हठ योग : मेरूदंड का रखें विशेष ख्याल
जब आप ऐसे आसन करते हैं जिनमें शरीर का ऊपरी हिस्सा नीचे आता हो, तो मेरूदंड पर बहुत ज्यादा वजन पड़ता है। इसलिए कोई भी ऐसा आसन करने के बाद आपको इतना वक्त चाहिए होता है कि मेरूदंड अपनी सामान्य अवस्था में वापस आ सके।प्रश्न: सद्गुरु, सर्वांगासन श्रृंखला के बाद हम जो मेरूदंड को मोडऩे वाली मुद्राएं करते हैं, उनका क्या महत्व है?
सद्गुरु: अगर आपके शरीर को बीचों-बीच से क्षैतिज रूप से दो भागों में बांटा जाए तो आप देखेंगे कि आपके शरीर का निचला भाग ऊपरी हिस्से की अपेक्षा ज्यादा भारी है। हमारे शरीर की सबसे बड़ी मांसपेशियां और बड़ी हड्डियां निचले हिस्से में हैं। जबकि हमारी रीढ़ की हड्डी इस तरह से बनी है कि वह एक खास वजन को संभाल सके। यहां तक कि अगर मेरूदंड पर जरा भी अधिक वजन पड़ता है तो इसमें समस्या शुरू हो जाती है, क्योंकि यह एक नाजुक चीज है जो 33 हड्डी के टुकड़ों से मिलकर बनी है।
रीढ़ या मेरुदंड : कार के सस्पेंशन की तरह है
आप मेरूदंड की तुलना कार के सस्पेंशन से कर सकते हैं। अगर आप दुनिया की कुछ बेहतरीन लग्जरी कारों को भारत में चलाएं तो वे आधे समय तो गैराज में रहेंगी। उसकी वजह बस यह है कि वे सारी कारें मल्टी लिंक सस्पेंशन वाली होती हैं, जबकि हमारी सडक़ें वन लिंक सस्पेंशन के हिसाब से बनी हैं।
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जब आप ऐसे आसन करते हैं जिनमें शरीर का ऊपरी हिस्सा नीचे आता हो, तो मेरूदंड पर बहुत ज्यादा वजन पड़ता है। इसलिए कोई भी ऐसा आसन करने के बाद आपको इतना वक्त चाहिए होता है कि मेरूदंड अपनी सामान्य अवस्था में वापस आ सके। इसलिए सर्वांगासन या हलासन के बाद आप अध्र्यमत्स्येंद्रासन करते हैं, जिससे मतलब है कि पीछे की तरफ विपरीत दिशा में झुकना। तो सवाल ये है कि इस तरह के आसन आखिर हम करते ही क्यों हैं? देखिए, यह बहुत जरूरी है कि मेरूदंड का व्यायाम हो, वर्ना यह अकड़ कर बेकाम हो जाएगी। अगर आप रीढ़ से जुड़े व्यायाम नहीं करेंगे तो जीवन को अनुभव करने की आपकी क्षमता जबरदस्त तरीके से कम हो जाती है।
जीवन का अनुभव तय करती है रीढ़
हर व्यक्ति जीवन को एक ही तरह की संवेदनशीलता से अनुभव नहीं कर पाता। अगर हम कार की बनावट पर वापस आएं तो हर संस्पेंशन सडक़ का उसी संवेदनशीलता के साथ अनुभव नहीं कर पाता।
ब्रह्माण्ड को खुद में महसूस करने के लिए रीढ़ पर ध्यान देना होगा
अपने मेरूदंड को संवेदनशील, लचीला, संतुलित, गतिशील और पूरे सीध में रखना बेहद महत्वपूर्ण है। आप जो भी योग करते हैं, उसका मकसद काफी कुछ यही होता है।