क्या हमारे दुःख पिछले कर्मों के परिणाम हैं?
जीवन के दुःख का स्रोत हमारे पुराने कर्मों को माना जता है, लेकिन क्या हर दुःख कर्म की उपज है? कैसे पता चल सकता है हमें? क्या कर्मों को मिटाने का कोई उपाय है?
जीवन के दुःख का स्रोत हमारे पुराने कर्मों को माना जता है, लेकिन क्या हर दुःख कर्म की उपज है? कैसे पता चल सकता है हमें? क्या कर्मों को मिटाने का कोई उपाय है?
प्रश्नकर्ता: सद्गुरु, कहा जाता है कि आध्यात्मिक मार्ग पर कुछ ऐसी प्रक्रियाएं हैं, जो हमारे कर्मों की गति को तेज कर देती हैं। चोट लगना और बीमारियों का बढ़ जाना क्या हमारे कर्म तेजी से कटने की वजह से हो सकता है? क्या ऐसी स्थितियों को संभालने व उनका इलाज करने के तरीके में अंतर हो सकता है?
सद्गुरु : कुछ मामलों में ऐसा संभव है, पर ज्यादातर मामलों में इसकी वजह यह नहीं होती। अगर बीमारियां और चोट लगने की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं, तो हमें अपने भौतिक वातावरण में हुए बदलाव पर गौर करना चाहिए। आपके मामले में तो परेशानियों की वजह हो सकता है आपके कर्म न हों, बल्कि - इस देश में आने के वजह से आए बदलाव हों। बेशक यह भी आपके कर्म ही हैं कि आप यहां आए। एक बात और, हर चीज का जवाब अपने कर्मों में ढूंढने की कोशिश मत कीजिए। बहुत से लोग ऐसा ही करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि सच यह है कि और भी बहुत सारे दूसरे कारक आपको प्रभावित कर रहे हैं।
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ऑस्ट्रेलिया की एक घटना है। एक महिला, भेड़ की बोटियां खरीद कर घर ले गई।
दुकानदार बोला, ‘एक बार मेरी पत्नी ने मेरे लिए एक स्वेटर बुना था और मेरे हिसाब से उसका साइज बिल्कुल ठीक था, लेकिन एक बार धुलने के बाद ही वह सिकुड़ कर आधा रह गया। मेरा छोटा सा बेटा भी उसे नहीं पहन सका।’
महिला बोली, ‘तुम मुझे यह स्वेटर की कहानी क्यों सुना रहे हो?’
दुकानदार ने कहा, ‘मुझे लगता है कि ये बोटियां और उस स्वेटर का ऊन एक ही भेड़ का रहा होगा।’
एक ही चीज से सारी चीजें नहीं आती। कार्मिक प्रभाव निश्चित रूप से होते हैं, इसमें कोई शक नहीं है, लेकिन इसके अलावा भी और बहुत सी वजहें हो सकती हैं।
पहले बाकी तरह के प्रभावों पर ध्यान दें
कार्मिक प्रभावों की ओर आपको तभी ध्यान देना चाहिए, जब बाकी सारे कारणों पर आप विचार कर चुके हों और कुछ भी नहीं मिला हो। वर्ना आप बहुत सारी चीजों की कल्पना कर लेंगे।
कर्म से मुक्ति : तेज़ या धीरे-धीरे?
कार्मिक प्रभाव निश्चित रूप से होते हैं, इसमें कोई शक नहीं है, लेकिन इसके अलावा भी और बहुत सी वजहें हो सकती हैं। कार्मिक प्रभावों की ओर आपको तभी ध्यान देना चाहिए, जब बाकी सारे कारणों पर आप विचार कर चुके हों। एक बार शंकरन पिल्लै का बेटा अखबार पढ़ रहा था। उसने एक ‘सीरियल-किलर’ की खबर पढ़ी। लडक़े ने अपने पिता से पूछा - पिताजी, सभी ‘सीरियल-किलर’ पुरुष ही क्यों होते हैं? शंकरन पिल्लै ने कहा - ऐसा इसलिए है, क्योंकि महिलाएं सिर्फ एक आदमी को चुनना पसंद करती हैं और फिर उसे धीरे-धीरे मारती हैं। (हंसते हैं) सवाल यह है कि आप यह तेजी से करना चाहते हैं या धीरे-धीरे? अगर आप धीरे-धीरे करेंगे तो इसका मनोवैज्ञानिक असर होगा, इसका शरीर पर भी असर होगा, हर तरह का असर होगा। लेकिन अगर आप इसे एक खास गति के साथ चलाते हैं तो यह बस एक उर्जा के रूप में गुजर जाएगा। साधना करने के पीछे यही भावना है।