सद्‌गुरुहम सब अपने दैनिक जीवन में समस्याओं से दो-चार होते ही रहते हैं। कभी-कभी किसी को अपनी समस्या इतनी बड़ी लगने लगती है कि वह हताशा और निराशा के गर्त में चला जाता है। आज के स्पॉट में सद्‌गुरु बता रहे हैं कि ये समस्याएं हमारे लिए एक संभावना हैं। कैसे?

अगर आपके जीवन में कोई समस्या है तो हो सकता है कि आप उसके गुजरने का इंतजार कर रहे हों। हो सकता है कि लोग आपसे कहते हों, ‘अगर आपको समस्या का समाधान नहीं मिल रहा तो जाने दो। खुद को उसके हाल पर छोड़ दो।’ हो सकता है कि आप समस्या को छोड़ दें, लेकिन वह आपको नहीं छोड़े। ऐसा अक्सर होता है कि लोग बैंक से कर्ज लेते हैं, लेकिन वो उसे वापस नहीं कर पाते। वो चाहते हैं कि कर्ज छोड़ दिया जाए, लेकिन बैंक आपको छोड़ने के लिए तैयार नहीं होता। जीवन भी इसी तरह है- अगर आप किसी स्थिति में फंस जाते हैं तो फिर यह कर्ज की तरह हो जाता है। आपको इसे चुकाना ही होता है, - पैसे के रूप में नहीं, जीवन के रूप में। अगर आप सयाने हैं तो आप इसे एक तरीके से चुकाएंगे, वर्ना आपको इसे दूसरे ढंग से चुकाना पड़ेगा, लेकिन आपको इसे चुकाना तो पड़ेगा ही।

हर समस्या आपको इसलिए समस्या नजर आती है, क्योंकि आप इसे समस्या कहते हैं। दरअसल जीवन में कोई समस्या नहीं होती, केवल स्थितियां या परिस्थितियां होती हैं। जीवन में हर चीज एक परिस्थिति है। अगर आप इसे समस्या कहेंगे तो यह समस्या बन जाएगी। अगर आप इसे खूबसूरत संयोग मानेंगे तो यह वैसी ही बन जाएगी। मान लीजिए फिलहाल अभी कहीं किसी की शादी हो रही है, लेकिन वह शादी नहीं करना चाहता। ऐसे में उसे वह शादी एक बड़ी समस्या लगती है। आप समझ सकते हैं कि इससे उसको कितनी पीड़ा या तकलीफ हो सकती है। वहीं दूसरी ओर किसी ऐसे आदमी की भी शादी हो रही है, जो यह शादी करना चाहता है। अब आप यह भी अंदाजा लगा सकते हैं कि उसके लिए यह दिन कितना शानदार और बेहतरीन होगा।

Subscribe

Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox.
इसलिए जो भी हालात सामने हों, उसके प्रति न तो ‘जाने दो’ का भाव रखने की कोशिश करें और न ही उससे खुद को दूर करें अथवा न ही उसके प्रति उदासीनता का भाव रखें। खुद को पूरी तरह उसमें डुबोने की कोशिश कीजिए।
तो जिंदगी में सिर्फ हालात होते हैं, चाहें तो यह एक समस्या बन जाए या समाधान, यह आपके दृष्टिकोण पर निर्भर करेगा। कोई भी परिस्थिति ऐसी नहीं होती जिसे ‘एअरटाइट’ कहा जा सके, यानी जिससे बाहर निकलने का कोई रास्ता ही नहीं हो। परिस्थितियां लगातार बदलती और विकसित होती रहती हैं। अगर आप किसी परिस्थिति में नहीं रहना या पड़ना चाहते और आप कहीं और होना चाहते हैं तो आपको गौर से हालात को देखना होगा और तब आपको कोई न कोई राह या दरवाजा अवश्य मिल जाएगा। अगर आप ताजी हवा में सांस लेना चाहते हैं तो बस आपको एक खिड़की खोलनी होगी और आपको राहत नजर आने लगेगी। अगर आप इस हालात से बाहर निकलना चाहते हैं तो आप दरवाजा खोल कर बाहर निकल सकते हैं। यह आपकी पंसद है। अगर आप उस हालात में ठहरते हैं तो उसका एक परिणाम होगा और अगर आप उससे निकलते हैं तो उसका भी कुछ परिणाम होगा। अब सवाल यह है कि क्या आप परिणामों या नतीजों का सामना करने के लिए तैयार हैं?

ज्यादातर लोगों के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि परिस्थितियों में पड़ना तो चाहते हैं, लेकिन उसके लिए जो कीमत देना होती है, उसके लिए तैयार नहीं होते। अगर आप कपड़े खरीदना चाहते हैं, लेकिन आपको अगर उसकी कीमतें नहीं भा रहीं तो एक ही तरीका है कि आप चोर बन जाइए। अगर आप चोर बन जाते हैं तो आपको हर चीज मुफ्त में मिलेगी, लेकिन तब आपको हमेशा इस डर में जीना पड़ेगा कि किसी भी वक्त आप ‘सरकारी मेहमान’ बन सकते हैं। वर्ना तो आप जीवन में जो भी चीज चाहते हैं, उसकी कुछ न कुछ कीमत होती है। अब वो चीज इस कीमत के लायक है या नहीं, यह अनुमान आपको अपने जीवन में लगाना है।

