अप्रैल 2022

क्या तुम मौजूद हो?

क्या आप होते हैं मौजूद?

जब खिलती हैं चमेली की कलियाँ

और करती हैं शानदार सुबह का आह्वान

मानो करती हों यह सुनिश्चित

कि अनिश्चितता से ठहरी ओस की बूँदें

खो न जाएँ दिन की तपन में

जब सूरज लेता है आराम

अंतहीन कठोर परिश्रम से

जो करता है वो मानव और कीट – सभी के लिए  

तब बिखेरती है रात की रानी

अपनी नशीली सुगंध

और भर देती है मदहोशी

चंद्रमा की मधुर चांदनी में  

दिन हो या रात,

धरती माता करती रहती है

बस यही प्रयास,

कि भर सके हमारे नीरस जीवन में,

सुंदरता और सुगंध का आभास।

हे मानव! क्या हो तुम मौजूद?

चखने, सूँघने और देखने के लिए

गगन, भूमि और सागर की

अद्भुत शोभा और महिमा को?

सद्‌गुरु

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