आधुनिक विज्ञान स्पष्ट शब्दों में कह रहा है, कि जल किसके संपर्क में रहा है, उसके आधार पर यह अलग तरह से पेश आता, क्योंकि पानी की भी याद्दाश्त होती है। गंगाजल कुछ खास इलाकों से होकर बहता है, जहाँ सैंकड़ों पीढ़ियों से लोग आध्यात्मिक साधना करते रहे हैं, वे इस जल के संपर्क में रहे हैं। उनकी साधना का फल उस जल में मौजूद है। लेकिन आज आप जो पानी पी रहे हैं, उसे दो-तीन जगहों पर बांधों से रोका जाता है और फिर छोड़ा जाता है।
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