जब हम अपने घर लेकर आए देवी यंत्र
एक पति-पत्नी, जो देवी-यंत्र को अपने घर ले गए, यहाँ आपसे अनुभव साझा कर रहे हैं:
सद्गुरु कहते हैं, "हर इंसान एक प्रतिष्ठित स्थान में रहने का हकदार है - एक ऐसी जगह जो आपको दुनिया के तौर-तरीकों से आगे बढ़ने में मदद करती है।" घरों और कार्यालयों को प्रतिष्ठित बनाने के प्रयास में, सद्गुरु लोगों को लिंग भैरवी यंत्र और लिंग भैरवी अविघ्ना यंत्र भेंट कर रहे हैं - जिससे आप "देवी को अपने घर ले जा सकते हैं"।
देवी-कृपा से पहले और देवी-कृपा से बाद
आशुतोष खुराना: हमने अपना काम लगभग एक दशक पहले शुरू किया था। हमने एक एजुकेशनल स्पेस बनाया था, जहाँ हम स्कूलों और बच्चों के साथ काम करते हैं ताकि उनके चिंतन कौशल को बढ़ाया जा सके।
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शुरुआती कुछ साल हमारे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण रहे। हमने अपने इस काम में अपनी पाई-पाई लगा दी।
संगीता खुराना: मुझे लगता है कि देवी ने मुझे बदल दिया है। एक माँ, एक पत्नी, एक बहू, बेटी और बहन आदि होने के बाद आप ख़ुद को खो देते हैं। मुझे अपने माता-पिता से जो परवरिश मिली, उसके अनुसार - औरत होने के नाते, आपको हर किसी के लिए काम करना होता है। इस प्रक्रिया में आपको एहसास नहीं होता कि आपको अपने पर भी ध्यान देना चाहिए। जब आप ख़ुद अपने भीतर से ख़ुश नहीं होंगे तो आप किसी दूसरे के लिए भी कुछ नहीं कर सकते। आपका असंतोष, आपके हर काम से झलकेगा। देवी के आने के बाद सबसे महत्वपूर्ण अहसास ये हुआ कि मैं अपने जीवन के साथ क्या कर रही हूँ, मैं इसे कैसे चला रही हूँ, मै हर चीज़ को किस रूप में ले रही हूँ - क्या मैं अपने आंतरिक रूपांतरण की ओर बढ़ रही हूँ? मैं पहले भी इस पर काम कर रही थी, पर देवी की कृपा से यह आसान हो गया और यह अपने-आप घटा।
यंत्र छूते ही ऊर्जा प्रवाहित होने लगती है
मेरे लिए, देवी मेरा एक हिस्सा हैं, प्रकृति का एक अंश, ब्रह्माण्ड का एक अंश, सद्गुरु का एक अंश हैं।
वे हर प्राणी में अपनी तरह से प्रवाहित होना जानती हैं। केवल इस स्थान पर रह कर, उसे अनुभव करना भी बहुत सुखद रहा है और इसे हमारे पास आने वालों ने भी माना है। जो लोग ईशा या देवी से नहीं जुड़े, वे भी उनकी ओर आकर्षित होते हैं। लोग प्रायः मुझसे कहते हैं, ‘आपने इस जगह एक मंदिर स्थापित किया है। यह बहुत सुंदर है।’ आपको किसी से उनका परिचय करवाने की ज़रूरत नहीं है। वे यहीं रह कर भी, किसी के साथ भी अपना संपर्क साध सकती हैं।
उतार चढ़ावों को संभालने की काबिलियत
आशुतोष खुराना : ऐसा नहीं कि देवी के आने के बाद जीवन में उतार-चढ़ाव नहीं रहेंगे। वे फिर भी रहेंगे।
संगीता खुराना : सब कुछ बहुत ही तेज़ी से घटने लगा - कठिन समय और इसके साथ ही हमारे आनंद भी। इन सबको संभाल पाने की योग्यता, अपने-आप में एक खूबसूरत चीज़ है।
आशुतोष खुराना : देवी एक प्रकार से नई तरह की स्पष्टता लाई हैं कि क्या करना चाहिए या क्या जारी रखना चाहिए। पहले, हम बहुत से अवसर गँवा देते थे। अब हम अपने सामने आने वाले हर अवसर को ग्रहण कर पाते हैं। मुझे लगता है कि कहीं न कहीं, देवी ने हमारे भीतर, यह योग्यता भर दी है कि हम पूरे जोश व ऊर्जा से जीवन की हर गतिविधि में भाग लेते हुए भी, उसमें आसक्ति न पैदा करें।
संपादक की ओर से: अगला यंत्र समारोह, 27 जून, 2018 को ईशा योगा केंद्र में होगा। आपको एक शक्तिशाली प्रक्रिया के लिए दीक्षित किया जाएगा और सद्गुरु से प्रत्यक्ष रूप से यंत्र पाने का अवसर मिलेगा। अधिक जानकारी के लिए इस जगह क्लिक करें या लिखें। yantra@lingabhairavi.org