फिलहाल दुनिया में बीमारियां बेतहाशा बढ़ चुकी हैं, क्योंकि न तो हमारा खानपान ठीक है और न ही हम अपने शरीर का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं।
एक बार की बात है। 35-40 लोगों का हमारा ग्रूप मैंगलोर के पास पश्चिमी घाट के पहाड़ियों पर ट्रेकिंग के लिए गया। हमने सुना था कि करीब छह सप्ताह पहले नेवी का एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना ग्रस्त हो जाने से वहां के जंगल में लापता हो गया। इसी वजह से सेना के जवानों की एक पूरी बटालियन ने वहां कैंप लगाया था। दुर्घटना ग्रस्त हेलिकॉप्टर का पता लगाने के लिए सेना के ये जवान पूरे जंगल को एक सिर से दूसरे सिरे तक छान रहे थे। इधर हम दोस्तों को जंगल में हो रही भारी बारिश की वजह से भोजन बनाने में दिक्कत आ रही थी। ऐसे में हम सेना के कैंप जा पहुंचे। सेना का अफसर उदार आदमी था। हमें वहां देखकर वो बेहद खुश हुआ। उसने हमें भोजन और आराम करने के लिए जगह भी दी।

तभी वहां मौजूद एक सैनिक ने हमसे पूछा, 'आप लोग यहां क्यों घूम रहे हैं?' हमने कहा, 'बस ऐसे ही। हमें घूमना पसंद है।' उसे हमारी बात पर भरोसा ही नहीं हुआ। उसने हैरानी से कहा, 'आप लोग बस ऐसे ही घूम रहे हैं? हम लोग छह हफ्ते से यहां हैं और बेसब्री से इसका इंतजार कर रहे हैं कि कब यह अभियान खत्म हो। हेलिकॉप्टर को ढूंढने के लिए हम लोगों को रोज 20 से 30 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है और एक आप लोग हैं जो बस यूं ही मौज-मस्ती के लिए यहां घूम रहे हैं।' सेना का वह जवान यह नहीं समझ रहा था कि जो व्यायाम उसे मजबूरी में करना पड़ रहा है, वही उसे इतना स्वस्थ और निरोग बनाए हुए है।

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सौ साल पहले साठ साल का एक आदमी जितना काम करता था, आज का बीस साल का नौजवान भी उतना काम नहीं कर सकता। यह सच्चाई है। इसका मतलब है कि हम मानव जाति को कमजोर कर रहे हैं। इस तरह कुछ समय बाद हमारी मानव प्रजाति विकृत हो जाएगी।
सेहत को बनाए रखने के लिए सबसे आसान तरीका है कि आप अपने शरीर का भरपूर इस्तेमाल करें। अगर आप ऐसा करते हैं तो शरीर खुद ही अपने लिए सेहत का इंतजाम कर लेगा। इसका मतलब यह नहीं कि आपको फिर कुछ होगा ही नहीं या आप पूरी तरह स्वस्थ्य हो जाएंगे। मेरे कहने का मतलब यह है कि अगर हमने अपने शरीर का भरपूर इस्तेमाल किया, तो आज धरती पर जो भी बीमारियां हैं, उनमें से अस्सी फीसदी बीमारियां तो अपने आप खत्म हो जाएंगी। बाकी बची बीस फीसदी बीमारियां - जिनमें से दस फीसदी उस भोजन की वजह से हैं, जो लोग खा रहे हैं। इसका मतलब यह हुआ कि अगर खानपान की आदतों को भी बदल दिया जाए तो दुनिया की बस दस फीसदी बीमारियां ही बचेंगी। अगर कुल बीमार लोगों में से नब्बे फीसदी लोग सही खानपान और अपने शरीर का भरपूर इस्तेमाल करने से ही स्वस्थ हो जाएंगे तो बाकी के दस फीसदी को संभालना आसान हो जाएगा। लेकिन फिलहाल दुनिया में बीमारियां बेतहाशा बढ़ चुकी हैं, क्योंकि न तो हमारा खानपान ठीक है और न ही हम अपने शरीर का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं।

इस बात को आसान शब्दों में समझते हैं। जिस तरह आप शरीर का व्यायाम करते हैं, उसी तरह अगर आप अपनी हथेलियों को दिन में कई बार खोलेंगे और बंद करेंगे तो एक महीने बाद आप देखेंगे कि आपके हाथ बहुत अच्छी तरह से काम कर रहे हैं। अगर इसी तरह का व्यायाम आप अपने मस्तिष्क को भी देंगे, तो एक महीने बाद यह भी जबर्दस्त तरीके से काम करने लगेगा। अगर आप अपने दिल और जीवन ऊर्जा के साथ भी ऐसा ही करें तो वे भी आश्चर्यजनक तरीके से काम करना शुरू कर देंगे। जब ये सभी चीजें अच्छी तरह से काम करती हैं, तो हम कहते हैं कि हमारा स्वास्थ्य अच्छा है। स्वास्थ्य कोई ऐसी चीज नहीं है, जिसकी खोज की गई हो। और न ही स्वास्थ्य कोई विचार है। जब जीवन की सभी प्रक्रियाएं सही तरीके से चलती हैं तो हम उसे ही स्वास्थ्य कहते हैं। जब इन प्रक्रियाओं के रास्ते में कोई रुकावट पैदा हो जाती है तो इसे हम बीमारी कहते हैं।

आपको बस अपने शरीर, दिमाग और ऊर्जा का इस्तेमाल करना है। अगर इन तीनों चीजों का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए और ये संतुलित अवस्था में रहें तो आप स्वस्थ होंगे।
अगर आप इस धरती पर आज से दो सौ साल पहले जन्म लेते, तो शारीरिक रूप से आप आज जितने सक्रिय हैं, उससे बीस गुना ज्यादा सक्रिय होते। आप हर जगह खुद चलकर जाते, आप हर काम अपने हाथों से करते, लेकिन आज समय बदल चुका है। अब हम पुराने तरीकों से जीवन नहीं जी सकते, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि हम बीस की उम्र में ही साठ के दिखने लगें। आज से करीब सौ साल पहले साठ साल का एक आदमी जितना काम करता था, आज का बीस साल का नौजवान भी उतना काम नहीं कर सकता। यह सच्चाई है। इसका मतलब है कि हम मानव जाति को कमजोर कर रहे हैं। इस तरह कुछ समय बाद हमारी मानव प्रजाति विकृत हो जाएगी।

आपको बस अपने शरीर, दिमाग और ऊर्जा का इस्तेमाल करना है। अगर इन तीनों चीजों का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए और ये संतुलित अवस्था में रहें तो आप स्वस्थ होंगे। अगर आपने अचानक ज्यादा मेहनत करनी शुरू कर दी तो आपकी तबियत भी खराब हो सकती है, लेकिन अगर आप धीरे-धीरे अपने जीवन में शारीरिक, मानसिक और ऊर्जा आधारित गतिविधियों को बढ़ाएंगे तो आप स्वस्थ होंगे। अगर आपका शरीर अच्छी तरह काम कर रहा है, अगर आपका दिमाग सही तरह से काम कर रहा है और आपकी ऊर्जा इन दोनों को भरपूर सहारा देकर यह सुनिश्चित कर रही हैं कि कुछ गलत न हो, तो आप स्वस्थ होंगे। दूसरे शब्दों में अगर जीवन पूरे प्रवाह में चल रहा है तो वही स्वास्थ्य है।

यह लेख ईशा लहर सितम्बर 2013 से उद्धृत है।

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