किसी भी नाम से बुलाइए,
प्रेम, मित्रता, उद्देश्य या फिर ईश्वर,
आप बस उस अदृश्य में
तलाश रहे हैं
एक भ्रम,
जो कर सके मदद
आपके जीवन को
एक अर्थ देने में।
छोड़ दें अगर तलाशना,
तो मिल जाएगी आपको,
वह अदृश्य,
अर्थहीन उपस्थिति।
लेना हो आनंद,
इस महान सृष्टि का,
तो इसे मत कीजिए दूषित
अर्थों के मैल से।
- सद्गुरु