अगर आप अपनी पहचान पूरे विश्व के साथ (वसुधैव कुटुम्बकम्) बनाते हैं, तो आपकी बुद्धि हर किसी की खुशहाली के लिए काम करेगी। आप निजी महत्वाकांक्षा को लेकर कार्य नहीं करेंगे, बल्कि आपके पास हर चीज को लेकर एक विशाल दृष्टि होगी और आप उस दृष्टि के साथ कार्य करेंगे।