जीवन का सार
निहित है इसकी सुगंध में
लेकिन नहीं होता इसका भान
श्वान से तेज़ नाक को
है यह वो महक,
जो महसूस होती है
सिर्फ एक संवेदनशील हृदय में।
अगर आपका जीवन
रहा है इतना दयनीय
कि नहीं हुई महसूस अब तक
देवी की सुगंध,
तो बस इतना करें
निकालें खुद को
अपने मन के गंदे गटर से,
और फिर आपके अनुभव में होगी
देवी की सुगंध।