कृतज्ञ हूं कि तुम हो
इस स्पॉट में सद्गुरु हमें एक कविता लिख कर बता आ रहे हैं, कि उनके दिन कैसा अनुभव ले कर आते हैं...
ArticleNov 30, 2015
इस स्पॉट में सद्गुरु हमें एक कविता लिख कर बता आ रहे हैं, कि उनके दिन कैसा अनुभव ले कर आते हैं...
कृतज्ञ हूं कि तुम हो
कुछ ऐसे भी दिन होते हैं
जो होते हैं अर्थपूर्ण, सार्थक
उन कार्यों की वजह से
जिन्हें करते हैं संपादित- हम और आप
फिर कुछ ऐसे भी दिन होते हैं
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जो होते हैं अर्थहीन
किन्तु होते हैं शानदार
अर्थ और उपयोगिता के
क्षुद्र कृत्यों के बिना ही।
किन्तु कुछ होते हैं ऐसे भी दिन
जो होते हैं नितांत रिक्त
अर्थहीन, उपयोगिता और सौंदर्य से रहित।
बस कृतज्ञ हूं कि
है एक अस्तित्व
मुझसे परे और मुझमें भी।
असीम किन्तु मुझमें समाया भी।
Love & Grace