कोई क्यों भागता है नशे के पीछे?
सद्गुरु बता रहे हैं कि लोग नशीले पदार्थ इसलिए अपना लेते हैं, क्योंकि जीवन में किसी गहरे अनुभव की कमी की है और ड्रग और शराब आसानी से उपलब्ध हैं
अगर किसी इंसान को समाज यह अवसर नहीं देता है कि वह जीवन के अलग-अलग आयामों को एक्सप्लोर कर सके तो फिर उसे जो भी चीजें मिलती हैं, वह उन्हें ही चुनना शुरू कर देता है।
प्रश्न : सद्गुरु, कई टीनएजर्स नशीली दवाएं लेना शुरू कर देते हैं। मुझे नहीं पता वे उस रास्ते पर क्यों चल पड़ते हैं, लेकिन यह बड़ा ही खतरनाक रास्ता है। ऐसे रास्ते पर चलने वालों को ठीक करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
क्योंकि जीवन बीता जा रहा है
सद्गुरु : सबसे पहले तो हमें यह समझने की जरूरत है कि वे इन चीजों के पीछे क्यों भाग रहे हैं। अगर कोई किसी चीज को पाने की कोशिश करता है, चाहे वह नशीले पदार्थ हों, शराब हो, मंदिर हो या ईश्वर हो, तो इसका मतलब है कि उस इंसान के जीवन में जो कुछ अभी है, वह चीज उससे ज्यादा बड़ी है।
नशीले पदार्थों की क्षमता बहुत कम है
इसके लिए एक बहुत मजबूत व्यवस्था है, जिसकी वजह से ये सब चीजें बांटी जा रही हैं और लोग उन्हें आसानी से हासिल कर पा रहे हैं। क्या ध्यान की डिलिवरी के लिए भी कोई बुनियादी व्यवस्था है? क्या कोई ऐसी व्यवस्था है हमारे पास, जिसके जरिये हम लोगों को शक्तिशाली आध्यात्मिक अनुभव मुहैया करा सकें? चलिए ‘आध्यात्मिक’ शब्द को हटा लेते हैं। क्या कोई ऐसा ढांचा है, जो लोगों को बिना केमिकल के इस्तेमाल के शानदार अनुभव दे सके। ड्रग्स, अल्कोहल आदि को मैं नैतिकता के चश्मे से नहीं देख रहा हूं। मैं इसे सही या गलत नहीं बता रहा हूं। मैं बस अक्षम और अयोग्य चीजों के खिलाफ हूं। इन सब चीजों में क्षमता नहीं है, एक दिन ये आपको जबर्दस्त अहसास कराएंगी, फिर अगले दिन आपको बीमार कर देंगी। इसके बाद आप इनके आदी हो जाएंगे। आप खुद को असहाय महसूस करेंगे। इनकी अक्षमता की वजह से, मैं इनके खिलाफ हूं। अगर आपको इनसे सौ सालों तक फायदा हो, तो मैं कहूंगा इनके नशे में धुत्त रहिए। नुकसान ही क्या है? मैं तो हमेशा ही मदहोश रहता हूं। बिना किसी चीज के, बस ऐसे ही मदहोश।
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