सद्‌गुरुबहुत से लोग है जो दावा करते हैं कि अपने भीतर उन्हें कई तरह की आवाजें सुनाई देती हैं और ये आवाजें उनके वश में नहीं होतीं। तो कहां से आती हैं ये आवाजें?

प्रश्न : सद्‌गुरु, मैं पश्चिमी देशों में रहने वाले उन लोगों के बारे में चर्चा करना चाहता हूं, जिनका एक खास तरह से इलाज किया जाता है। उनका कहना है कि उन्हें आवाजें सुनाई देती हैं। जहां तक मुझे पता है जब भारत में किसी के साथ इस तरह की चीजें होती हैं, तो जरुरी नहीं कि वह दवा ले। क्या कारण है कि इन लोगों को आवाजें सुनाई देती हैं और वहां इसे पागलपल या डिप्रेशन माना जाता है। कुछ लोग क्यों इतने अधिक डिप्रेशन में चले जाते हैं कि उन्हें खुशी का अहसास ही नहीं होता?

आवाजें नहीं, शक्तिशाली विचार होते हैं ये

सद्‌गुरु : आवाज का मतलब है, ऐसी ध्वनि जो एक खास वोकल कॉर्ड से आती है। जब तक कोई भौतिक शरीर न हो, तब तक आवाज नहीं होती।

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बात बस ये है कि कुछ खास तरह के खयालों को, खास तरह की भावनाओं को, जिनका आपकी जिंदगी पर एक खास तरह का असर महसूस होता है, उसे ही आप आवाज कह देते हैं।
लोग जिसे आवाज कह रहे हैं, वह दरअसल उनके मन के अंदर के शक्तिशाली विचार हैं। अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में हम जिस तरह की आम सोच रखते हैं, कुछ विचार उनसे थोड़े अलग से लगते हैं। हर दिन आप किसी न किसी विचार से गुजरते हैं, अब अचानक एक खास तरह का विचार आपके मन में आता है, जो आम विचारों से बहुत अलग होता है। अब आप सोचते हैं कि कोई एक आवाज है, जो आपसे कुछ कह रही है। लेकिन जब तक वोकल कॉर्ड और कान के पर्दे नहीं होंगेे तब तक आप कोई आवाज नहीं सुन सकते। बात बस ये है कि कुछ खास तरह के खयालों को, खास तरह की भावनाओं को, जिनका आपकी जिंदगी पर एक खास तरह का असर महसूस होता है, उसे ही आप आवाज कह देते हैं। जब आपका कोई विचार या भावना ऐसी होती है जो आपकी जिंदगी पर खास तरह से असर डालती है, तो स्वाभाविक है कि आप यह सोचेंगे कि यह कहीं ऊपर से आ रही है, न कि नीचे से।

कुछ खास तरह की संस्कृतियों में माना जाता है कि आवाजें आकाश से आती हैं, जबकि कुछ संस्कृतियां हमेशा अपने कान जमीन की तरफ लगाकर धरती से आवाजें सुनती हैं। दुनिया के ज्यादातर धर्म आकाश से आवाजें सुनते हैं, कुछ ही हैं जो धरती से सुनते हैं। अगर आप धरती से सुनते हैं, तो आप उन लोगों से थोड़े ज्यादा समझदार हैं, जो आसमान से सुनते हैं और तरह-तरह की चीजों की कल्पना करते हैं।

मन में बस विचार आ सकते हैं

बहुत से लोग हैं, जो दावा करते हैं कि उन्हें कई तरह की आवाजें सुनाई देती हैं और ऐसे विचार मन में आते हैं जो उनके वश में नहीं होते।

जब आप मुझे सुन रहे होते हैं, उस समय मेरी आवाज आपके कानों में पड़ती है, न कि आपके मन में। आपके मन में तो मेरी आवाज एक अन्य विचार की तरह प्रवेश कर रही है।
वे विचार बेहद शक्तिशाली और परस्पर विरोधी स्वभाव के होते हैं, जो उन्हें इस तरह धकेलते और खींचते हैं कि वे अपना मानसिक संतुलन खोने लगते हैं। इसे सनकी अवसाद या मैनिक डिप्रेशन नाम दिया गया है, क्योंकि विचारों और भावनाओं की यह ताकतवर सेना अनियंत्रित होकर घूम रही है। यह इतनी शक्तिशाली है कि ऐसा लगता है जैसे कोई आपसे बात कर रहा है। मैं चाहता हूं कि आप एक प्रयोग करें औरइसे महसूस करके देखें। आप कहीं भी शांति से बैठ जाइए और कोई एक ऐसा पहलू ले लीजिए जो आपकी जिंदगी में बहुत मायने रखता हो। अपना ध्यान उस पर केंद्रित कीजिए। आप जिसके बारे में सोच रहे थे, कुछ समय बाद आपको उस पहलू से संबंधित कुछ पता चलेगा। आप देखेंगे कि उस पहलू से जुड़ी एक आवाज लगातार आपके मन में घूम रही है। जबकि आपके मन में किसी आवाज का आना संभव नहीं है। आपके मन में बस विचार ही आ सकते हैं। जब आप मुझे सुन रहे होते हैं, उस समय मेरी आवाज आपके कानों में पड़ती है, न कि आपके मन में। आपके मन में तो मेरी आवाज एक अन्य विचार की तरह प्रवेश कर रही है। केवल कान के पर्दे और उसके थोड़े ही अंदर तक आवाज जाती है, और उसके आगे कोई आवाज नहीं होती।

कभी-कभी भौतिकता से परे के प्रभाव ऐसा कर सकते हैं

तो आवाज को पैदा करने के लिए आपको जरूरत होती है वोकल कॉर्ड की और उसे सुनने के लिए कान की।

कभी इस भौतिकता से परे की कोई चीज आपके ऊपर इस तरह प्रभाव डाल सकती है कि आपको अलग-अलग तरह के विचार आने लगते हैं। ऐसे में हम कहते हैं कि हमें ईश्वर की आवाज सुनाई दे रही है।
मन का मतलब विचार से है और विचार इतने ज्यादा मजबूत बन सकते हैं कि वे आपके अंदर बोलते ही नहीं, बल्कि चीख भी सकते हैं। क्या आपके विचार और भावनाएं कभी-कभी आपके अंदर से नहीं चीखते? इसका मतलब है कि आपके विचार अनियंत्रित हैं। विचार अलग-अलग तरह से आ सकते हैं। ज्यादातर विचार आपके भीतर उन इंप्रेशन्स की वजह से आते हैं, जिन्हें आप अपनी इंद्रियों के जरिए हासिल कर चुके हैं। कुछ लोगों में ये विचार किसी खास जगह पर रहने के कारण आ सकते हैं। कभी इस भौतिकता से परे की कोई चीज आपके ऊपर इस तरह प्रभाव डाल सकती है कि आपको अलग-अलग तरह के विचार आने लगते हैं। ऐसे में हम कहते हैं कि हमें ईश्वर की आवाज सुनाई दे रही है। अगर आपको कोई आवाज सुनाई देती है और वह आपको अच्छी लगती है तो उसका आनंद लें, नहीं तो उसे नजरअंदाज कर दें।