विवाह: दो जिन्दगियों को एक धागे में पिरोना
सद्गुरु जीवन में विवाह के महत्व को हमारे साथ बाँट रहे हैं। साथ ही वे अपनी जिंदगी की कुछ यादें भी साझा कर रहे हैं।
सद्गुरु जीवन में विवाह के महत्व को हमारे साथ बाँट रहे हैं। साथ ही वे अपनी जिंदगी की कुछ यादें भी साझा कर रहे हैं।
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आज हमारी प्रिय राधे का संदीप नारायण के साथ शुभविवाह है। आप लोग दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से यहां आए हैं और उनके जीवन के इस खास पल में शामिल हुए हैं। मैं उन सभी लोगों का बहुत आभारी हूं, जिन्होंने राधे के जीवन में एक अहम भूमिका निभाई है। आप लोगों के निरंतर सहयोग के बिना राधे वैसी नहीं होती, जैसी आज वह है। राधे ने चलने से पहले नाचना सीख लिया था और उसकी मां का यह स्वप्न था कि वह एक नर्तक बने।
मैं अक्सर यात्रा करते रहने की वजह से अपनी बेटी को ज्यादा समय नहीं दे पाया, पर किसी न किसी तरह से राधे के संपर्क में बना रहा हूं। तीन साल की उम्र से वह मेरे साथ यात्रा करती रही है, और मेरे साथ लगभग खानाबदोशों सी जिन्दगी जी है। लेकिन जब कहीं कार्यक्रम होते थे, तो कई परिवार लगातार कई महीनों तक उसका ख्याल रखते थे। इतने सालों में लोगों से मिले प्यार और सहयोग से मैं अभिभूत हूं।
दो जिन्दगियों को एक धागे में पिरोना बहुत खूबसूरत होता है। खुद से परे जाकर सोचना, जीना और महसूस करना, अपने भीतर और बाहर दूसरे के लिए जगह बनाना, परम मिलन के लिए एक सोपान बन सकता है।