नेपाल: क्या थ्ाा क्या हो गया
आज के स्पॉट में सद्गुरु हमें नेपाल की विशेषताओं के बारे में बता रहे हैं। वे बता रहे हैं कि नेपाल के राजाओं ने इस देश में मंदिरों को इस तरह से उर्जा से प्रतिष्ठित करवाया, कि पूरा देश एक आध्यात्मिक इकाई की तरह काम कर सके...
आज के स्पॉट में सद्गुरु हमें नेपाल की विशेषताओं के बारे में बता रहे हैं। वे बता रहे हैं कि नेपाल के राजाओं ने इस देश में मंदिरों को इस तरह से उर्जा से प्रतिष्ठित करवाया, कि पूरा देश एक आध्यात्मिक इकाई की तरह काम कर सके...
दुनिया के दस सबसे उंचे पर्वत शिखरों की भूमि नेपाल की स्थापना योगियों और दिव्यदर्शियों ने एक जीवंत तांत्रिक इकाई या संरचना के तौर पर की थी। उन लोगों ने यहां इस तरह से उर्जा केंद्र स्थापित किए कि नेपाल का भूगोल एक जीवंत इकाई में बदल गया, जिससे समूचा देश एक ही जीव के रूप में काम करे। इस आयाम को पाने के लिए इस देश का मनोविज्ञान ऐसे तैयार किया गया था कि सभी आध्यात्मिक मुक्ति की ओर बढ़ सके।
पिछले बारह सालों से हर साल नेपाल दौरे करने की वजह से यह जगह मेरे दिल में एक आत्मीय स्थान रखती है।
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नेपाल के खूबसूरत व प्राचीन शहर भक्तपुर का बड़ा हिस्सा आज मलबे में बदल चुका है। भक्तपुर का मतलब है कि भक्तों का शहर या भक्ति की नगरी। यह शहर इस तरह से बनाया गया है कि यह एक पल के लिए भी आपको उस दिव्य शक्ति की मौजूदगी के अहसास को भूलने नहीं देता। आप कहीं भी देख लीजिए, आपको इसकी हर छोटी बड़ी बनावट में एक मंदिर नजर आएगा। अगर आप यहां की सड़कों पर चलें तो हर कदम पर आपको यहां की कलात्मकता और सौंदर्य बोध का दर्शन होगा। लोग पिछले 1100 सालों से इस जीवंत शहर में रह रहे हैं, आज यह शहर प्राकृतिक आपदा के प्रचंड रोष का शिकार हो गया। इस नगरी को फिर से संजोने की जरूरत है, खासकर भक्तपुर जैसी विरासतपूर्ण नगरियां अपने आप में अनमोल हैं। मुझे उम्मीद है कि अंतराष्ट्रीय एजेंसियां इस नेपाली कलात्मकता व कौशल के नमूने को फिर से संजोने के लिए जरूर आगे आएंगी।
भारत नेपाल से मूलभूत रूप से जुड़ा हुआ है। सांस्कृतिक रिश्तों के महत्व की परवाह किए बिना राजनैतिक सीमाओं के तय किए जाने से पहले तक, नेपाल हमेशा से भारतवंश का हिस्सा रहा है। यह इस दुनिया का अकेला हिंदु राष्ट्र है, जिसकी संस्कृति किसी विश्वास या मत की वजह से हिंदु नहीं है, बल्कि मुक्ति की चाह ने इसे हिंदु बनाया है। यह अकेला ऐसा देश है, जिसकी अधिकारिक तौर पर आज ऐसी पहचान है। आज भी नेपाल की तकरीबन 98 फीसदी जनता मुक्ति की अभिलाषा में मंदिर जाती है। यह चीज आज उस भारत में खत्म होती सी लग रही है, जिसकी संस्कृति का यह मूल हुआ करती थी। सदियों के हमलों और अज्ञानता के चलते अब तमाम दूसरी तरह की आकांक्षाएं हमें मंदिर की ओर ले जा रही हैं। नेपाल की खूबसूरती ही यह है कि उनके राजाओं ने जो भावनाएं और सोच उन्हें दी थीं, वे लगातार उसका पालन कर रहे हैं। उन राजाओं ने अपने संपूर्ण राज्य को एक आध्यात्मिक इकाई में बदलने का काम किया। यह सारा काम इस तरह से हुआ कि चाहें आप स्त्री हों या पुरुष, बच्चे, जानवर, पक्षी या कीड़ा- कोई भी इस आध्यात्मिक प्रक्रिया से नहीं बच पाए। यह केवल उन लोगों के लिए नहीं था, जो आंख बंद कर यहां स्थिर बैठते हैं। यह उच्चतर करुणा का ऐसा भाव था, जिससे हरेक को फायदा हुआ।
जैसा कि हम पिछले बारह सालों से करते आ रहे हैं, इस साल भी हम अगस्त में अपने आयोजन ‘सेक्रेड वाक’ कार्यक्रम के तहत यहां आएंगे। हमारे 800 साधकों का जत्था यहां कई दिन गुजारेगा। भक्तपुर, पाटन और ललितपुर उन कुछ प्रमुख स्थलों में से हैं, जो हमेशा हमारी इस यात्रा के अभिन्न हिस्से हुआ करते हैं।
प्रधानमंत्री ने जिस मुस्तैदी से नेपाली लोगों की मदद की, वह अपने आप में देखने योग्य था। अपने देश की सेना को वहां बचाव कामों में मदद करते देखना और अपनी सरकार को वहां बिजली आपूर्ति की व्यवस्था को फिर से बहाल कराते देखना दिल को छू लेने वाला अहसास था। मैं सभी से इसे एक त्रासदी की मान्यता देने और करुणा के साथ इसका उत्तर देने की इच्छा रखता हूं। नेपाल और वहां के लोगों के लिए मेरी आत्मिक संवेदनाएं और आशीर्वाद। पीढ़ियों से नेपाल के लोग अपने साहस, हर हालात के मुताबिक ढलने, और लचीलेपन के लिए जाने जाते हैं। कामना है कि वह जल्दी ही इस त्रासदी से उबर कर फिर से पहले की तरह समृद्ध हो जाएंगे, और वैसे काम करेंगे, जैसे कि वे हमेशा से एक इकाई के तौर पर करते आएं हैं।