होली है: जरा सुनें क्या कहते हैं ये रंग
होली का नाम सुनते ही तरह – तरह के रंग हमारे मन में घूमने लगते हैं। वैसे तो यह प्रेम, ताजगी और ऊर्जा का त्यौहार है, लेकिन होली की बात हो और रंगों की चर्चा न हो तो सब कुछ फीका-फीका सा लगेगा। आपसे हमने हाल ही में ये बात साझा की थी कि सभी रंगों का अपना एक अलग गुण, एक अलग स्वभाव होता है। तो आइए होली के अवसर पर आपका परिचय करवाते हैं कुछ और रंगों से:
होली का नाम सुनते ही तरह – तरह के रंग हमारे मन में घूमने लगते हैं। वैसे तो यह प्रेम, ताजगी और ऊर्जा का त्यौहार है, लेकिन होली की बात हो और रंगों की चर्चा न हो तो सब कुछ फीका-फीका सा लगेगा। आपसे हमने हाल ही में ये बात साझा की थी कि सभी रंगों का अपना एक अलग गुण, एक अलग स्वभाव होता है। तो आइए होली के अवसर पर आपका परिचय करवाते हैं कुछ और रंगों से:
नीला रंग
किसी इंसान में आने वाले आध्यात्मिक रूपांतरण के दौरान उसका आभामंडल, या उसके आस-पास मौजूद जीवन-ऊर्जा का घेरा, अलग-अलग रंग धारण कर सकता है। ऐसी बातों के प्रति संवेदनशील लोग जब करीब दो दशक पहले (यानी 1993 या 1994 में) मुझे देखते थे तो हमेशा कहते थे कि मुझे देखने से उन्हें नारंगी या गहरे गुलाबी रंग का अहसास होता है। लेकिन इन दिनों (2006 में) लोग हमेशा मेरे नीले होने की बात करते हैं।
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आपको पता ही है कि कृष्ण के शरीर का रंग नीला माना जाता है। इस नीलेपन का मतलब जरूरी नहीं है कि उनकी त्वचा का रंग नीला था। हो सकता है, वे श्याम रंग के हों, लेकिन जो लोग जागरूक थे, उन्होंने उनकी ऊर्जा के नीलेपन को देखा और उनका वर्णन नीले वर्ण वाले के तौर पर किया। कृष्ण की प्रकृति के बारे में की गई सभी व्याख्याओं में नीला रंग आम है, क्योंकि सभी को साथ लेकर चलना उनका एक ऐसा गुण था, जिससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता। वह कौन थे, वह क्या थे, इस बात को लेकर तमाम विवाद हैं, लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि उनका स्वभाव सभी को साथ लेकर चलने वाला था।
श्वेत रंग
सफेद यानी श्वेत दरअसल कोई रंग ही नहीं है। कह सकते हैं कि अगर कोई रंग नहीं है तो वह श्वेत है। लेकिन साथ ही श्वेत रंग में सभी रंग होते हैं। सफेद प्रकाश को देखिए, उसमें सभी सात रंग होते हैं। आप सफेद रंग को अपवर्तन (रिफ्रैक्षन) द्वारा सात रंगों में अलग-अलग कर सकते हैं। कहने का अर्थ यह है कि श्वेत में सबकुछ समाहित है।
जब आप आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ते हैं और कुछ खास तरह से जीवन के संपर्क में आते हैं, तो सफेद वस्त्र पहनना सबसे अच्छा होता है। अपने माता-पिता से, दादा- दादी से, अपने पूर्वजों से, यहां तक कि बंदरों से भी आपने भरपूर कर्म बटोर लिए हैं। तब से लेकर अब तक आपको एक पूरी कार्मिक विरासत मिली है। अगर आप आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ रहे हैं तो आप दुनिया में कम से कम बटोरना चाहते हैं। आप हर उस चीज को बस विसर्जित करने की सोचते हैं, जो अब तक आप ढोते आ रहे हैं। इस काम में श्वेत रंग आपकी मदद करता है। ऐसा नहीं है कि अगर आप सफेद कपड़े पहनना शुरू कर दें तो आपके सभी कर्म विसर्जित हो जाएंगे। लेकिन हां सफेद रंग आपकी मदद अवश्य करता है, क्योंकि इसमें परावर्तन की क्षमता यानी सब कुछ लौटा देने की खूबी होती है, न सिर्फ रंग के मामले में बल्कि गुणों के मामले में भी। आप श्वेत रंग इसलिए पहनते हैं, क्योंकि आप अपने आसपास से कुछ भी इकट्ठा करना नहीं चाहते। आप इस दुनिया से निर्लिप्त होकर निकल जाना चाहते हैं। सफेद रंग सब कुछ बाहर की ओर बिखेरता है, कुछ भी पकडक़र नहीं रखता है। ऐसे बन कर रहना अच्छी बात है।
पहनावे के मामले में या आराम के मामले में, आप पाएंगे कि अगर एक बार आप सफेद कपड़े पहनने के आदी हो गए, तो दूसरे रंग के कपड़े पहनने पर आपकों कहीं न कहीं अंतर पता चल ही जाएगा। तो जो लोग आध्यात्मिक पथ पर हैं और जीवन के तमाम दूसरे पहलुओं में भी उलझे हैं, वे अपने आसपास से कुछ बटोरना नहीं चाहते। वे जीवन में हिस्सा लेना चाहते हैं, लेकिन कुछ भी इकट्ठा करना नहीं चाहते। ऐसे लोग सफेद कपड़े पहनना पसंद करेंगे।
लाल रंग
अगर आप किसी जंगल से गुजर रहे हैं, तो वहां सब कुछ हरे रंग का होता है, लेकिन वहां लाल रंग भी कहीं दिखाई दे जाता है। अगर कहीं कोई लाल रंग का फूल खिल रहा होगा, तो वह आपका ध्यान अपनी ओर खींचेगा, क्योंकि आपके अनुभव में लाल रंग सबसे चमकीला होता है। बाकी के रंग खूबसूरत हो सकते हैं, अच्छे हो सकते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चमकीला लाल रंग ही है।
रक्त का रंग लाल होता है। उगते सूरज का रंग भी लाल होता है। मानवीय चेतना में सबसे अधिक कंपन लाल रंग ही पैदा करता है। जोश और उल्लास का रंग लाल ही है। आप कैसे भी व्यक्ति हों, लेकिन अगर आप लाल कपड़े पहनकर आते हैं तो लोगों को यही लगेगा कि आप जोश से भरपूर हैं, भले ही आप हकीकत में ऐसे न हों। इस तरह लाल रंग के कपड़े आपको अचानक जोशीला बना देते हैं।
देवी (चैतन्य का नारी स्वरूप) इसी जोश और उल्लास की प्रतीक हैं। उनकी ऊर्जा में भरपूर कंपन और उल्लास होता है। आप देवी मंदिर में जाइए, वह आपको एक जबर्दस्त झटका देती हैं। आप इससे चूक नहीं सकते, क्योंकि वह बेहद जोशपूर्ण हैं। इसी वजह से वह लाल हैं। देवी से संबंधित कुछ खास किस्म की साधना करने के लिए लाल रंग की जरूरत होती है।