अपने जल उपभोग में एक बड़ा अंतर लाना कोई मुश्किल बात नहीं है। जागरूकता और जीवनशैली में कुछ छोटे-मोटे बदलावों के साथ, हम जल और साथ ही पैसे की बचत कर सकते हैं। जब तक हम जल का संरक्षण करना और उसका उचित उपयोग नहीं सीखेंगे, आने वाली पीढ़ियों का भविष्य अंधकारमय लगता है।

जल एक अजीब पदार्थ है। उसके असामान्य गुण विज्ञान को बहुत ही विचित्र लगते हैं। उदाहरण के लिए यह ठोस की बजाय द्रव के रूप में अधिक सघन है। उसकी असामान्य आणविक संरचना उसे सामान्य तापमान में द्रव के रूप में रखती है, जहां इसी तरह के पदार्थ गैस के रूप में होते हैं। यहां तक कि उसका आणविक फार्मूला H2O असल में H1.5O हो सकता है (लेकिन सिर्फ क्वांटम फिजिक्स के दायरे में)। लेकिन विज्ञान के परिप्रेक्ष्य से उसकी विचित्रता के बावजूद, वह व्यक्तिगत स्तर पर भी और व्यापक समाज के स्तर पर भी हमारे लिए बहुत जानी-पहचानी चीज है। जल मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो हमारे शारीरिक भार का करीब 65-70 फीसदी है। वह प्राचीन सभ्यताओं का जीवन आधार था। सिंधु घाटी, चीन, मेसोपोटामिया और मिस्र, सभी सभ्यताएं अमूल्य जल वाली महान नदियों के तटों पर विकसित हुईं। जहां भी जल है, वहां जीवन है। जहां जल नहीं है, वहां खासकर मानव जीवन को बहुत संघर्ष करना पड़ता है।

हमारे पास कितना जल है?

पृथ्वी पर मनुष्य के लिए कितना जल उपलब्ध है? पहली नजर में, यह एक बेकार सवाल लगता है। पृथ्वी का 72 फीसदी हिस्सा पानी है। धरती पर उपलब्ध 97 फीसदी पानी खारा है। यह मछलियों के लिए अच्छा हो सकता है लेकिन हमारे लिए नहीं। पानी से नमक को अलग करने की प्रौद्योगिकियां बहुत ही महंगी हैं और किसी काम की नहीं हैं। तो सिर्फ 3 फीसदी जल बच जाता है, जिनमें से 2.5 फीसदी अंटार्कटिक, आर्कटिक और ग्लेशियरों में जमा हुआ है। (निश्चित रूप से ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने पर यह स्थिति बदल सकती है, लेकिन वह एक अलग ही समस्या है) इसके बाद हमारे लिए 0.5 फीसदी बच जाता हे और उस 0.5 फीसदी का सिर्फ सौंवां हिस्सा पृथ्वी की सतह पर झीलों, नदियों और जलाशयों में उपलब्ध है, बाकी भूमिगत परतों में जमा है, जहां तक पहुंचना महंगा है लेकिन इसके बावजूद उसका दोहन किया जा रहा है।

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पृथ्वी काफी बड़ी जगह है, इसलिए यह सूक्ष्म अंश भी बहुत विशाल मात्रा है। लेकिन यहां पर 7 अरब जनसंख्या है। इसलिए इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि दुनिया जल संकट की ओर बढ़ रही है। आज, तकरीबन 78 करोड़ लोगों को स्वच्छ पेय जल नहीं मिल पाता और करीब 4000 बच्चे रोजाना गंदे पानी या पर्याप्त स्वच्छता की कमी के कारण मौत के शिकार हो जाते हैं। विकसित दुनिया के कई हिस्से भी जल संकट से जूझ रहे हैं। संयुक्त राज्य अमेरीका का 56 फीसदी हिस्सा अभी सूखे से जूझ रहा है, जो अमेरीका के ज्ञात इतिहास में अब तक के सबसे बेकार अकालों में से एक है। दुनिया की जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ जल की मांग भी बढ़ेगी और वर्तमान रुझानों के मुताबिक, 2025 तक लगभग 3 अरब लोग जल के अभाव से ग्रस्त इलाकों में रहेंगे। जल की मांग के अर्थों में शहरों की सूची में मुंबई और दिल्‍ली के सबसे ऊपर रहने की उम्मीद है। 

दुनिया भर में कई नदियों अधिक उपयोग के कारण सूख रही हैं।

हालांकि यह सच है कि ताजे पानी का अधिकांश हिस्सा खेती और उद्योगों में लगता है, जहां अक्सर खूब बरबादी होती है और इसके लिए नीतिगत बदलावों की जरूरत है, लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर भी हम समस्या को समझ कर, कम से कम अपने घरों में पानी (और इस तरह पैसा भी) बचा सकते हैं। इससे अपने आप में पूरी समस्या हल नहीं होगी लेकिन यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नीति को प्रभावित करने के लिए एक बड़े आंदोलन का आधार बन सकता है।

