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Wisdom
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यह शरीर बस धरती माता से लिया हुआ कर्ज है। एक दिन आपको यह कर्ज लौटाना होगा।
अगर अज्ञानता ही आनन्द होती, तो अब तक सारी दुनिया आनन्द में डूब चुकी होती।
जो लोग अपना पद्चिह्न छोड़ना चाहते हैं, वे कभी उड़ नहीं पाएंगे।
जैसे ही आप किसी चीज को पसंद या नापसंद करते हैं, आप उसे वैसे नहीं देख सकते जैसी वो है।
आप योग का उपयोग अपने पीठ दर्द से छुटकारे के लिए कर सकते हैं, या अपनी एकाग्रता और मन की शांति को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं - या आप उसे ईश्वर तक पहुंचने की सीढ़ी के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
प्रेम कोई ऐसी चीज नहीं है जो आप करते हैं - ये ऐसी चीज है जो आप बन सकते हैं।
भावनाएं जीवन का रस हैं। जब वे बेकाबू हो जाती हैं, तो पागलपन बन जाती हैं।
अगर आप अपनी नियति को अपने हाथ में लेना चाहते हैं, तो पहला कदम है अपने शरीर और मन का नियंत्रण अपने हाथ में लेना।
आध्यात्मिक प्रक्रिया एक यात्रा जैसी होती है - लगातार परिवर्तन। हमेशा नई जगहें।
गुरु पूर्णिमा बस एक उत्सव नहीं है - यह आतंरिक विकास के लिए एक प्रतिबद्धता है। आप अपने जीवन का अनुभव कैसे करते हैं, यह आपके द्वारा तय होता है। मेरी यह कामना है कि आप परम मुक्ति को प्राप्त हों। गुरु की कृपा आप पर है। प्रेम और आशीर्वाद।
संभावना और वास्तविकता के बीच एक दूरी होती है। क्या आपमें इस दूरी को तय करने का साहस और निष्ठा है?
अस्तित्व में एकरूपता है और सभी प्राणियों में अनोखापन है। इसे पहचानना और इसका आनन्द लेना ही आध्यात्मिकता का सार है।