अखंडता और संपूर्णता
अगर किसी व्यक्ति को इस तरह की संपूर्णता और एकात्म भाव को महसूस करना है तो इसके लिए ज़रूरी है कि शरीर, मन व ऊर्जा, उसके भीतर गहनता के एक निश्चित स्तर पर काम करें।
सद्गुरु: बुनियादी तौर पर, हेल्थ शब्द, मूल रूप से, ‘होल’ शब्द से आया है। जिसे हम कहते हैं, हेल्दी फील करना, उसका मतलब है कि हम अपने भीतर संपूर्णता को महसूस कर रहे हैं। केवल चिकित्सीय लिहाज़ से रोग से मुक्त होना ही अच्छी हेल्थ नहीं है। अगर हम अपनी देह, मन व आत्मा के साथ स्वयं को संपूर्ण मनुष्य के रूप में महसूस कर सकते हैं, तो हम सही मायनों में हेल्दी या सेहतमंद हैं। बहुत से लोग ऐसे हैं, जिन्हें कोई रोग तो नहीं किंतु वे सही मायनों में सेहतमंद नहीं है क्योंकि उन्हें अपने भीतर खुशहाली का अनुभव नहीं होता।
अगर किसी व्यक्ति को इस तरह की संपूर्णता और एकात्म भाव को महसूस करना है तो इसके लिए ज़रूरी है कि शरीर, मन व ऊर्जा, उसके भीतर गहनता के एक निश्चित स्तर पर काम करें।
चिकित्सीय दृश्टि से, भौतिक तौर पर, एक व्यक्ति भले ही सेहतमंद हो पर उसकी ऊर्जाएँ आलस्य की चपेट में हो सकती हैं। ऐसे व्यक्ति के लिए बाहरी व भीतरी तौर पर, सब कुछ वैसा घटित नहीं होता, जैसा वह चाहता है। दरअसल यह इसलिए हो रहा है कि वह अपनी ऊर्जा का ध्यान नहीं रख रहा है।
आप अपने जीवन में जिस भी शारीरिक या मानसिक परिस्थिति से हो कर गुज़रते हैं, उसके लिए बुनियादी तौर पर, एक ऊर्जा आधार होता है, जो रसायनिक आधार की तरह सामने आता है। एक तरह से, आधुनिक एलोपैथिक दवाएँ, एक तरह से रसायन ही बन कर रह गई हैं। आप अपने शरीर में पैदा होने वाली किसी भी परेशानी के लिए कोई दवा यानी केमिकल लेने की कोशिश करते हैं और थोड़ा संतुलन पा लेते हैं। अगर आप किसी पक्ष को नीचे लाने या किसी दूसरे पक्ष को उभारने के लिए एक केमिकल का प्रयोग करते हैं, तो उसके दुष्प्रभाव भी सामने आते हैं। इस दुष्प्रभाव के लिए हमारे पास उसका एंटीडोट यानी प्रतिकार है और उसके दुष्प्रभावों को मिटाने के लिए एक और दवा है, इस तरह यह अंतहीन सिलसिला कभी समाप्त ही नहीं होता।
एक मनुष्य के भीतर बहुत सारे एसिड बन रहे हैं, आप उसके शरीर में एल्केलाइन प्रभाव वाली दवा डाल देते हैं। पर उसके शरीर में इतने एसिड क्यों बन रहे हैं? क्योंकि उसका मन, शरीर और उसकी सारी ऊर्जा इसी तरह काम कर रही है।
आपके शरीर में रसायनिक स्तर पर जो भी घटता है, वह आपकी ऊर्जाओं के काम करने के तरीके से नियंत्रित होता है। योग में, जब हम सेहत शब्द का नाम लेते हैं, हम शरीर या मन को नहीं देखते, हम केवल ऊर्जा को देखते हैं - वह किस रूप में है। अगर आपका ऊर्जा शरीर पूरी तरह से संतुलन में होगा, पूरी तरह से प्रवाह में होगा, तो आपके भौतिक व मानसिक शरीर की सेहत भी अच्छी बनी रहेगी। इस बारे मे कोई संदेह नहीं है।
ऊर्जा शरीर को पूरी तरह से प्रवाह में रखने के लिए किसी प्रकार की हीलिंग करने की आवश्यकता नहीं है। आपको अपने ऊर्जा-तंत्र के आधार की ओर जाते हुए, उसे उचित रूप से सक्रिय करना होगा, एक बुनियादी यौगिक अभ्यास अपनाना होगा, जो आपकी ऊर्जा को इस तरह संतुलित कर सके कि आपका मन और शरीर प्राकृतिक रूप से ही बेहतर काम करें।
जब भी सेहत की बात आती है, तो कोई भी मनुष्य जीने के लिए संपूर्ण बाहरी स्थिति नहीं पा सकता। जीवन के दबाव, हमारा भोजन, हमारी श्वास लेने वाली वायु हमारा पेय जल, यह सब हमें कई तरह से प्रभावित करता है। पर अगर हमारे तंत्र की ऊर्जा उचित प्रकार से विकसित होगी और सक्रिया बनी रहेगी, तो ये बातें आप पर अधिक असर नहीं डाल सकेंगी।