पांचाली
पांचाल की राजकुमारी द्रौपदी, जो बाद में इंद्रप्रस्थ की महारानी बनीं, के ऊपर सद्गुरु की कविता पढ़ें।
ArticleJan 18, 2018
पांचाली
थी वो अग्नि से पूरी तरह प्रज्वलित,
सिर्फ ही हो सकती थी उसका जन्म स्रोत
अग्नि - जूनून, स्वाभिमान, शर्म और क्रोध की।
थी उसमें इतनी अग्नि -
कि ऊंचा उठना या हार मानना संभव नहीं था।
उसकी सुन्दरता और जूनून में सभी खो गए
आह! कितना सुंदर जाल था वो।