रहस्यवादी और भूलें
सद्गुरु कहते हैं, ‘सिर्फ दो तरह के लोग होते हैं: रहस्यवादी (मिस्टिक) और भूल (मिस्टेक)।’ यह श्राप सा लगता है, मगर शुक्र है कि भूलों को सुधारा जा सकता है और यह पुस्तक साधकों को यही उम्मीद दिखाती है।
ArticleNov 2, 2017
रहस्यवादी और भूलें
सद्गुरु कहते हैं, "केवल दो प्रकार के लोग होते हैं: मिस्टिक्स और मिस्टेक्स यानि रहस्यवादी और गलतियां"। यह सुनकर लग सकता है कि बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है। लेकिन शुक्र है कि गलतियों को सुधारा जा सकता है, और यह पुस्तक साधकों को यही आशा भेंट करती है। यह हमें याद दिलाती है कि हम सभी भ्रम से स्पष्टता तक, गलती से आत्मज्ञान तक, और खुद को धोखा देने से लेकर आत्म-खोज तक की यात्रा कर सकते हैं - बस हमें इसे चुनना है।