु बता रहे हैं कि मृत्यु की परिस्थिति को संभालने के लिए किन सावधानियों के जरूरत है।
प्रश्न : सद्गुरु, मौत के वक्त लोगों की मदद करने के लिए अगर आप हमें प्रशिक्षित कर सकें तो यह मानवता की बड़ी सेवा होगी। मैं अपने माता-पिता वाली पीढ़ी के बारे में तो कह सकता हूं कि उनमें से ज्यादातर लोगों के पास विकृत जानकारी ही है। हम लोगों को प्रोफेशनल सलाह दे सकते हैं।
सद्गुरु : इस तरह की और भी कई चीजें हैं जिनके बारे में बात की जा सकती है। सिर्फ जन्म और मृत्यु ही क्यों? सबसे बढक़र जीवन है, इस जीवन को बेहतर बनाने के लिए भी बात की जानी चाहिए।
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स्थिति 1 - ये न्यूक्लियर रिएक्टर में जाने जैसा है
मुझे डर इस बात का है कि कहीं हम प्रोफेशनल देवता बनाने न शुरू कर दें। क्या आप जानते हैं प्रोफेशनल देवताओं के बारे में? इन दिनों देवता भी व्यवसायिक हो गए हैं। लोग दूसरों को ठीक करना चाहते हैं, लेकिन फीस लेकर।
स्थिति 2 - सर्जरी शुरू करने से पहले सफाई जरुरी है
भारत में शल्य चिकित्सा यानी सर्जरी बहुत पहले से होती रही है। सुश्रुत ने पांच हजार साल पहले सर्जरी की थी। कोई बेहोशी की दवा या इंजेक्शन नहीं, कोई ऑपरेशन थिएटर नहीं, एक पेड़ के नीचे ही उन्होंने सर्जरी की और वह भी पूरी तरह कामयाब।
दोनों स्थितियों से बचने के लिए भक्ति जरुरी है
तो ये दो स्थितियां हैं - एक में आप खुद दांव पर लग जाते हैं और दूसरे में आप किसी और को दांव पर लगा देते हैं। अच्छे ऑपरेशन थिएटर की तरह आपके जीवन में भी साफ-सफाई बनी रहे, इसके लिए जरूरी है कि आप जो भी करें, उसमें एक खास किस्म की पवित्रता हो।
भक्ति का मतलब यही है कि आपने अपने दिमाग से यह बात हटा दी है कि मेरा क्या होगा। ‘मेरा क्या होगा’ का क्या मतलब है? इसका मतलब है कि आपको भूखे रहना पड़ सकता है- ज्यादा से ज्यादा आप मर जाएंगे। तो अगर मैं यह सुनिश्चित कर दूं कि आपको दो वक्त का भोजन मिलता रहे, पहनने के लिए आपके पास कपड़े हों और रात गुजारने के लिए छत आपके पास हो, तो क्या आप पैसे के बारे में सोचना बंद कर सकते हैं? तभी हम आपको दूसरों के जन्म, मृत्यु या ऐसी ही दूसरी चीजों को संभालने की इजाजत दे सकते हैं, नहीं तो आपको इस विषय को छूना भी नहीं चाहिए। अगर आप प्रोफेशनल देवता हैं तो आपको इन विषयों को छूना भी नहीं चाहिए, क्योंकि यह ठीक नहीं होगा।