सद्‌गुरुसद्‌गुरु से एक साधक ने प्रश्न किया कि उन्हें साधना करते समय उसे नींद आ जाती है। और ऐसा केवल थकान के वजह से नहीं होता, बल्कि आंखें बंद करते ही होने लगता है। सद्‌गुरु हमें नींद से बचने के उपाय बता रहे हैं - :

प्रश्नकर्ता: सद्‌गुरु, जब मैं साधना करता हूं, तो ऊंघने लगता हूं। पहले मुझे लगा कि ऐसा थकान की वजह से होगा, लेकिन जब भी मैं आंखें बंद करके ध्यान करता हूं, तो मुझे नींद आ जाती है। मैं जाग्रत कैसे रह सकता हूं?

कच्चा भोजन खाएं

सद्‌गुरु : सबसे पहले यह समझते हैं कि नींद क्या है। अगर दिन के किसी भी समय नींद से आपकी जिन्दगी में रुकावट आ रही है, तो आपको अपने स्वास्थ्य की बुनियादी जांच करवानी चाहिए और देखना चाहिए कि आपके शरीर में कोई गड़बड़ तो नहीं है।

अगर आप थोड़ी मात्रा में कच्ची और ताजी चीजें खाएं, तो कई दूसरे फायदों के अलावा, एक लाभ तुरंत होगा कि आपकी नींद काफी कम हो जाएगी।
जब आप बीमार होते हैं, तो आप सामान्य से अधिक सोने लगते हैं, शरीर आराम करना चाहता है।
दूसरी चीज है वह भोजन जो आप खाते हैं। कम से कम थोड़ी मात्रा में शाकाहारी भोजन, खास तौर पर कच्चा खाना आपके सामान्य स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जब आप भोजन को पकाते हैं तो बड़ी मात्रा में प्राणशक्ति नष्ट हो जाती है। इसके कारण भी शरीर में एक तरह का आलस्य आ जाता है। अगर आप थोड़ी मात्रा में कच्ची और ताजी चीजें खाएं, तो कई दूसरे फायदों के अलावा, एक लाभ तुरंत होगा कि आपकी नींद काफी कम हो जाएगी।
आपकी सजगता मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करती है कि आप अपनी ऊर्जा को कितना संभाल कर रखते हैं। अगर आप ध्यान करना चाहते हैं, तो आपकी सजगता सिर्फ मन के स्तर पर नहीं, बल्कि आपकी ऊर्जा के स्तर पर भी होनी चाहिए। इसमें मदद करने के लिए, आम तौर पर योग के रास्ते पर चलने वाले लोगों को यह सलाह दी जाती है कि उन्हें सिर्फ चौबीस कौर खाना चाहिए और हर कौर को कम से कम चौबीस बार चबाना चाहिए। इससे आपका भोजन अंदर जाने से पहले ही मुंह में पच जाएगा और सुस्ती नहीं लाएगा।

चौबीस कौर खाना और बाल गीले रखना

अगर आप शाम के भोजन के समय ऐसा करें और फिर रात को सोएं तो आप आसानी से सुबह साढ़े तीन बजे जग सकते हैं और ध्यान कर सकते हैं। योग प्रणाली में इस समय को ब्रह्म मुहूर्तम कहा जाता है।

