कैसे जानेंगे हमारे ऊपर कृपा है?
हम लोग गुरु का सान्निध्य पाने पर खुद में कुछ बदलाव महसूस करते हैं। इसे गुरु कृपा भी कहा जाता है। लेकिन क्या गुरु से दूर होने पर भी गुरु-कृपा महसूस की जा सकती है?
हम लोग गुरु का सान्निध्य पाने पर खुद में कुछ बदलाव महसूस करते हैं। इसे गुरु कृपा भी कहा जाता है। लेकिन क्या गुरु से दूर होने पर भी गुरु-कृपा महसूस की जा सकती है?
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प्रश्न:
यह हम कैसे जान सकते हैं कि गुरु की कृपा हम पर है?
सद्गुरु:
कभी आपने गौर किया है कि जब आप किसी होटल की लॉबी में जाते हैं तो वहां एक संगीत बज रहा होता है, लेकिन कुछ देर बाद आपको उसका अहसास होना ही बंद हो जाता है। उसके बाद आपको उसके होने के अहसास तभी होता है, जब आपको अपनी बातचीत में वह संगीत बाधा लगता है।
सवाल उठता है कि अगर कोई चीज लगातार हो रही है और आपको उसका पता नहीं चल पा रहा है तो उसमें परेशानी क्या है? दरअसल, जीवन तो तब भी घटित होता रहेगा, लेकिन कृपा में बने रहने का जो आनंद है, उससे आप पूरी तरह से वंचित रह जाते हैं। कृपा कोई आने जाने वाली अथवा मिलने या रुकने वाली चीज नहीं हैं, यह हमेशा बनी रहती है। न ही यह कोई ऐसी चीज है, जिसके लिए आप हर सप्ताहांत या हफ्ते परेशान हों। यह तो लगातार बनी रहने वाली चीज है। बस आपको इसके प्रति सजग होना पड़ेगा, ताकि आप कृपा में बने रहने का आनंद उठा सकें।
जब मैं कहता हूं कि कृपा में बने रहने का आनंद तो आपको इसे समझना पड़ेगा। मैंने इसे कई बार कई तरह से समझाया है, लेकिन मुझे विश्वास है कि आपमें से ज्यादातर लोगों ने इसकी अनदेखी करना ही बेहतर समझा। दरअसल, एक बार आप मेरे साथ बैठ गए या मेरे सानिध्य में आ गए तो फिर आपके जीवन में एक पल के लिए निजता या प्राइवेसी जैसी चीज नहीं रहती।
कृपा का मतलब यह हर्गिज नहीं कि यह आपकी तुच्छ योजनाएं और इच्छा पूरी करे। वैसे भी आपकी योजनाएं लगातार बदलती रहती हैं। आपके जीवन के विभिन्न स्तरों पर आप सोचते हैं कि ‘यह होना चाहिए’, लेकिन अगले ही पल आप अपने निर्णय या इच्छाओं को बदल देते हैं। आप छुट्टी पर जाना चाहते हैं तो आप कहते हैं- ‘सद्गुरु, आप इसमें मेरी मदद क्यों नहीं करते?’ आए दिन आप यह सवाल मत कीजिए कि ‘मुझ पर कृपा है या नहीं?’ गुरु की कृपा आपकी योजनाओं को पूरा करने के लिए नहीं होती, बल्कि यह आपके जीवन की योजना को पूरा करने के लिए होती है। यह आपको जीवन का एक हिस्सा बनाने के लिए होती है, इसे अपनी पूर्णता पर पहुंचने दीजिए।