ईशा इंस्टिट्यूट ऑफ़ इनर साइंसेस में सत्संग के दौरान एक साधक ने एक व्यक्तिगत प्रश्न पूछ लिया जो जुड़ा था रिश्तों के संकट से :
प्रश्नकर्ता: मैं पिछले आठ सालों से एक रिश्ते में हूँ, और मैं उसका बहुत ख्याल रखता हूँ। मैं अपनी साधना नियमित रूप से करता हूँ और धीरे-धीरे उसमें गहनता भी बढ़ रही है। मेरी साथी वैसे तो बहुत सहयोगी है लेकिन अपने परिवार के साथ गांजे का सेवन करती है। मैं उसमें आगे बढ़ने की इच्छा नही जगा पा रहा, ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए? मैं हमेशा दुविधा में रहता हूँ कि ब्रह्मचारी बन जाऊं या परिवार के साथ रहूँ?
सद्गुरु: भारत में जब मैं बड़ा हो रहा था उन दिनों की बात है। मैं अक्सर सुना करता था जब महिलाएँ अपनी लड़कियों की शादी के लिए रिश्ते की बात करती थीं। वे कहती थीं – ‘नहीं, नहीं, उनके परिवार में आदमी शराब पीते हैं, हम अपनी लड़की वहां नहीं दे सकते।’ ये हालत थी। अब हालत ये है कि अगर आप शराब न पिलाएँ तो कोई आपके यहाँ शादी में नहीं आएगा।
आपके लिए क्या काम करेगा
वो दिन बहुत दूर नहीं है कि यदि आप गांजा नहीं पिलाएँगे तो कोई शादी में नहीं आएगा। भारत में पहले से ही कुछ जगहों पर ऐसा हो रहा है कि अगर आप नशा न परोसें तो कोई आपके किसी समारोह में नहीं आएगा, क्योंकि ये एक प्रथा रही है। दरअसल लोग किसी से समर्थन चाहते हैं। यदि कानून कह दे कि ये जायज़ है तो लोग सोचते हैं वे पी सकते हैं।
केवल इसलिए कि ये कानूनी है, क्या ये आपके लिए कुछ अच्छा कर रहा है? अमेरिका में बन्दूक रखना कानूनी है तो क्या इसका मतलब ये है कि आप अपने आप को गोली मार लें। किसी चीज़ का कानूनी होना उसे सही नहीं बना देता। किसी चीज़ का कानूनी होना या गैर-कानूनी होना एक सामाजिक मुद्दा है।
आप अपने रिश्तों के साथ क्या करें ये बताना मेरा काम नहीं है। मैं यहाँ ये बताने के लिए हूँ कि आपको अपने साथ क्या करना चाहिए।
मैं आम तौर पर इस तरह रिश्तों के लिए काउन्सलिंग नहीं करता। जब आप हाई स्कूल में होते हैं तो आप किसी के भी प्यार में पड़ सकते हैं क्योंकि आपकी बुद्धिमत्ता पर आपके हारमोंस क़ब्ज़ा कर चुके होते हैं। अब अगर आपका रिश्ता वैसे नहीं चल पा रहा जैसा आप चाहते हैं, तो ये आप पर और आपके साथी के ऊपर है। आप अपने रिश्तों के साथ क्या करें ये बताना मेरा काम नहीं है। मैं यहाँ ये बताने के लिए हूँ कि आपको अपने साथ क्या करना चाहिए।
क्या मुझे अपनी साथी के साथ रहना चाहिए या साधू बन जाना चाहिए?
अब आप एक रिश्ते में हैं लेकिन आप संन्यासी हो जाने की बात कर रहे हैं। तो क्या आप ये कहना चाहते हैं कि आप तब तक के लिए साधू होना चाहते हैं जब तक कोई दूसरा न मिल जाए? ये चालबाज़ी है। आप जिसे संन्यासी बनना कहते हैं उसे हम ब्रह्मचर्य कहते हैं। ब्रह्मचर्य यानि सत्य के मार्ग पर चलना, दिव्यता के मार्ग पर चलना। ये ऐसा नहीं है कि आपकी साथी नशा करती है तो आप ब्रह्मचारी हो जाएँ। ये पूरी तरह से एक दूसरा आयाम है। क्या आप ब्रह्मचर्य के लिए सही हैं और क्या आपमें वो झुकाव है? ये हमें देखना होगा।
यदि आप अपना मन बनाते हैं तो हम आपको यहाँ जगह देंगे। एक महीने के लिए बस यहाँ रहिए। हम आपको कुछ साधना सिखाएँगे। जब आप स्वाभाविक रूप से शांतिपूर्ण और प्रसन्न होंगे, जब आपकी सोच साफ़ होगी तब निर्णय लीजिए और फिर पलटकर मत देखिए। मैं नहीं जानता कि आप अपनी साथी के पास वापस जाएंगे या किसी और रास्ते जाएंगे। लेकिन अपने साथी का विकल्प यहाँ मत ढूंढिए। हमने ये जगह इसलिए नहीं बनाई है। यदि मुझे यही करना होता तो मैं कोई डेटिंग एप बनाता।
हालाँकि इसमें कुछ गलत नहीं है। बात बस ये है कि हर चीज़ एक ख़ास मकसद से बनाई जाती है। इस जगह को आपको उस मकसद के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। आप एक डेटिंग एप पर जाकर ये नहीं कह सकते कि मुझे साधू बनना है।