भोजन के बारे में फैसला लेने के लिए अपने डॉक्टर या न्यूट्रिशन एक्सपर्ट से मत पूछिए क्योंकि ये लोग हर पांच साल में अपनी राय बदलते रहते हैं। इसके बारे में अपने शरीर से पूछिए कि वह किस तरह के भोजन से खुश होगा।
यह जागने का आदर्श समय है क्योंकि उस समय खुद प्रकृति आपकी साधना में अतिरिक्त सहयोग करती है। अगर आप स्ना्न करें और अपने बाल गीले रखें तो आप आसानी से आठ बजे तक अपनी पूरी साधना के दौरान जागे हुए और सजग रह सकते हैं। अगर आप अपने सुबह के भोजन में सिर्फ चौबीस कौर खाएं, तो निश्चित रूप से रात के भोजन तक आपको नींद नहीं आएगी। डेढ़ से दो घंटे के भीतर, आपको भूख लग जाएगी और यही बेहतरीन तरीका है। सिर्फ पेट के खाली होने पर उसमें भोजन डालना जरूरी नहीं है। बस पानी पिएं और आप पूरे दिन सचेत और ऊर्जावान रहेंगे। आपका शरीर आपके द्वारा अच्छे से खाए हुए भोजन को सिर्फ व्यर्थ करने की बजाय उसका इस्तेमाल करना सीखेगा। यह दुनिया के लिए आर्थिक रूप से और पर्यावरणीय रूप से अच्छा है और आपके स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है – अगर आप इस तरह खाएं तो हो सकता है कि कभी बीमार न पड़ें।

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“भोजन के मामले में, अलग-अलग तरह के भोजन आजमाइए और फिर देखिए कि उसे खाने के बाद आपके शरीर को कैसा महसूस होता है।”
प्रश्नकर्ता: शरीर को स्वस्थ रखने में भोजन की क्या भूमिका है? कुछ लोग कहते हैं कि शाकाहारी भोजन उत्तम है, लेकिन बाकी लोगों का कहना है कि आहार में थोड़े-बहुत मांस के बिना आप स्वस्थ नहीं रह सकते। यह बहुत भ्रम पैदा करने वाला है..

आप किस तरह का भोजन करते हैं, यह इन बातों पर निर्भर नहीं होना चाहिए कि आपकी भोजन के बारे में सोच क्या है, आपके मूल्य और मान्यताएं क्या हैं। इसका फैसला इस आधार पर होना चाहिए कि आपके शरीर को क्या चाहिए। भोजन का संबंध शरीर से है। भोजन के बारे में फैसला लेने के लिए अपने डॉक्टर या न्यूट्रिशन एक्सपर्ट से मत पूछिए क्योंकि ये लोग हर पांच साल में अपनी राय बदलते रहते हैं। इसके बारे में अपने शरीर से पूछिए कि वह किस तरह के भोजन से खुश होगा।

शरीर की चुस्ती और आलस को परखें

अलग-अलग तरह के भोजन आजमाइए और फिर देखिए कि आपका शरीर कैसा महसूस करता है। अगर आपका शरीर चुस्त, फुर्तीला और ऊर्जावान महसूस करता है तो समझ लीजिए कि उस भोजन को लेकर आपका शरीर संतुष्ट है। लेकिन अगर शरीर आलस महसूस करता है और उसे चलाने के लिए आपको कैफीन या निकोटीन लेने की जरूरत पड़ती है तो इसका मतलब है कि शरीर खुश और संतुष्ट नहीं है।

अगर आप अपने शरीर की सुनें तो वह आपको साफ-साफ बता देगा कि उसे किस तरह का भोजन पसंद है, लेकिन अभी आप अपने दिमाग की सुन रहे हैं। आपका दिमाग हर वक्त आपसे झूठ बोलता रहता है। याद कीजिए, क्या पहले कभी इसने झूठ नहीं बोला? आज यह आपको बताता है कि यह सही है। इसी बात पर कल आपको यह ऐसा महसूस करा देगा कि आप निरे मूर्ख हैं। इसलिए अपने मस्तिषक के हिसाब से न चलिए। आपको बस अपने शरीर की सुननी है।

भोजन का संबंध शरीर से है। भोजन के बारे में फैसला लेने के लिए अपने डॉक्टर से मत पूछिए क्योंकि ये लोग हर पांच साल में अपनी राय बदलते रहते हैं। इसके बारे में अपने शरीर से पूछिए कि वह किस तरह के भोजन से खुश होगा।

