हाल ही में ईशा केंद्र, कोयंबटूर में एक ऐसा कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें देश भर से और विदेशों के कई सफल कारोबारियों ने हिस्सा लिया। जानते हैं इसके बारे में?

26 नवंबर, 2016, कोयंबटूर: ईशा योग केंद्र में 24 से 27 नवंबर तक हुए वार्षिक इनसाइट प्रोग्राम में 200 से अधिक उद्योगपति और उद्यमी एक साथ नजर आए। इसके साथ ही फैकल्टी अध्यक्ष के रूप में केलॉग स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के पूर्व डीन डॉ.दीपक जैन और सद्गुरु तथा समन्वयक के रूप में शॉपर्स स्टॉप लिमिटेड के अकार्यकारी उपाध्यक्ष बी.एस.नागेश मौजूद थे।

एक स्त्री बड़ी ही सौम्यता से अपनी टीम को यह कह सकती है कि हम एक टीम के रूप में कैसे एक साथ लाभान्वित हो सकते हैं
भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरुंधती भट्टाचार्य, पीरामल समूह और श्रीराम समूह के अध्यक्ष अजय पीरामल ने अपने अनुभव साझा किए और नेतृत्व, उद्यमिता (आंत्रप्रोनियोरशिप) और बड़े कारपोरेट चलाने पर अपने दृष्टिकोण प्रतिभागियों के सामने रखे।

‘इनसाइट-कामयाबी का डीएनए’ नामक इस कार्यक्रम में देश भर से और चीन, सिंगापुर, दुबई, यूके, यूएस और कोलंबिया जैसे देशों से कई संगठनों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया। ईशा संगठन के के एक अंग ईशा शिक्षा के पहल से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अनूठे नेतृत्व कार्यक्रम में उद्योगपतियों को ऐसे व्यावहारिक तरीके सिखाए जाते हैं जो उनके जीवन के बाहरी हालातों के साथ उनके आंतरिक विकास के प्रबंधन में भी, उनकी क्षमता को बढ़ाते हैं। 30 से अधिक रिसोर्स लीडर इसमें शामिल थे। निर्माण, सेवा, शिक्षा, मीडिया, हेल्थकेयर जैसे उद्योगों की व्यापक श्रृंखला से विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित उद्योगपति जैसे विनीता बाली, कुणाल शाह, राहुल नारायण, दीपक सतवालेकर, बीजू कुरियन रिसोर्स लीडर के रूप में फैकल्टी अध्यक्ष डॉ.दीपक सी जैन के साथ शामिल हुए।

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भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन ने साझा किये अनुभव

अरुंधती भट्टाचार्य, जो भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन हैं, और अजय पीरामल, जो पीरामल समूह और श्रीराम समूह के चेयरमैन हैं ने अपनी बातें साझा की। अरुधंधती भट्टाचार्य ने अपने स्कूली दिनों की चुनौतियों और प्रेरणा को याद करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने छत्तीसगढ़ के भिलाई में विद्यार्थी परिषद के नेता के रूप में नेतृत्व का कार्य शुरु किया। फिर भारतीय स्टेट बैंक में एक प्रोबेशनरी ऑफिसर से लेकर भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक का मुखिया बनने तक के अपने सफर को उन्होंने उत्सुक दर्शकों के सामने रखा।

यह वाकई बहुत फायदेमंद होगा क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था कुछ ज्यादा ही नकद केंद्रित है। आप जानते ही होंगे कि नकद कोई निशान नहीं छोड़ता।
उन्होंने विमुद्रीकरण (डिमॉनिटाइजेशन) से संबंधित कई सवालों के जवाब भी दिए। भट्टाचार्य ने कहा, ‘मैं शायद पूरे बैंकिंग उद्योग में एकमात्र व्यक्ति हूं जिसने दो विमुद्रीकरण देखे हैं। पहली घटना के समय मुझे बैंक में सिर्फ तीन महीने हुए थे।’ उन्होंने कहा, ‘अगर आप विमुद्रीकरण को उस हद तक ले जाएं जब आप यह सुनिश्चित करने की कोशिश करें कि अधिक से अधिक कारोबार डिजिटल या इलेक्ट्रानिक माध्यमों से हो, तो यह लंबे समय में बहुत फायदेमंद होगा। यह वाकई बहुत फायदेमंद होगा क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था कुछ ज्यादा ही नकद केंद्रित है। आप जानते ही होंगे कि नकद कोई निशान नहीं छोड़ता। हमारे समाज में जितना अधिक नकद होगा, भ्रष्टाचार उतना ही ज्यादा होगा।’