 घर में पानी बचाएं

  • प्रयोग न करते समय नल बंद रखें: दांत ब्रश करते समय नल खुला रखने से 15 लीटर पानी बेकार हो सकता है।
  • किसी तरह के रिसाव को ठीक कराएं: एक बूंद प्रति सेकेंड की दर पर टपकने वाले नलों से हर वर्ष 10,000 लीटर पानी व्यर्थ हो सकता है।
  • रिसाइकिल करें, फिर से इस्तेमाल करें: सब कुछ बनाने में पानी लगता है। खरीदारी जरूरत पड़ने पर ही करें और पुन: इस्तेमाल की जाने वाली चीज को फिर इस्तेमाल करें। एक सूती टी-शर्ट बनाने में 2500 लीटर पानी और एक जोड़ा जींस बनाने में 10,000 लीटर पानी लगता है। कम से कम कपड़े खरीदें और वाशिंग मशीन या डिशवाशर का इस्तेमाल करते समय पूरे लोड के लिए पर्याप्त कपड़े या बरतन जमा होने का इंतजार करें।
  • स्नान : बाथ टब – बुरा विकल्‍प। शावर – अच्‍छा विकल्‍प। बाल्टी – बेहतरीन विकल्‍प।
  • बागवानी: खासकर विकसित देशों में भूदृश्य बनाने और बागवानी करने में घरेलू जल उपयोग का एक बड़ा हिस्सा लगता है।  इसके अलावा, बागवानी में इस्तेमाल किए गए जल का 50 फीसदी, भाप से उड़ने या जरूरत से ज्यादा पानी देने के कारण बरबाद हो जाता है। होज या स्प्रिंकलर की बजाय बूंद बूंद से होने वाली सिंचाई प्रणाली लगाएं। बगीचे में सुबह या शाम को पानी दें ताकि भाप के कारण कम पानी व्यर्थ हो। अपने बगीचे में स्थानीय पौधे लगाएं। देखें कि आपके बगीचे को पानी देने की जरूरत है या नहीं। अगर सतह के 2 इंच नीचे तक मिट्टी गीली है तो आपके पौधों को पानी की जरूरत नहीं है। अपने पौधों के आस-पास थोड़ी सड़ी-गली सब्जियां बिखरा दें। इससे नमी बनी रहती है और पानी, समय तथा पैसे की बचत होती है।
  • जो जल आप “खाते हैं”: अगर आप मांसाहारी हैं, तो अपना मांसाहारी भोजन कम कर दें। एक किलोग्राम चिकन में चिकन चारे और प्रोसेसिंग में लगने वाले पानी के अर्थों में 3900 लिटर पानी खर्च होता है और एक किलो मटन में 6000 लीटर पानी खर्च होता है। इसके विपरीत, एक किलो गेहूं में 1000 लीटर पानी लगता है। वैसे चावल थोड़ा महंगा है, एक किलो के लिए 3750 लीटर पानी की जरूरत होती है। सुबह में आप एक कप कॉफी पीते हैं? उसके बदले चाय पीने पर विचार करें। एक कप कॉफी के लिए जरूरी कॉफी बीन्स उगाने और प्रोसेसिंग में 140 लीटर पानी लगता है, जबकि एक कप चाय के लिए सिर्फ 30 लीटर पानी की जरूरत होती है।

4 दशकों में अराल सागर का सिकुड़ना

 अपने जल उपभोग में एक बड़ा अंतर लाना कोई मुश्किल बात नहीं है। जागरूकता और जीवनशैली में कुछ छोटे-मोटे बदलावों के साथ, हम जल और साथ ही पैसे की बचत कर सकते हैं। जब तक हम जल का संरक्षण करना और उसका उचित उपयोग नहीं सीखेंगे, आने वाली पीढ़ियों का भविष्य अंधकारमय लगता है। उदाहरण के लिए पूर्व सोवियत संघ में अराल सागर का मामला लें, जो कभी दुनिया की चौथी सबसे बड़ी झील थी। सिंचाई परियोजनाओं के लिए उसकी दो मुख्य उद्गम नदियों का रास्ता बदल दिया गया। उसका नतीजा यह हुआ कि अराल सागर सिकुड़ कर अपने पूर्व आकार के एक सूक्ष्म रूप में बदल गया है। उम्मीद है कि भविष्य में कोई और अराल न हो।

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स्रोत: http://www.ofid.org/,  Water_facts_and_trends.pdfwater-demand-cities-mckinsey-reportfreshwater