हर जानवर, हर प्राणी इस बात को अच्छी तरह से जानता है कि उसे क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। इंसान की प्रजाति को इस धरती पर सबसे ज्यादा बुद्धिमान माना गया है, लेकिन उसे यह भी नहीं पता कि क्या खाना चाहिए। इंसान को कैसा होना चाहिए, इसकी बात तो छोड़ ही दीजिए, उसे तो यह तक नहीं पता होता कि उसे क्या खाना चाहिए। इसलिए अपने शरीर की बात सुनने की कला सीखने के लिए एक खास किस्म की जागरुकता और ध्यान की जरूरत होती है। एक बार यह सीख गये तो आपको पता चल जाता है कि आपको क्या खाना है और क्या नहीं।

आपके शरीर के भीतर जिस प्रकार का भोजन जा रहा है, उस मामले में निश्चित रूप से शाकाहारी भोजन आपके शरीर के लिए मांसाहारी भोजन से बेहतर है। इस बात को हम नैतिक दृष्टिकोण से नहीं कह रहे हैं। हम तो सिर्फ ये देख रहे हैं कि कौन से खाना शरीर के अनुकूल पड़ता है। हम वही भोजन लेने की कोशिश करते हैं, जो हमारे शरीर को आराम पहुंचाए। चाहे आपको अपना कारोबार सही तरीके से चलाना हो, चाहे पढ़ाई करनी हो या कोई और काम करना हो, यह बड़ा महत्वपूर्ण है किस आपका शरीर आराम की स्थिति में हो और जो खाना आप खा रहे हैं, उससे पोषण लेने के लिए शरीर को संघर्ष न करना पड़े। हमें ऐसा ही भोजन करना चाहिए।

कच्चा भोजन प्राण शक्ति से भरपूर होता है

कभी प्रयोग करके देखिए कि जब आप ताजा और कच्चा शाकाहारी भोजन करते हैं, तो आपका शरीर कितना फर्क महसूस करता है। दरअसल, विचार यह है कि जितना हो सके, उतना ताजा और कच्चा भोजन किया जाये।

अगर कोई भरपूर मात्रा में अंकुरित अनाज, फल, कच्ची सब्जियां खाए, अगर कोई भोजन का 30 से 40 फीसदी अंश कच्चा ही ले तो आप देखेंगे कि उसके भीतर की जीवंतता भी जबर्दस्त तरीके से बनी रहेगी।
एक जीवंत कोशिश में वह सब कुछ होता है जो जीवन को पोषण देने के लिए जरूरी है। अगर आप किसी जीवंत कोशिश का सेवन करते हैं तो आपको जो तन्दुरुस्ती महसूस होगी, वह पहले से बिल्कुल अलग किस्म की गी। जब हम भोजन पकाते हैं, तो इससे इसके भीतर का जीवन नष्ट हो जाता है। जब भोजन की जीवंतता नष्ट हो जाती है, तो वह उतनी मात्रा में जीवन ऊर्जा नहीं देता, लेकिन जब आप कच्चा और ताजा भोजन खाते हैं, तो आपके शरीर में एक अलग स्तर की जीवंतता आती है।

अगर कोई भरपूर मात्रा में अंकुरित अनाज, फल, कच्ची सब्जियां खाए, अगर कोई भोजन का 30 से 40 फीसदी अंश कच्चा ही ले तो आप देखेंगे कि उसके भीतर की जीवंतता भी जबर्दस्त तरीके से बनी रहेगी। सबसे बड़ी बात यह है कि जो भोजन आप ले रहे हैं, वह जीवन है। हम जो खा रहे हैं, वे जीवन के अलग-अलग रूप हैं। जीवन के ये अलग-अलग रूप हमारे जीवन को संभालने के लिए अपने जीवन का त्याग कर रहे हैं। हम जो भी जीवंत और कच्चा भोजन कर रहे हैं, अगर उसे पूरी कुतज्ञता के साथ ग्रहण करें तो यह भोजन हमारे भीतर एक अलग तरीके से काम करेगा।

- सद्‌गुरु