एक उद्यमी के रूप में अपने सफर के बारे में बताते हुए अजय पीरामल ने नेतृत्व गुणों, पारिवारिक उद्योगों, निजी महत्वाकांक्षाओं और विलय व अधिग्रहणों समेत बहुत सारे सवालों के जवाब दिए। अजय पीरामल ने कहा, ‘हम खुद को शेयरधारकों, कर्मचारियों, ग्राहकों और समाज के ट्रस्टी के रूप में देखते हैं, उद्योगपति के रूप में नहीं। परिणाम आपके हाथ में नहीं होता। अगर आप प्रक्रिया का प्रबंधन अच्छी तरह करेंगे, तो नतीजा अपने आप आएगा।’ उन्होंने उद्यमियों के प्रमुख गुणों के बारे में बताते हुए कहा कि साहस के साथ सही लोग, मेहनत, मूल्य और विफलता से डर का अभाव जरुरी हैं।’

स्मृति ईरानी, माननीय वस्त्र मंत्री

‘कारोबार करने के मूल्य आपके जीवन मूल्यों से अलग नहीं हैं। हर स्त्री एक नेता है। नेतृत्व मुख्य रूप से मजबूतियों और कमजोरियों की पहचान करने की नारीसुलभ भावना को विकसित करता है। एक स्त्री बड़ी ही सौम्यता से अपनी टीम को यह कह सकती है कि हम एक टीम के रूप में कैसे एक साथ लाभान्वित हो सकते हैं,’ ईरानी ने कहा।

आंतरिक और बाहरी संतुलन पर सद्गुरु

कार्यक्रम का एक पहलू बाहरी प्रबंधन से जुड़ा होता है, तो दूसरा पहलू आंतरिक प्रबंधन’ से जिसकी तकनीकें सद्गुरु द्वारा पेश की जाती हैं। प्रतिभागियों को कई योग तकनीकों से परिचित कराया गया, जो शरीर, मन, भावना और ऊर्जा में स्वास्थ्य, जीवंतता और संपूर्णता लाते हैं। सद्गुरु ने बड़े कारोबारों के प्रबंधन में आंतरिक संतुलन की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, ‘अगर आप जो काम कर रहे हैं, वे बहुत महत्वपूर्ण हैं, तो फिर उन कामों को करने वालों के भीतरी हालात पर काम किए जाने की जरूरत है।’

ईशा इनसाइट

उद्योग स्थापित करने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए असाधारण कौशल चाहिए। ‘इनसाइट – सफलता का डीएनए’ ईशा शिक्षा की पहल का एक नेतृत्व कार्यक्रम है, जिसमें उद्योगपतियों को ऐसे व्यावहारिक तरीके सिखाए जाते हैं जो बाहरी हालातों और अंदरूनी विकास दोनों के प्रबंधन की उनकी क्षमता को बढ़ाते हैं। चार दिन के व्यवसायी केंद्रित पैकेज के रूप में तैयार इस कार्यक्रम में विश्वस्तरीय उद्योग स्थापित करने वाले और उन्हें विकसित करने वाले बहुत से कामयाब उद्योगपति अपना अनुभव साझा करते हैं। यह कार्यक्रम प्रबंधन और नेतृत्व की कला में स्पष्टता लाता है और इसमें निर्णय क्षमता, दूसरे लोगों से विचार ग्रहण करने, सही प्रतिभा खोजने और किसी कारोबार को बढ़ाने जैसे विषयों पर गहन सत्र आयोजित होते हैं।