ज्यादा से ज्यादा लोगों तक आध्यात्मिकता पहुंचाने के लिए ईशा योग केंद्र में एक मेगा योग कार्य्रक्रम का आयोजन किया गया। सद्‌गुरु हमें इस कार्यक्रम के बारे में ,और अपने आगे के लक्ष्य के बारे में बता रहे हैं

सद्‌गुरुसद्‌गुरु : इस हफ्ते के आखिरी दो दिन बड़े अहम थे, क्योंकि आश्रम में पहली बार मेगा प्रोग्राम आयोजित किया गया था। हालांकि यहां पर इससे भी बड़े कार्यक्रम आयोजित हुए हैं लेकिन उनमें भाग लेने वाले लोग वो होते हैं जो ईशा के बेसिक कार्यक्रमों में भाग ले चुके होते हैं जिसकी वजह से उनमें एक विशेष लगन और अनुशासन होता था। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि 3,600 से भी ज़्यादा लोग यहां इकट्ठा हुए जिनके लिये यह पहला ईशा कार्यक्रम था। मेरे खयाल से यह उस माहौल का ही असर था जो आश्रम के निवासियों और 800 स्वयंसेवकों ने मिल कर तैयार किया था जिसके चलते नये लोगों ने पूरा अनुशासन बनाये रखा। लोगों ने जो लगन व उत्साह दिखाया वो आम तौर पर इतने बड़े जमावड़े में विरले ही देखने को मिलता है। और फिर कार्यक्रम में उनकी सहभागिता भी सौ फीसदी थी। यह एक ऐसा प्रसाद है जो ईशा योग केंद्र जन-जन को देना चाहता है इसलिए अब यह एक नियमित कार्यक्रम का रूप ले लेगा।

मैं यह चाहता हूं कि हज़ारों की तादाद में लोग इस काबिल बन जाएं कि किसी छोटे आयाम में ही सही, कुछ तो लोगों तक पहुंचा सकें।

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ये बड़े स्तर के कार्यक्रम बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। हफ्ते के सिर्फ आखिरी दो दिन लोगों की ज़िंदगी पर बहुत गहरा असर छोड़ जाते हैं। यह उनके लिए महज एक कार्यक्रम नहीं है, एक ऐसी घटना है जिसे वे जीवन में कभी नहीं भूलेंगे। लोगों की ज़िंदगी में बहुत बड़ा बदलाव लाने के लिए तमिलनाडु में अगले तीन से पांच सालों में काफी मात्रा में स्वयंसेवक और साधक तैयार हो जायेंगे। हम इस मुकाम पर पहुंच रहे हैं जहां कुछ ही वर्षों में हम इतने स्वयंसेवक और साधक तैयार कर लेंगे कि सहज ही एक आध्यात्मिक आंदोलन शुरू हो जायेगा। इसी सिलसिले में लोगों के लिए हम कई तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू करने की तैयारी में हैं, जिसमें भाग लेने वाले इतने सक्षम हो जाएंगे कि वो एक छोटे स्तर पर ही सही, पर दूसरों को एक आध्यात्मिक प्रक्रिया दे सकें। मैं चाहता हूं कि आपमें से बहुत-से लोग इस लायक बन जायें कि कुछ आसान-सी अध्यात्मिक विधियां आप लोगों तक पहुंचा सकें।

'इनर इंजिनियरिंग' कार्यक्रम इतना जटिल है कि उसके लिए खास स्तर की ट्रेनिंग की ज़रूरत होती है जिसे देना बड़ा मुश्किल रहा है। हमने बहुत बढ़िया काम किया है लेकिन ट्रेनिंग के दौरान हमने बहुत-से लोगों को तोड़ डाला है। तोड़ने का ये मतलब नहीं कि उनका कोई नुकसान हुआ। दरअसल वे सब शिक्षक बनने की बड़ी चाहत ले कर यहां आये थे, पर उनमें से 60-65 फीसदी लोगों को सिखाने की कभी इजाज़त नहीं दी गयी। हमने उनको पूरे एक साल तक ट्रेनिंग दी लेकिन कई कारणों से हमने उनको कभी शिक्षक बनने की इजाज़त नहीं दी।