हो सकता है कि आपने तय किया हो कि आप कोई चीज तभी खरीदेंगे, जब उसकी कीमत दस रुपये होगी, लेकिन अगर उसकी कीमत ग्यारह रुपये है तो आप उसे नहीं खरीदेंगे। यह आपका फैसला है। इसी तरह से हर स्थिति, सिर्फ पैसे से जुड़ी स्थितियों की ही नहीं, बल्कि हर स्थिति की एक कीमत होती है। बस यह आपको तय करना होता है कि वह परिस्थिति जो कीमत चाह रही है, वह देने योग्य है भी कि नहीं।

इसलिए जो भी हालात सामने हों, उसके प्रति न तो ‘जाने दो’ का भाव रखने की कोशिश करें और न ही उससे खुद को दूर करें अथवा न ही उसके प्रति उदासीनता का भाव रखें। खुद को पूरी तरह उसमें डुबोने की कोशिश कीजिए।
और अपने जीवन के लिए यह काम सिर्फ आप कर सकते हैं। हो सकता है कि मैं उसे एक अलग नजरिए से देखूं और सोचूं कि यह पूरी स्थिति ही बेतुकी या हास्यास्पद है, जबकि आपके लिए वह मूल्यवान हो सकता है। इस बारे में कोई और फैसला नहीं कर सकता। यह आपको ही तय करना होगा कि कोई भी परिस्थिति क्या कीमत मांग रही है और क्या आप वो कीमत देने के लिए तैयार हैं? अगर एक बार आपने उस कीमत को चुकाने का फैसला कर लिया तो फिर आप खुशी-खुशी उसे चुकाइए। अगर आप यह कीमत खुशी-खुशी नहीं चुकाएंगे तो आपको इसे झेलना होगा और तब आप दुखी हो उठेंगे। एक बार आपने कोई चीज तय कर ली तो फिर उसमें सही या गलत की कोई गुंजाइश नहीं होती। हालांकि ‘अच्छा जीवन’ जैसी कोई चीज नहीं होती, लेकिन अगर आपने खुद को किसी चीज में पूरे मन के साथ सौंप दिया या पूरे दिल से उसमें लग गए, तो यह अपने आप में एक शानदार या महान जीवन होगा। अगर आप खुद को किसी चीज में झोंक देते हैं, भले ही वह कितनी भी आसान चीज क्यों न हो, तो वह आपके अनुभवों में महान हो सकती है। अगर आपके जीवन को कोई दूसरा देखे तो हो सकता है कि उसे यह सब बेकार या बेतुका लगे। अगर ऐसा है तो यह उनकी समस्या है। आपके अपने अनुभवों में आपका जीवन शानदार है और असल में यही चीज मायने रखती है।

अगर आप किसी परिस्थिति का मूल्याकंन करना चाहते हैं तो उसके लिए जिस चीज की जरूरत है- वह है कि उससे आपका जुड़ाव, न कि ‘जाने दो’ का भाव। अगर आप किसी परिस्थिति के साथ गहराई से जुड़े हैं और उसके बारे में हरेक चीज जानते हैं तो फिर आप उसके बारे में निर्णय कर सकते हैं। कोई भी फैसला तभी मूल्यवान होगा, अगर यह पूरी जानकारी या समझ-बूझ के बाद लिया जाता है।

हालांकि ‘अच्छा जीवन’ जैसी कोई चीज नहीं होती, लेकिन अगर आपने खुद को किसी चीज में पूरे मन के साथ सौंप दिया या पूरे दिल से उसमें लग गए, तो यह अपने आप में एक शानदार या महान जीवन होगा।
अगर आप परिस्थितियों के बारे में बिना ज्यादा जाने-बूझे फैसला लेंगे तो उसका अर्थहीन होना तय है। इसलिए जो भी हालात सामने हों, उसके प्रति न तो ‘जाने दो’ का भाव रखने की कोशिश करें और न ही उससे खुद को दूर करें अथवा न ही उसके प्रति उदासीनता का भाव रखें। खुद को पूरी तरह उसमें डुबोने की कोशिश कीजिए। जब आप किसी चीज के साथ पूरी तरह जुड़ते हैं, तो फिर आप उस परिस्थिति को अच्छी तरह से समझते हैं। जब आप हालात को जानते हैं तो फिर आप देखते हैं कि वह परिस्थिति आपके जीवन से क्या कीमत चाह रही है। अगर आप उस हालत में रहते हैं तो उसकी एक कीमत होगी, अगर आप उस हालात से निकल जाते हैं तो उसकी एक अलग कीमत होगी। आपको बस यह देखना है कि आप कौन सी कीमत चुकाना चाहते हैं। जीवन में करने के लिए कोई सही काम नहीं होता, असली सवाल है कि क्या वह काम करना सबसे अधिक उचित है?

जीवन परिस्थितियों का एक न रुकने वाला सिलसिला है। अगर आप विकास के रास्ते पर हैं तो हो सकता है कि आप लगातार ऐसी परिस्थितियों का सामना कर रहें हों, जिन्हें संभालना आप नहीं जानते हों। हो सकता है कि ये हालात चुनौतीपूर्ण हों, लेकिन ये कोई समस्या नहीं हैं। सही मायने में समस्या वो होगी, जब व्यक्ति के जीवन में कोई नई परिस्थिति ही न हो। इसका मतलब हुआ कि उसकी जिंदगी में एक ठहराव आ गया है। अगर आप लगातार शानदार व गतिशील विकास की प्रक्रिया में रहना चाहते हैं तो आपको लगातार नई परिस्थितयों का सामना करना होगा - जरूरी नहीं कि आपको उन्हें संभालना आता हो। अगर आप इस तरह की तमाम तथाकथित समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो आप एक महान संभावनाओं से भरा जीवन जी रहे हैं।