हर साधक या कहें आध्यात्मिक राह पर चलने वाला इंसान यही चाहता है कि उसकी साधना तीव्र हो। लेकिन क्या यह संभव है? अगर नहीं तो क्यों और अगर हां तो कैसे?
कुछ लोग यह पूछते हैं कि अपनी साधना में तीव्रता कैसे लाएं? देखिए, ऐसा नहीं हो सकता कि आप अपनी साधना बहुत तीव्रता के साथ करें और अपना बाकी जीवन ढीले तरीके से जिएं। ऐसा करना संभव नहीं है। जब आप अपने जीवन के हरेक पहलू में तीव्रता ले आते हैं, तो आपकी साधना में भी तीव्रता आ जाती है। सिर्फ तीव्रता के साथ साधना करना और अपने बाकी जीवन को पोंछे की तरह घसीटना कभी भी संभव नहीं होगा। आपको हर चीज में तीव्रता लानी होगी। इससे एक फायदा यह भी होगा कि आपके दफ्तर व परिवार के लोगों को भी फिर कोई शिकायत नहीं होगी। वे सब उसका आनंद उठाएंगे। शिकायत इसलिए नहीं होगी क्योंकि उन सबको एक नई तीव्रता का अहसास होगा और कौन अपने जीवन में तीव्रता या जीवंतता पसंद नहीं करता? बस इतना है कि उनलोगों ने हार मान ली है, मगर ऐसा कौन है जो अपने जीवन में जीवंतता नहीं चाहता? लोगों ने बस उसे असंभव मानकर हार मान ली है। कोई तीव्रता नहीं चाहता, ऐसी बात नहीं है।
अगर आप अपने जीवन के बारे में इस तरह सोचते हैं कि आप सिर्फ अपनी साधना में तीव्रता हो, तो आपको अपने जीवन को ही साधना बना देना होगा। इसका कोई और तरीका नहीं है। सुबह-शाम साधना करना और बाकी समय जीवन में घिसटते रहना - कारगर नहीं होगा।
अगर आप अपने जीवन के बारे में इस तरह सोचते हैं कि आप सिर्फ अपनी साधना में तीव्रता हो, तो आपको अपने जीवन को ही साधना बना देना होगा। इसका कोई और तरीका नहीं है। सुबह-शाम साधना करना और बाकी समय जीवन में घिसटते रहना - कारगर नहीं होगा। आपको अपने जीवन के हर पहलू को साधना बना देना होगा। आखिरकार, साधना का मतलब क्या है? साधना का मतलब है, एक तरह का उपकरण। आप खुद को एक उच्चतर संभावना की ओर ले जाने के लिए अपने शरीर, सांस, मन या भावनाओं को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करते हैं। क्या आप ऐसा करने के लिए अपने शहर की सड़क पर चलने को एक उपकरण के तौर पर इस्तेमाल नहीं कर सकते? क्या आप संतुलन और काबिलियत के उच्च स्तर को पाने के लिए अपने दफ्तर के काम को एक सोपान के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकते? क्या आप अपनी घरेलू स्थिति का इस्तेमाल इसके लिए नहीं कर सकते? बिल्कुल कर सकते हैं। साधना से आपका जीवन तीव्र और जीवंत हो सकता है। जीवन को जागरूकता की एक भावना के साथ संचालित करने से आपकी साधना तीव्र हो सकती है। इसलिए, वे अलग नहीं हैं और उन्हें कभी अलग नहीं किया जा सकता।
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