नदी अभियान : देखें लाइव - दिल्ली में हुए समापन कार्यक्रम की झलकें
नदी अभियान रैली का अंतिम कार्यक्रम दिल्ली में आयोजित किया गया। इस अभियान में माननीय उप राष्ट्र पति श्री वेंकैया नायडू उपस्थित थे, और गायक सोनू निगम ने प्रस्तुति दी। देखते हैं कुछ झलकें
जागरूकता बढ़ाने के लिए पूरे माह चली राष्ट्रव्यापी नदी अभियान यात्रा के अंतिम कार्यक्रम को समापन कार्यक्रम कहना ठीक नहीं होगा। यह एक ऐसा कार्यक्रम था जिसका उद्देश्य बहु आयामी था। जैसी कि हमने उम्मीद की थी, यह उन विजयों का एक उत्सव था जो रैली को हर राज्य में मिलीं थीं। लेकिन एक उच्च स्तर पर, यह हमारी प्रगति और भविष्य की संभावनाओं की एक जांच थी - जिससे हमें पता चला कि यह रैली वास्तव में एक शुरुआत भर है। जैसा कि रॉबर्ट फ्रॉस्ट के प्रसिद्ध शब्द बताते हैं "हमें आराम करने से पहले मीलों लम्बी दूरी तय करनी है।"
बारह करोड़ मिस्ड कॉल मिल चुके हैं
आज हमें बारह करोड़ मिस्ड कॉल मिल चुके हैं,जो शुरुआत में निर्धारित लक्ष्य का केवल चालीस प्रतिशत है, इसलिए सद्गुरु ने इस संख्या को कुछ बढ़ा कर इसे साठ करोड़ कर दिया। चाहे हमें तीस करोड़ कॉल की जरुरत हो या साठ करोड़ की हम निश्चित रूप से लक्ष्य के करीब नहीं थे, लेकिन छोटे उत्सव के लिए बहुत बुरी तरह से दूर भी नहीं थे। सद्गुरु ने हमें बचे हुए एक महीने से कुछ कम के समय में अपनी दैनिक बोलचाल का कम से कम दस प्रतिशत नदी अभियान के बारे में बातें करते हुए बिताने के लिए कहा, ताकि हम आवश्यक संख्या तक पहुंच पाएं।
उन्होंने हमें बताया कि नदी पुनरोद्धार नीति की सिफारिश को पारित करने के लिए भी बहुत सारा काम किया जाना बाकी है। उन्होंने बचे हुए कामों की संक्षिप्त जानकारी दी, और कहा कि आने वाले महीनों में विभिन्न कार्यों के लिए स्वयंसेवकों को बड़े पैमाने पर भर्ती और प्रशिक्षित किया जाएगा। ये प्रक्षिक्षण हर राज्य में नीति के कार्यान्वयन के लिए दिया जाएगा।
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सद्गुरु का जबरदस्त संचालन
सद्गुरु ने जिस तरह पूरा सफ़र खुद गाड़ी चलाकर तय किया, और रैली को संचालित किया वो उनकी उम्र के किसी व्यक्ति के लिए, या फिर कसी भी उम्र के व्यक्ति के लिए कोई आसान काम नहीं हो सकता। वे तीस दिनों तक गाड़ी चलाते रहे, एक बार उन्होंने एक दिन में 18 घंटे गाड़ी चलाई और कुल मिलाकर 9300 किमी का सफ़र तय किया। वे हर उस इन्सान से मिलने के लिए रुके जिसके हाथ में उन्होंने एक नीला प्लैकार्ड देखा। उन्होंने छोटे और बड़े 140 कार्यक्रम में भाषण दिए, और 180 मीडिया इंटरव्यू दिए – कुछ इंटरव्यू तो गाड़ी चलाते हुए दिए। सबसे बढ़कर उन्होंने कभी भी अपने चेहरे की मुस्कुराहट और अपने भीतर के आनंद को नहीं खोया। बैठक में मौजूद स्वयंसेवकों की सद्गुरु की इस पूरी रैली के प्रति की भावनाएं इतनी जबरदस्त थीं, कि इस भाव को कृतज्ञता कहना काफी नहीं होगा।
30-दिवसीय रैली सिर्फ एक शुरुआत है, और जिम्मेदार नागरिकों के रूप में हमें देश के अंदरूनी क्षेत्रों तक पहुँचने के लिए बहुत सारा काम करना होगा, ताकि हम अपनी सूखती नदियों का सन्देश उन तक पहुंचा सकें और मिस्ड कॉल देने के लिए उन्हें प्रेरित कर सकें। हमारे दो मूल लक्ष्य हैं, पहला, मध्यम अवधि का लक्ष्य - प्रत्येक नागरिक द्वारा व्यक्तिगत जिम्मेदारी की स्वीकृति, कि वे इसके लिए मतदान करें और दूसरा – लम्बी अवधि के समाधान को अगले 20-30 वर्षों तक उसके कार्यान्वयन के दौरान समर्थन देना।
पृथ्वी के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ
एक जागरूकता अभियान के रूप में शुरू हुआ ये अभियान, अब एक बड़े पैमाने का जन आंदोलन बन गया है। इस अभियान के सिर्फ पर्यावरण से जुड़े परिणाम ही नहीं होंगे, इसके बहुत से अन्य परिणाम भी देखने को मिलेंगे। ये हमें नदियों को आत्मिक स्तर पर अपना एक हिस्सा बनाने के लिए प्रेरित करेगा। इस अभियान का यही सन्देश है, जिसे लोगों को समझना होगा।
इस अभियान के द्वारा लोगों को ये एहसास हुआ है कि मौजूदा हालातों के बारे में कुछ करने की ज़िम्मेदारी प्रत्येक व्यक्ति की है। ये जिम्मेदारी सिर्फ आध्यात्मिक, राजनीतिक या आर्थिक नेताओं की ही नहीं है। पृथ्वी के इतिहास में इतने बड़े स्तर पर ऐसा इससे पहले कभी नहीं हुआ! अगर हम इतिहास बना सकते हैं, तो हम भविष्य को भी बना सकते हैं। जैसा सद्गुरु ने कहा, "हमारी नदियों को बहना होगा। चलो ऐसा कर दिखाते हैं!"