अतीत, वर्तमान और भविष्य से मुक्ति
कैसी होती है मुक्ति की स्थिति? क्या इसमें कोई अनुभव होता है? आइये जानते हैं कि कैसे हर अनुभव अध्यात्म की राह में रूकावट है, क्योंकि वह बस थोड़ी देर के लिए होता है।
सद्गुरु बता रहे हैं कि जैसे-जैसे हम आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ते हैं, कई नई दिलचस्प चीजें हमारे सामने आ सकती हैं, मगर हमारे पास वह विवेक होना चाहिए कि हम अपना ध्यान भटकाए बिना उस रास्ते पर जमे रहें।
जिसे आप अपना शरीर और अपना मन कहते हैं, वह याददाश्त का एक ढेर है। याददाश्त, या आप उसे सूचना कह सकते हैं, के कारण ही इस शरीर ने यह रूप लिया है। अगर उसमें अलग तरह की सूचना होती, तो उसी भोजन के खाने से वह किसी कुत्ते या गाय या बकरी या किसी और रूप को धारण करता। दूसरे शब्दों में कहें तो आपका शरीर याददाश्त की एक गठरी है। उसी याददाश्त के कारण हर चीज अपनी भूमिका उसी तरह निभाता है, वह उसे याद रखता है।
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इन दो चीजों से परे होने का मतलब मुख्य रूप से याददाश्त से परे होना है क्योंकि याददाश्त का मतलब है अतीत। आप अतीत के साथ जितना चाहे खेल सकते हैं, मगर कुछ नया नहीं होगा। आपके पास जो पहले से है, उसमें आप अदला-बदली कर सकते हैं, उनका मिश्रण कर सकते हैं, पुराने को झाड़ा-पोंछा जा सकता है, मगर कोई नई चीज नहीं होगी। जब हम आपके और आपके शरीर के बीच, आपके और आपके मन के बीच दूरी बनाने की बात करते हैं, तो हम एक ऐसी संभावना की बात करते हैं, जहां आप अतीत के दास नहीं होते, जहां कोई नई चीज हो सकती है। वह नई चीज क्या है? इसे इस तरह देखिए: आपके ख्याल से आपने अपनी स्मृति में इस सृष्टि का कितना अंश संचित कर लिया है? एक थोड़ी सी नगण्य मात्रा, है न? इसलिए कुछ कह नहीं सकते कि कौन सी नई चीजें हो सकती हैं। बहुत सारी चीजें हो सकती हैं। यह इस पर निर्भर करता है कि हम किस दिशा से उसकी ओर बढ़ते हैं।
अनुभवों में खो न जाएं
अगर हम कुछ खास आयामों में जाते हैं, तो कुछ खास चीजें होती हैं। इसीलिए एक गुरु लगातार कोशिश करता है कि लोग किसी नई चीज में खो न जाएं। मैं बहुत रूपों में लोगों के अंदर यह डालने की कोशिश करता रहता हूं कि वे अनुभव प्राप्त करने की कोशिश न करें क्योंकि जैसे ही आप अनुभव प्राप्त करने की कोशिश करते हैं, आपके साथ चीजें घटित हो सकती हैं। वे नई हो सकती हैं, वे बहुत दिलचस्प और लुभावनी हो सकती हैं, मगर आप हमेशा के लिए भटक सकते हैं।
थोड़ी देर के लिए अनुभव रोमांचित करते हैं
मसलन, अगर आप अपने बगीचे में चारो ओर देखें, घास की पत्ती पर बैठे एक नन्हे से कीड़े को देखें। जब आप बच्चे थे और आपने उस पर ध्यान दिया होगा तो वह दुनिया की सबसे शानदार चीज लगी होगी। मगर अब आप उस कीड़े पर एक मिनट भी खर्च नहीं करना चाहते।
इंसानी मन की जिज्ञासा कुदरती तौर पर कुछ चीजों के साथ खिलवाड़ करना चाहती है, मगर आध्यात्मिक प्रक्रिया का मतलब है कि आपके पास उससे मुंह फेरने और अपने रास्ते पर बने रहने का विवेक हो। आप किसी अनुभव की इच्छा न करें, किसी रोमांच की इच्छा न करें, नए लोकों की इच्छा न करें क्योंकि नए लोक फंदे होते हैं। इस लोक में क्या बुरा है कि आप एक नए लोक की इच्छा करेंगे?
मुक्ति - किसी नए लोक की तलाश नहीं है
मुक्ति का मतलब कोई नई दुनिया पाना या स्वर्ग जाना नहीं है। स्वर्ग बस एक नया लोक है, जहां माना जाता है कि हर चीज यहां से बेहतर होगी। अगर वह यहां से थोड़ा-बहुत या ज्यादा बेहतर भी हो, कुछ समय के बाद आप उस बेहतर से ऊब जाएंगे। सुदूर जगहों में रहने वाले बहुत से लोगों को लगता है कि अमेरिका एक शानदार जगह है। मगर अमेरिका के लोग वहां से ऊबे हुए हैं। वरना इतना बड़ा मनोरंजन उद्योग क्यों होता?
अगर आपकी बुद्धि बहुत सक्रिय है, तो जो भी नया है, वह 24 घंटों में पुराना हो जाएगा। अगर आप थोड़े मंद हैं, तो इसमें 24 साल लग सकते हैं, मगर वह पुराना जरूर होगा। नया एक फंदा है, पुराना एक कूड़े का गड्ढा है। अगर आप गड्ढ़े से कूद कर नए फंदे में फंस जाते हैं, तो इससे आपको कोई लाभ नहीं होगा। आध्यात्मिकता का मतलब है कि आप किसी नई चीज की तलाश में नहीं हैं, आप हर पुरानी और नई चीज से मुक्ति की तलाश में हैं।