लोगों की जिंदगी अगर कोई बना सकता है तो वो बिगाड़ भी सकता है। लोगों की ज़िंदगी में एक खास तरह का खुलापन लाये बिना आप उनकी ज़िंदगी में बदलाव नहीं ला सकते। आपके आगे लोग अपना हृदय खोल दें, इसके लिए आपके अंदर निष्ठा ज़रूर होनी चाहिए, ऐसी निष्ठा जो बाहर से नियंत्रित न हो कर अपने अंदर की उपज हो, जिसने आपके भीतर ही आकार लिया हो। इस कारण से हम अपने शिक्षकों के साथ कुछ ज़्यादा ही सख्त रहे हैं। मेरे खयाल से कोई भी संस्था अपने शिक्षकों के साथ इस तरह पेश नहीं आती, लेकिन इस सख्ती से बड़े सुंदर नतीजे सामने आये हैं। हमारे शिक्षक जहां कहीं भी जाते हैं प्रतिबतद्धता, निष्ठा और अनुशासन में सबसे अव्वल होते हैं।

मानव चेतना का स्तर ऊंचा उठाने के लिए ज़रूरी है कि हम ऐसे कार्यक्रम आयोजित करें जो लोगों को एक नयी अनुभूति में ले जायें। कोई विचार, कोई सिद्धांत, कोई रूखी-सूखी शिक्षा नहीं, कुछ ऐसा जो उन्हें पूरी तरह झकझोर कर रख दे।

मानव चेतना का स्तर ऊंचा उठाने के लिए ज़रूरी है कि हम ऐसे कार्यक्रम आयोजित करें जो लोगों को एक नयी अनुभूति में ले जायें। कोई विचार, कोई सिद्धांत, कोई रूखी-सूखी शिक्षा नहीं, कुछ ऐसा जो उन्हें पूरी तरह झकझोर कर रख दे। इसी की ज़रूरत है, इसलिए हम बड़े पैमाने वाले कुछ कार्यक्रम आयोजित करेंगे। लेकिन साथ ही मैं यह भी देखना चाहूंगा कि हज़ारों की तादाद में लोग इस काबिल बन जाएं कि किसी छोटे आयाम में ही सही कुछ तो लोगों तक पहुंचाएं। इसलिए आगे चल कर हम इस दिशा में तीन हफ्तों की ट्रेनिंग आयोजित करेंगे। बस आपको सिर्फ एक ही वचन देना होगा कि आप आध्यात्मिक विधि का निजी कारणों के लिए कोई भी दुरुपयोग नहीं करेंगे। अगर यह बात पक्की हो जाती है तो हम हर किसी को शिक्षक बना सकते हैं क्योंकि हम इस कार्यक्रम को आसान बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

ईशा योग एक ऐसा साधन है कि इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले कितने बुद्धिमान हैं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वैसे जो ज़्यादा बुद्धिमान होता है वह इसे ज़्यादा अच्छी तरह समझ कर इसका आनंद ले पाता है। इस कार्यक्रम को इतने उम्दा तरीके से बनाया गया है कि आप इसमें कोई खामी नहीं निकाल सकते। पर हो सकता है किसी दिन कोई आत्म-ज्ञानी ईशा योग कार्यक्रम में भाग ले और इसकी खामी को तुरंत भांप ले। लेकिन मुझे भरोसा है कि वे इस साधन का उसके इसी रूप में आनंद लेंगे और इस खामी के बारे में किसी से कुछ नहीं कहेंगे। मुझे विश्वास है कि वे इतने अहंकारी नहीं होंगे। इसी विश्वास के साथ मैं कह सकता हूं कि हर इंसान एक शिक्षक बन सकता है।

Love & Grace