अंदरूनी मार्ग

 

जब सूरज सरकता है क्षितिज के नीचे

दुनिया के दूसरे हिस्से में

गर्मी और पोषण देने को

 

जब अंधियारा समेटता है हमें

धीरे से अपने आगोश में

रात की शीतलता देने को

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कितने नर-नारी

करते हैं विश्राम

कठिन परिश्रम के बाद

पर जो हैं उधमी और जोशीले

वो रात में भी दीया जलाते हैं

 

कीड़े-मकोड़े और पक्षियों से भरे

जंगल में होती है खूब रौनक

पूरे शोर-शराबे के साथ वो

शुरु करते हैं आपसी बातचीत

बतियाते हैं वो सब कुछ

जो आप अगले दिन बतियाएंगे

 

और बस इतना ही करेंगे आप

अगर नहीं जानते अंदरूनी मार्ग।

-सद्‌गुरु

स्रोत: द इटर्नल एकोज़

यह कविता ईशा लहर जून 2014 से उद्धृत है।

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