यंत्र विज्ञान
सद्गुरु यंत्रों के विज्ञान के अनेक पहलूओं के बारे में बता रहे हैं, वे बताते हैं कि यंत्रों को तमाम रूपों के मेल से तैयार किया जाता है।.
यंत्र विज्ञान
सद्गुरु: यंत्र का शाब्दिक अर्थ है, मशीन। एक मशीन कुछ ऐसे रूपों का मेल होती है, जिनका उद्देश्य बहुत स्पष्ट होता है। अगर आप किन्हीं चीज़ों को किसी स्पष्ट उद्देश्य के साथ बना कर, एक साथ जोड़ दें - जैसे दस गीयर व्हील एक साथ जोड़ दें - तो यह एक मशीन बन जाएगी। एक यंत्र का रूप किसी निश्चित उद्देश्य के लिए सरल या जटिल हो सकता है। यंत्रों के मेल से एक विशाल यंत्र बनता है - एक विशाल मशीन।
अगर आप मनुष्य के रूप को देखें, तो यह एक अद्भुत मशीन है - इस धरती की सबसे परिष्कृत मशीन। फिर भी जब हम बच्चे थे तो हमें साइकिल बहुत पसंद थी, जो हमारे शरीर से कहीं सरल मशीन थी। क्यों? एक इंसान अपनी दो टाँगों से चल सकता है पर अगर उसे, उससे भी तेज़ चलना हो तो उसे अपने लिए अतिरिक्त यंत्र की आवश्यकता होगी। इस तरह बचपन में हमें लगता था कि साइकिल मिलने पर जीवन में सब कुछ मिल गया। उस यंत्र का हमारे जीवन में एक गहरा प्रभाव था। इसके बाद हमने किसी को यामहा बाइक चलाते देखा और अचानक लगने लगा कि हमारे पास वह यंत्र होना चाहिए। फिर उसके बाद, किसी को मर्सीडीज कार में जाते देखा, ऐसा लगा कि वह यंत्र हमारे पास होना चाहिए था।
ठीक इसी तरह, हमारे पास अन्य यंत्र भी हैं जो हमारे मानसिक जगत का विस्तार करते हैं। एक कंप्यूटर हमारे मन की देन है पर फिर भी अगर हमें 1736 को 13,343 से गुणा करने को कहा जाए तो हम कैलकुलेटर की ही मदद लेंगे - एक यंत्र। कैलकुलेटर में जो है, वो हमारे मन में भी है पर किसी विशेष उद्देश्य से रचा गया ये रूप या एक यंत्र हमारे शरीर को बेहतर तरीके से प्रयोग में लाने की सुविधा देता है। यंत्र हमारे भौतिक शरीर की क्षमताएं बढ़ाने में मदद करता है। इंसान के बिना मशीन किसी काम नहीं आ सकती। मशीन बस मनुष्य की क्षमताएं बढ़ाती है। भले ही आपके पास एक विलक्षण यंत्र के तौर पर, यह मानव देह मौजूद है परंतु आपकी महत्वाकांक्षा और गतिविधियाँ एक निश्चित दायरे से सदा आगे बढ़ती जाती हैं, इसके लिए आपको अधिक से अधिक यंत्रों की सहायता लेनी होगी। अगर आपके पास उन गतिविधियों के लिए निश्चित मशीनें होंगी, तो आपका काम काफी हद तक सरल हो जाएगा। कैलकुलेटर में जो है, वो हमारे मन में भी है। ऐसा नहीं है कि गणना मन नहीं हो सकती, पर किसी किसी विशेष उद्देश्य से रचा गया ये रूप या एक यंत्र हमारे शरीर को बेहतर तरीके से प्रयोग में लाने की सुविधा देता है। यंत्र हमारे भौतिक शरीर की क्षमताएं बढ़ाने में मदद करता है। इंसान के बिना मशीन किसी काम नहीं आ सकती। मशीन बस मनुष्य की क्षमताएं बढ़ाती है। भले ही आपके पास एक विलक्षण यंत्र के तौर पर, यह मानव देह मौजूद है परंतु जैसे-जैसे आपकी महत्वाकांक्षा और गतिविधियाँ एक निश्चित दायरे से आगे बढ़ती जाती हैं, आप अधिक से अधिक यंत्र जोड़ते चले जाते हैं, क्योंकि अगर आपके पास उन गतिविधियों के लिए निश्चित मशीनें होंगी, तो आपका काम काफी हद तक सरल होता चला जाता है।
लिंग भैरवी यंत्र भी इसलिए ही बना है। यह भी एक अलग प्रकार का यंत्र या मशीन है। यंत्र भौतिक या ऊर्जा रूप में हो सकते हैं; भले ही दोनों अलग तरह से काम करते हों, परंतु वे एक ही लक्ष्य के लिए काम करते हैं।
लिंग भैरवी यंत्र इस तरह तैयार किया गया है कि यह आपके जीवन के निश्चित आयामों में निखार लाता है। यह आपके तंत्र पर एक खास तरह का असर डालता है, और आपके रहने की जगह, जीवन तथा भाग्य की दिशा को सँवारता है।
आरंभिक समय में, मंदिरों के निर्माण की प्रक्रिया का मूल उद्देश्य सबके लिए ऐसे शक्तिशाली यंत्रों का निर्माण करना था। मंदिर ऐसे शक्तिशाली यंत्र थे, जिनसे पूरे नगर को लाभ हो सकता था। दक्षिण भारत में पंचभूत मंदिर, पाँच प्रधान मंदिरों का निर्माण किया गया। वे किसी देवता को समर्पित नहीं थे, उन्हें अग्नि, धरती, जल, वायु व आकाश - इन पाँच तत्वों को समर्पित किया गया था। ये मंदिर इस तरह बनाए गए कि सबसे महत्वपूर्ण मंदिर, आधारभूत या मूल मंदिर को चुंबकीय भूमध्यरेखा पर स्थान मिले - इसे भौगोलिक भूमध्यरेखा पर बनाने की बजाए, चुम्बकीय भूमध्यरेखा पर बनाया गया, जो तमिलनाडू से हो कर निकलती है। अन्य चार मंदिर भी इसी मूल मंदिर की सीध में बने ताकि सारे प्रांत को इस अद्भुत यंत्र से लाभ मिल सके।
ऐसे यंत्रों की स्थापना, इस संस्कृति का बुनियादी पक्ष था। हर नगर में, पहले एक मंदिर - एक विलक्षण यंत्र बनाया जाता। इन मंदिरों को बनाने वाले भले ही झोंपड़ियों मे रहते हों परंतु इससे उन्हें कोई अंतर नहीं पड़ता था क्योंकि उन्हें पता था कि जब तक उनके लिए वे यंत्र कारगर होंगे, उनका जीवन अच्छे से चलता रहेगा।
वर्तमान समय में, ऐसे सार्वजनिक यंत्रों को बनाना और उनका रख-रखाव करना बहुत कठिन होता जा रहा है। यही वजह है कि निजी वस्तुओं को तैयार किया जाने लगा है। लिंगभैरवीयंत्र भी ऐसा ही एक यंत्र है। यह बहुत ही निजी शक्तिशाली यंत्र है, यह आपके घर में स्वयं ही एक ऐसा स्थान और वातावरण रच देता है, जिससे स्वाभाविक रूप से आपके जीवन में सब कल्याणकारी व शुभ होने लगता है।