तंत्र-मंत्र, अध्यात्म से कैसे अलग है?
तंत्र-मंत्र, आध्यात्मिक रहस्य के छोटे भाई की तरह है, जो लाइन तोड़ कर काम को जल्दी कर डालना चाहता है। यह तो कुछ ऐसा ही है जैसे आप युनिवर्सिटी में दिन-रात पढ़ाई कर रहे हैं, किताबों के बोझ के नीचे दबे हुए हैं और उधर आपका छोटा भाई 18 वर्ष की उम्र में ही रुपए-पैसे और सारे ऐशो-आराम के बीच ...
आध्यात्मिक रहस्य के कुछ पहलू तंत्र-मन्त्र की तरह दिखते हैं, और कुछ आध्यात्मिक प्रक्रियाएं तन्त्र विद्या के तरह लगती हैं। आइए जानते हैं कि कैसे जुड़ा है तंत्र-मंत्र, आध्यात्मिक रहस्य से और क्या है उनके बीच का अंतर?
क्या अंतर है तंत्र- मंत्र और आध्यात्मिक रहस्यवाद में?
लोग अकसर आध्यात्मिक रहस्य और तंत्र-मंत्र-विद्या(ऑकल्ट) को एक ही बात समझने की गलती कर बैठते हैं। लोग सोचते हैं कि आध्यात्मिक रहस्य का मतलब कुछ जादुई करतब करना होता है। यदि आप इस धरती के सबसे महान रहस्यवादी और दिव्यदर्शी- आदियोगी, की भी बात करें, तो स्वयं उन्होंने भी एक बार भी कोई जादुई करतब नहीं किया। उन्होंने तो बस अपने थोड़े-से चहेते लोगों तक अपनी बात पहुंचाई। वे इस धरती के एक आम इंसान की तरह रहे।
Subscribe
तंत्र-मंत्र, आध्यात्मिक रहस्य के छोटे भाई की तरह है, जो लाइन तोड़ कर काम को जल्दी कर डालना चाहता है। यह तो कुछ ऐसा ही है जैसे आप युनिवर्सिटी में दिन-रात पढ़ाई कर रहे हैं, किताबों के बोझ के नीचे दबे हुए हैं और उधर आपका छोटा भाई 18 वर्ष की उम्र में ही रुपए-पैसे और सारे ऐशो-आराम के बीच अपनी जिंदगी को मजे से जी रहा है, क्योंकि वह एक लोकल गैंग में शामिल हो गया है।
तन्त्र-मन्त्र और अध्यात्म : जैसे टेक्नोलॉजी और विज्ञान
एक और उदाहरण से आपको समझाता हूं, आप कह सकते हैं कि ऑकल्ट या तंत्र-मंत्र एक तरह से टेक्नालॉजी है और आध्यात्मिक रहस्य विज्ञान है। विज्ञान का असली मकसद यह जानना है कि इस अस्तित्व का स्वरूप कैसा है। लेकिन आज ज्यादातर लोग विज्ञान को टेक्नालॉजी के रूप में ही जानते हैं। जरूरी नहीं है कि टेक्नालॉजी आपकी भलाई ही करे। यह आपको रसातल में भी गिरा सकती है, लेकिन हो सकता है आपको इसका अहसास भी नहीं हो, क्योंकि आप अपने तौर-तरीकों में इतने हाई-टेक हो चुके हैं कि आप यही समझते रह जाएंगे कि आप तो अच्छा कर रहे हैं।
आध्यात्मिक रहस्य विज्ञान जैसा है। आध्यात्मिक रहस्य वास्तव में यह जानने का एक तरीका है कि अस्तित्व क्या है, आपकी अपनी प्रकृति क्या है, और आप जिसको “मैं” और जिसको ब्रह्मांड कहते हैं, उन दोनों के बीच क्या संबंध है। आध्यात्मिक रहस्य यह जानने और महसूस करने का तरीका है कि ‘मैं’ और ब्रह्मांड जैसा कुछ नहीं है, सिर्फ मैं हूं, या फिर सिर्फ ब्रह्मांडीय गूंज है। इसको ज्ञान, सिद्धांत या दर्शन के तौर पर नहीं, बल्कि एक जीवंत वास्तविकता के रूप में जानना ही आध्यात्मिक रहस्य है।
आध्यात्मिक रहस्य से क्या मिलता है?
तो फिर सवाल यह है कि आपको आध्यात्मिक रहस्य से आखिर क्या मिलेगा? क्या आप अपनी जिंदगी चला सकते हैं? शायद नहीं। फिर इन सब बेकार की बातों का क्या मतलब है? सच कहें तो कोई मतलब नहीं। दरअसल बात यह है कि जिंदगी का ही कोई मतलब नहीं है, आपको यह समझना होगा। जिंदगी का मतलब खुद जिंदगी है। जिंदगी को जानने से ज्यादा और कुछ नहीं है। बात बस इतनी है कि आपने इसको कितनी गहराई से और कितनी गहनता से जाना है। इससे आपको कुछ नहीं मिलने वाला।
दुर्भाग्य से आज-कल की पूरी दुनिया बस यही सोचती है - “इससे मुझे क्या मिलेगा?” मैं चाहता हूं कि आप यह जान लें कि जब आप मौत को गले लगाएंगे, तब आखिरकार आपको कुछ नहीं मिलने वाला। मृत्यु एक बिलकुल साफ बयान है कि जिंदगी से कुछ नहीं मिलता। आध्यात्मिक रहस्य का मतलब आपको यही बात समझाना है कि जिंदगी से कुछ नहीं मिलने वाला, इसलिए आप बस इसका बेहतर से बेहतर इस्तेमाल कर लें। इसका बेहतर इस्तेमाल करने का मतलब यह नहीं है कि आप जितना ज्यादा खा सकते हैं, उतना खा लें या जितना ज्यादा पी सकते हैं, उतना पी लें। हमें तृप्ति जीवन के किसी काम से नहीं, बल्कि अनुभव की गहराई से मिलती है। जिंदगी के रूप में आप कितने जीवंत हैं और आपमें कितनी संभावना है, बस यही मुख्य बात है।
जब कोई इंसान उस अवस्था तक पहुंच जाता है, जहां उसे कुछ भी लेने की जरूरत नहीं रह जाती, तभी आध्यात्मिक रहस्य संभव हो पाता है। यह उन लोगों के लिए नहीं है, जो ये सोचते हैं कि इससे क्या मिलेगा या जो दुनिया को कुछ दिखाना चाहते हैं। यह तो ऐसे इंसान के लिए है, जो जिंदगी के एक ऐसे आयाम में पहुंच गया है, जहां न शरीर है, न मन, और न ही कोई बाहरी प्रभाव – है तो बस शुद्ध जिंदगी!
जिंदगी हर चीज को छूना चाहती है – चाहे वो दृश्य हो चाहे अदृश्य। इस ललक के तृप्त होने का ही नाम है आध्यात्मिक रहस्य।