आदियोगी शिव पर सद्गुरु की नई किताब
आज के स्पॉट में सद्गुरु अपनी आने वाली किताब ‘आदियोगी: द सोर्स ऑफ योग’ एक शुरुआती झलक दिखलाते हुए बता रहे हैं कि कैसे आने वाली महाशिवरात्रि हम सबके जीवन की अभूतपूर्व घटना होने वाली है। इस स्पॉट के स्लाइड शो में आप योगेश्वर लिंग की प्राण-प्रतिष्ठा, आदियोगी की प्राण प्रतिष्ठा और महाशिवरात्रि उत्सव की तैयारियों की तस्वीरें भी देख सकते हैं।
‘आदियोगी शिव’ पर मेरी नई पुस्तक को हम इस महाशिवरात्रि को रिलीज करने जा रहे हैं। जब लोग मुझसे इसके बारे में पूछते हैं, तो मुझे कहना पड़ता है कि यह बहुत अलग तरह की किताब है। इसमें तीन आयाम आपस में गुंथे हुए हैं।
इस पुस्तक के एक नमूने को देखने के बाद हार्पर कालिंस इसके अंग्रेजी संस्करण को छापने के लिए उत्सुक थे, तो इसमें कोई खासियत जरूर होगी। यह किताब तमिल में भी उपलब्ध होगी। इसे विदेशी पाठकों के अनुकूल बनाने के लिए हम अंग्रेजी में एक संशोधित संस्करण लाना चाहते हैं। इस संस्कृति से पूरी तरह अनजान लोगों को भारतीयों के मुकाबले ज्यादा चीजें समझाने की जरूरत पड़ेगी। इस संस्कृति में हम कमोबेश इन्हीं कहानियों के साथ बड़े होते हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी मुंहजबानी आगे बढ़ती रही हैं। वैसे यह पुस्तक ऑनलाइन स्टोर्स पर हर कहीं उपलब्ध होगी, मगर कुछ समय तक भारत के बाहर हम इसे प्रकाशित नहीं करेंगे। मैं इसे संशोधित करने और कुछ चीजों की व्याख्या जोड़ने में कुछ सप्ताह लगाना चाहता हूं। मैंने यह किताब अरुंधती के साथ लिखी है, जिन्होंने मेरी जीवनी ‘मोर देन ए लाइफ’ लिखी है। उनका आलोचनात्मक नजरिया किताब को और खास बना देता है।
आदियोगी शिव की किताब के तीनों पहलू – मिथक, विज्ञान और आंतरिक अनुभव – एक साथ मिलकर एक उम्दा रचना तैयार करते हैं। यह एक नई विधा है जो किसी मानक श्रेणी जैसे पुराण, विज्ञान या आध्यात्मिक सेल्फ हेल्प जैसी किसी श्रेणी में फिट नहीं बैठती। पुस्तक के अलौकिक न सही, रहस्यमय चरित्र की एक और खासियत है, इसका भौगोलिक मूल। इस पुस्तक का विचार हिमालय के ऊपरी इलाके में आया, जहां पंद्रह हजार साल पहले आदियोगी पहली बार प्रकट हुए थे।
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शिव की भूमि की यात्राओं, कैलाश जाने और वहां से वापस आने के दौरान मैंने जो चीजें कही हैं, इस पुस्तक ने काफी हद तक उसी से आकार लिया है। यही वजह है कि इसमें यात्रा वृतांत का गुण भी है।
ईशा योग केंद्र में हम योगेश्वर लिंग और आदियोगी शिव के 112 फीट ऊंचे चेहरे की प्राण-प्रतिष्ठा तथा महाशिवरात्रि की तैयारियों में दिन-रात लगे हुए हैं। मैं चाहता हूं कि आप सब इस ऐतिहासिक घटना के सहभागी बनें। यह एक असाधारण घटना है। मैं पूरी क्षमता में मौजूद रहूंगा और साथ ही मेरे साझीदार – प्रथम योगी भी। यह योग के सब्जेक्टिव साईंस यानी व्यक्तिपरक विज्ञान को संजोने की दिशा में भी एक कदम होगा। यह सब महज निर्देशों के जरिए नहीं बल्कि ऊर्जा के स्रोत को स्थापित करके किया जाएगा।
संपादक की टिप्पणी:
20 फरवरी से 23 फरवरी तक ईशा योग केंद्र में सद्गुरु योगेश्वर लिंग की प्रतिष्ठा करने वाले हैं। इन्हीं दिनों यक्ष महोत्सव भी आयोजित होगा, और इसका सीधा प्रसारण आप यहां देख सकते हैं।
महाशिवरात्रि की रात होने वाले आयोजनों का सीधा प्रसारण आप यहां देख सकते हैं।
महाशिवरात्रि की रात के लिए खुद को तैयार करने के लिए आप एक सरल साधना कर सकते हैं। इसके बारे में ज्यादा जानकारी के लिए यहां जाएं।