तारों भरी बसंती रात में कुछ चिंतन
इस बार के स्पॉट में सद्गुरु साझा कर रहे हैं अपने वो ख्याल जो एक तारों भरी नम रात में उनके मन में उठ रहे हैं, जिसमें वर्तमान की व्यस्तता और भविष्य का चिंतन दोनों ही शामिल हैं-
इस बार के स्पॉट में सद्गुरु साझा कर रहे हैं अपने वो ख्याल जो एक तारों भरी नम रात में उनके मन में उठ रहे हैं, जिसमें वर्तमान की व्यस्तता और भविष्य का चिंतन दोनों ही शामिल हैं-
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मैं यहां एक सुहानी नम रात में खुले में बैठा आसमान को निहार रहा हूं। बसंती रात का साफ सुथरा आसमान अनगिनत तारों से भरा है। बीच-बीच में बसंती फूलों की मदहोश करने वाली महक से भरा ठंडी हवा का झोंका आपको सिहरा देता है।
यहां ईशा केंद्र में गतिविधियां अपने पूरे चरम पर हैं। ईशा विद्या, आंध्र प्रदेश के छह हजार स्कूलों को अपनाने की तैयारी में जुटा है, जबकि ग्रीन हैंड्स से जुड़े लोग अपने एक मेगा अभियान की तैयारियों में दिन रात लगे हैं। दूसरी ओर ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ पास आता जा रहा है, उसकी भी तैयारी चल रही है। यहां गतिविधियों के खत्म होने की कोई सूरत नहीं दिखती। साथ ही यहां इनर इंजीनियरिंग कार्यक्रम चल रहा है, जहां सौ पूर्ण कालिक ईशा टीचर्स मानवता को आनंद का उपहार देने की कोशिश में लगे हुए हैं।
ईशा योग आत्म-रूपांतरण के लिए आज तक इस्तेमाल किये गए बेहतरीन साधनों में से एक है। यह एक ऐसा साधन है, जो हर किसी को आकर्षित कर सकता है। इसी के मद्देनजर हम इस कोशिश में लगे हुए हैं कि इसकी गुणवत्ता से समझौता किए बिना, इसे और आसानी से लोगों तक पहुंचाया जाए। इस काम में एक खास तरह के समर्पण व फोकस की जरूरत होती है। इस प्रक्रिया में होने वाला मंथन लोगों को उस हालत तक पहुंचा देता है, जो जरूरी नहीं कि सौम्य या सहज हो।
शिवरात्रि के मौके पर 26 युवाओं को ब्रह्मचर्य के पवित्र पथ पर दीक्षित किया गया।
फिलहाल मेरी एक ही चिंता है - कि आज मेरे आस-पास और मेरे भीतर जो स्थिति है, उसमें, और एक सीमित समय में, मैं कितनों को पोषित कर पाउंगा।
क्या मैं जाने से पहले हर व्यक्ति को उनकी (शिव) तरह ओजस्वी बना पाउंगा....