इस नदी स्तुति की रचना इसलिये की गई है कि हम अपनी नदियों के प्रति गर्व का अनुभव करें तथा सभी को जागरूक करें कि हमारी नदियां तेजी से सूख रही हैं, जिससे हम अपनी नदियों को बचाने के कार्य को शीघ्रता से कर सकें।
भारत की नदियों ने हज़ारों सालों से हमारा पोषण किया है, आज उनमें जल स्तर बड़ी तेजी से घटता जा रहा है। आजादी के बाद से, औसतन सभी प्रमुख नदियों का जलस्तर लगभग 40% तक घट गया है। इन नदियों ने हजारों सालों से हमें गले लगाया है और हमारा पालन-पोषण किया है। अब समय आ गया है कि हम नदियों को गले लगाएं और उनका पोषण करें। क्योंकि हमारे देश की महानता इसकी महान नदियों पर निर्भर करता है।
भारतम् महाभारतम्
गंगा नर्मदा पुण्य तीर्थम्
सिंधु सरस्वती कावेरी
जीवन कारण मूल तत्वम्
नदी राष्ट्रस्य महाअमृतम्।।
भारतम्।।
अर्थ: भारत की पुण्य भूमि में गंगा, नर्मदा, सिंधु, सरस्वती, कावेरी जैसी कई नदियां बहती हैं। इन नदियों का जल पवित्र है। इन नदियों के किनारे ही हमारा देश फला-फूला है। हमने इन नदियों को जल के स्रोत के रूप में नहीं देखा, बल्कि हमने इनको देवी-देवताओं की तरह पूजा है। जीवन को गढ़ने वाले मूल तत्व - ये नदियां ही हैं। ये भारत के लिए महाअमृत के समान हैं।
इस नदी स्तुति की रचना इसलिये की गई है कि हम अपनी नदियों के प्रति गर्व का अनुभव करें तथा सभी को जागरूक करें कि हमारी नदियां तेजी से सूख रही हैं, जिससे हम अपनी नदियों को बचाने के कार्य को शीघ्रता से कर सकें।
सद्गुरु खुद गाड़ी चलाकर कन्याकुमारी से हिमालय तक की यात्रा करेंगे। यह नदी अभियान 16 राज्यों से गुजरेगा जहां बड़े समारोह आयोजित किए जाएंगे ताकि पूरे देश में यह जागरूकता पैदा की जा सके कि हमारी नदियां मर रही हैं।
इस नदी अभियान में अपना योगदान दें। 80009 80009 पर मिस्ड कॉल करें।
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