जीवन है एक आध्यात्मिक बुलबुला
नहीं ले सकते आप इसे अपनी मुट्ठी में
न कभी रख पाएँगे इसे अपने पास
न ही ले सकते हैं इसका आनंद
आप केवल बन सकते हैं – जीवन।
नहीं है जीवन का कोई सन्दर्भ
‘आप’ और ‘मैं’ का मिथक
अच्छाई और बुराई का छलावा
ऊंच और नीच का पूर्वाग्रह
वंचित कर देंगे आपको
जीवन के असली मर्म, असली स्वरूप से
बस जीवन बन जाओ,
श्वास लो और खिल उठो।