अज्ञानता से ज्ञान तक का सफर
एक यात्रा है
शरीर की समयबद्ध प्रकृति से
अस्तित्व की कालातीत प्रकृति तक की।
समय का क्रूर पहिया
धीरे-धीरे, पर निश्चित रूप से
रौंद देगा हर उस चीज़ को,
जो उसके प्रभाव क्षेत्र में है।
शरीर, मन और पदार्थ।
अगर करते हैं आप
इस पहिए की सवारी
तो होगी वह एक यात्रा।
उसी पहिये द्वारा रौंदा जाना
एक दुर्भाग्य होगा।
कुचले जाने से नहीं मिलेगा
जीवन का रस।
समय के पहिए की सवारी करने से
होगी आपके कदमों के नीचे
सफलता के सोपान की तरह,
हर वो चीज
जिसपर अधिकार है समय का
या फिर लद जाएगा
वही सब आपके ऊपर
एक भारी बोझ की तरह।