साउंड्स ऑफ़ ईशा अपने नए रिलीज़ – ‘सुनता है’ – के रूप में, कबीर का लोकप्रिय गीत ‘सुनता है’ का एक अंश प्रस्तुत कर रही हैं।
आइये सुनते हैं साउंड्स ऑफ़ ईशा का नया रिलीज़ – ‘सुनता है’। कबीर पंद्रहवी शताब्दी के एक संत और कवि थे, जिनका जन्म काशी में हुआ था। उनकी कविताएं और गीत गहन ज्ञान और सरलता का एक बेजोड़ मेल हैं जो हमारे दैनिक जीवन से सीधे जुड़े होते हैं।
इस गीत में कबीर साधक को द्वैत और माया से परे जाकर जीवन की एकरूपता का अनुभव करने की प्रेरणा दे रहे हैं...
हिन्दी गीत:
सुनता है गुरु ज्ञानी ज्ञानी ज्ञानी
गगन में आवाज हो रही झीनी-झीनी झीनी-झीनी
पहिले आए आए पहिले आए
नाद बिंदु से पीछे जमया पानी पानी हो जी
सब घट पूरण गुरु रह्या है
अलख पुरुष निर्बानी हो जी ll 1 ll
सुनता हैं गुरु ज्ञानी ज्ञानी ज्ञानी ज्ञानी
गगन में आवाज हो रही झीनी-झीनी झीनी-झीनी
वहां से आया पता लिखाया
तृष्णा तूने बुझाई बुझाई..
अमृत छोड़सो विषय को धावे,
उलटी फाँस फंसानी हो जी ll 2 ll
सुनता हैं गुरु ज्ञानी ज्ञानी ज्ञानी ज्ञानी
गगन में आवाज हो रही झीनी-झीनी झीनी-झीनी
गगन मंडलू में गौ बियानी
भोई से दही जमाया जमाया...
माखन माखन संतों ने खाया,
छाछ जगत बापरानी हो जी ... ll 3 ll
सुनता हैं गुरु ज्ञानी ज्ञानी ज्ञानी ज्ञानी
गगन में आवाज हो रही झीनी-झीनी झीनी-झीनी
बिन धरती एक मंडल दीसे,
बिन सरोवर जूँ पानी रे
गगन मंडलू में होए उजियाला,
बोल गुरु-मुख बानी हो जी ll 4 ll
सुनता हैं गुरु ज्ञानी ज्ञानी ज्ञानी ज्ञानी
गगन में आवाज हो रही झीनी-झीनी झीनी-झीनी
ओऽहं सोऽहं बाजा बाजे,
त्रिकुटी धाम सुहानी रे
इडा पिंगला सुषुमना नारी,
सून ध्वजा फहरानी हो जी ll 5 ll
सुनता हैं गुरु ज्ञानी ज्ञानी ज्ञानी ज्ञानी
गगन में आवाज हो रही झीनी-झीनी झीनी-झीनी
कहत कबीरा सुनो भई साधो,
जाय अगम की बानी रे..
दिन भर रे जो नज़र भर देखे,
अजर अमर वो निशानी हो जी ... ll 6 ll
सुनता हैं गुरु ज्ञानी ज्ञानी ज्ञानी ज्ञानी
गगन में आवाज हो रही झीनी-झीनी झीनी-झीनी