बुद्ध की धरती पर ईशा का संगीत
इस बार बिहार के राजगीर महोत्सव में पहुंची साउंड्स ऑफ ईशा की संगीत मंडली और पेश किए अपने अनूठे गीतों का सरगम। यहां पर पेश है उनके कुछ अनुभव:
इस बार बिहार के राजगीर महोत्सव में पहुंची साउंड्स ऑफ ईशा की संगीत मंडली और पेश किए अपने अनूठे गीतों का सरगम। यहां पर पेश है उनके कुछ अनुभव:
हाल ही में बिहार सरकार ने साउंड्स ऑफ ईशा को राजगीर महोत्सव में अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए बुलाया। हम जानते थे कि साउंड्स ऑफ ईशा के लिए यह अपनी तरह का पहला अवसर होगा। राजगीर महोत्सव बिहार में सलाना मनाया जाने वाला तीन दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव है। हम पहली बार एक ऐसी जगह जाने वाले थे जहां न तो स्थानीय साधकों का जाना-पहचाना सहयोग था, ना सद्गुरु की शारीरिक मौजूदगी। हम भारत के एक उत्तरी राज्य में ईशा के प्रतिनिधि के रूप में जाने वाले थे।
कंसर्ट की तैयारी के लिए व्यापक योजना बनाने की जरूरत थी। हमें कुछ अतिरिक्त संगीतकारोंऔर तकनीकी सहायकों की जरूरत थी। हमने चेन्नई के एक फ्यूजन ड्रमर से संपर्क किया, दिल्ली के एक तबला वादक और जयपुर के एक लोक वायलिन-वादक से बात की। इस तरह से हमारे पास दस लोगों की टीम हो गई, लेकिन हम अलग-अलग जगहों पर बिखरे हुए थे, इसलिए हमने ऑनलाइन अभ्यास करने का फैसला किया। इसके लिए इंटरेक्टिव गूगल हैंगआउट सेशन का इस्तेमाल किया गया।
Subscribe
आखिरकार कंसर्ट के दिन हम सब की मुलाकात हुई, जब हमने पूरे दल के साथ पहला पूरा रिहर्सल किया। रिहर्सल बहुत मजेदार रहा और इन दो हफ्तों में हर किसी ने जो मेहनत की थी, उसका फल सामने आया।
राजगीर का उत्सव-स्थल लोगों से खचाखच भरा हुआ था। वहां तरह-तरह के स्टॉल्स, कई तरह के झूले और हर वो चीज थी जो एक मेले में हो सकती है। हम दोपहर करीब दो बजे साउंड चेक के लिए मंच पर आए। उस दिन के कार्यक्रमों में सबसे पहला कार्यक्रम हमारा ही था जिसके कारण हमें पांच बजे शुरुआत करनी थी। हमें यह जानकर हैरानी हुई कि कुछ परिस्थितियों के कारण हमें देर से शुरू करना है। हमने एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी (जो ईशा के प्रोग्राम में शामिल हो चुके हैं) को कहते सुना, “ये ईशा के लोग हैं। उनके लिए पांच बजे का मतलब है कि वे 4:55 पर तैयार होंगे।” हमें महसूस हुआ कि ईशा के सभी कार्यक्रमों में समय की कद्र से लोग कितने प्रभावित हैं। तब हम समझ पाए कि समय पर कार्यक्रम शुरू करने को क्यों सद्गुरु इतना महत्व देते हैं।
हमने अपने विस्तृत ड्रम वादन के साथ कंसर्ट की शुरुआत की, जिसके बाद इन गीतों को पेश किया गया:
https://soundcloud.com/soundsofisha/aye-hain-savare
https://soundcloud.com/soundsofisha/buddh-hai
https://soundcloud.com/soundsofisha/salem
https://soundcloud.com/soundsofisha/velliangiri
और ये दो गाने जो अभी रिलीज़ नहीं किये गए हैं
- इंद्रधनुष
- या घट
दर्शकों की प्रतिक्रिया बहुत उत्साहजनक थी और हमें पता चला कि बहुत से लोग हमारे अलग तरह के संगीत से प्रभावित हुए। गीतों के बीच में हमने ईशा के अलग-अलग पहलुओं की संक्षिप्त जानकारी दी। कंसर्ट के बाद, हमारी टीम के तीन सदस्यों को बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतिश कुमार से मिलने का अवसर मिला। उनलोगों ने मुख्यमंत्रीजी को सद्गुरु की एक पुस्तक और 'ईशा क्रिया' की सीडी भेंट की। अफसोस इस बात का रह गया कि हम मुख्यमंत्रीजी को ईशा की हिंदी मासिक पत्रिका 'ईशा लहर' भेंट नहीं कर पाएा
ईशा से अब तक अछूते रहे भारत के एक भाग में इस कार्यक्रम के लिए बुलाया जाना और सद्गुरु तथा ईशा का प्रतिनिधित्व करना हमारे लिए बहुत बड़े सौभाग्य की बात थी। हमें आशा है कि हमारी प्रस्तुति को सुनने वाले लोगों ने संगीत का आनंद उठाया होगा लेकिन उससे भी ज्यादा हम ये उम्मीद है कि हमारी यह प्रस्तुति बिहार के लोगों को ईशा तथा सद्गुरु द्वारा भेंट की जाने वाली योगिक प्रक्रियाओं व संभावना के साथ जुड़ने का मार्ग प्रशस्त करेगी।