लंदन और जिनेवा में तेजी से गुजरता एक हफ्ता बिताने के बाद फिलहाल मैं मॉरिशस की उड़ान पर हूं। यह यात्रा बहुत ही जोखिम भरी रही, आश्रम से निकलने से एक दिन पहले ही पेट में जलन की ऐसी समस्या हुई की इसने मुझे पूरी तरह से निर्बल कर दिया। फोर पोर्ट की सहायता लेकर मैं मुंबई सत्संग में पहुंचा था और वहां से लंदन पहुंचा। आश्रम से निकलने से पहले मैं करयिकाल जाकर लौटा था, वहीं से मैं यह सब लेकर आया।

यूके में ईशा लगातार आगे बढ़ रहा है। यहां जो भी कार्यक्रम हुए हैं वे पहले की अपेक्षा न सिर्फ ज्यादा बड़े रहे, बल्कि उन्हें काफी पंसद भी किया गया। एवर्टन फुटबॉल क्लब के साथ बाहर का कार्यक्रम काफी ताजगी भरा रहा। खेल और उससे जुड़ा पूरा माहौल मुझे आज भी रोमांचित करता है। एवर्टन टीम के खिलाड़ियों के साथ एक सत्र पूरा होने के बाद, जब वे बाहर गए तो उन्होंने टॉटेन्हम के खिलाफ एक बड़ा मैच जीता। हालांकि अपनी दूसरी व्यस्तताओं के चलते मैं इस मैच में उपस्थित नहीं हो पाया।

इस दौरान रॉडनी मार्श के साथ भी बातचीत हुई। दरअसल, ये रॉडनी क्रिकेट की हस्ती न होकर बहुत पुराने सुप्रसिद्ध फुटबॉलर हैं। अपने समय में वह जॉर्ज वेस्ट के साथ खेल चुके हैं, उनके साथ बात करना अपने आप में बड़ी और मजेदार बात थी। यह मौका इसलिए भी खास हो गया था, क्योंकि वहां मौजूद लोगों में फुटबॉल जगत की हस्तियां और उनके परिवार के लोग शामिल थे।

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लंदन के दिन डिनर की बातचीतों, मीटिंगों, संत्संग और लंदन बिजनेस स्कूल (एलबीएस) के आयोजनों में ही बीत गए। जैसे-जैसे हम लोग शिक्षा के क्षेत्र में विस्तार कर रहे हैं, हमारा दुनिया के महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों से संबंध बढ़ाने का संकल्प मजबूत हो गया है। इसलिए इस बार एलबीएस और आइएमडी, जैसे दो विश्वविख्यात बिजनेस मैनेजमेंट शिक्षण संस्थानों का दौरा किया। आजकल बिजनेस शिक्षण संस्थान भी अपने आपको अध्यात्म से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि महज बिजनेस की बजाय परम बिजनेस की शिक्षा को पढ़ाया जाए। दोनो संस्थानों से बेहतरीन प्रतिक्रिया मिली, अब हम इन संस्थानों से ज्यादा स्थाई संबंधों और साझेदारी के लिए काम कर रहे हैं।

जिनेवा में बीता मेरा एक दिन बेहद व्यस्त, लेकिन उपयोगी रहा। उस दिन कई असोसिएशनों और पुराने मित्रों से मिलना हुआ।

अगर हम अपनी तरफ आने वाली संभावनाओं का ठीक तरह से इस्तेमाल कर सकें तो यह यात्रा आने वाले समय में ईशा के लिए काफी दूरगामी परिणाम देने वाली साबित हो सकती है।

जिनेवा में चटक धूप में बीता वह दिन, जहां हम जिनेवा झील के किनारे ठहरे हुए थे। दुनिया के तमाम देशों को स्विट्जरलैंड की तरह बनने की जरूरत है, जहां हर तरफ शांति और व्यवस्था है। अगर ऐसा हुआ तो बेशक हरेक देश अपने आप में अनुठा होगा। यहां महिलाओं और बच्चों को जो सुरक्षा मिली हुई है, काश उसका आनंद पूरी दुनिया ले पाती। लेकिन मैंने सुना है कि यहां आत्महत्या की दर काफी ऊंची है – शायद यह बहुत व्यवस्थित होने की कीमत है? मानवीय स्थितियां कभी भी बाहरी प्रयासों या कारकों से पूरी तरह से निर्धारित नहीं हो सकतीं, लेकिन हां अगर बाहरी कारक निर्धारित हो जाएं तो वहां भीतरी काम के लिए वक्त ओर गुजाइंश निकल सकती है।

ओहो... मैं तीन दिनों के लिए सुंदर द्वीप मॉरिशस जा रहा हूं। यह तीन दिन कार्यक्रमों से भरपूर रहेंगे, ताकि समय का पूरा सदुपयोग हो। लेकिन मै आश्वस्त हूं कि इतनी व्यस्तताओं के बावजूद गोल्फ के लिए कुछ समय जरूर निकाल लूंगा।

Love & Grace