सद्‌गुरु : नमस्‍कारम। आजादी के 72 साल हो चुके हैं। इस महान सभ्‍यता ने कई हमलों और कब्‍जों की टीस झेली है। बहुत सारे संघर्ष और बलिदान के बाद 72 साल पहले हमें आजादी मिली। इन 72 सालों में कई महत्‍वपूर्ण चीजें की गई हैं, लेकिन अभी भी हमारे देश में ऐसी कई चीज़ें हैं जिन्हें ठीक किए जाने की ज़रूरत है। हमारी स्पेस रिसर्च संस्थानों ने जबरदस्त काम किए हैं, हमारी व्यापारिक संस्थानों ने अनूठे काम किए हैं, हमारे शिक्षा संस्थानों का विकास हुआ है, बुनियादी ढांचों का विकास हुआ है, भारत के लोगों ने विश्व के हर कोने में जाकर बहुत सी उपलब्धियां हासिल की हैं और जीवन के अलग-अलग आयामों में सफलता पाई है। मगर साथ ही, कुछ चीजें जो वाकई इस देश को अंदर से खाए जा रही हैं, उनमें इस देश के हर नागरिक को दिलचस्‍पी लेनी चाहिए, और जिस भी रूप में वे कर सकें, इसे हल करने में उन्हें योगदान देना चाहिए।

जाति और वर्ग भेद को अब मिटाना ही होगा

तीन सबसे महत्‍वपूर्ण चीजें, जिन्हें आने वाले दशक में हमें हल करने की जरूरत है, उनमें पहला है जाति और वर्ग का भेद, जो इस देश को खोखला कर रहा है। हमें इसे सुलझाना ही होगा। हमारी पहचान को जाति, वर्ग, समुदायों से ऊपर उठकर एक पहचान बनना होगा। घर पर चाहे हम जो भी करें, मगर हमारी पहचान हमारी राष्‍ट्रीयता से होनी चाहिए। यह हमारे लिए एक सफल राष्‍ट्र के तौर पर आगे बढ़ने के लिए बहुत जरूरी है।

अगर यह एक चीज हम करें और अपने युवा वर्ग को उत्‍साह और फोकस की स्थिति में ले आएं, तो हम इस देश में चमत्‍कार कर सकते हैं।

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जब मैं सफल राष्ट्र कहता हूं, तो मैं उन आधे अरब लोगों की बात करता हूं जो युवा हैं। हम दुनिया के सबसे युवा देश हैं। अगर इस युवा वर्ग को अपने लिए एक जीवन तलाशना है, देश में कोई अंतर लाना है और दुनिया की खुशहाली में एक उल्लेखनीय योगदान करना है, तो सबसे महत्‍वपूर्ण चीज यह है कि हम अपने मतों, जातियों और वर्गों जैसी छोटी-छोटी पहचानों से परे एक राष्ट्र के रूप में आपस में खुद को बांधें। अगर यह एक चीज हम करें और अपने युवा वर्ग को उत्‍साह और फोकस की स्थिति में ले आएं, तो हम इस देश में चमत्‍कार कर सकते हैं।

अगले 10 से 20 सालों में हम सबसे युवा देश बनें रहेंगे

आबादी के आंकड़ों के हिसाब से अभी हम फायदे की स्थिति में हैं, और ये स्थिति ज्यादा से ज्यादा अगले 10 से 20 सालों तक बनी रहेगी। अगर इन 10 से 20 सालों में हम एक देश के रूप में एकजुट हो कर दिखाएं, एक दूसरे के खिलाफ काम करना छोड़कर, एक दूसरे के खिलाफ बोलना छोड़कर, एक दूसरे से लड़ना छोड़कर, अगर ये सारी आबादी एकजुट होकर एक देश के रूप में साथ आ जाए, तो हम एक जादुई देश बन जाएंगे। हमारे पास क्षमता है, हमारे पास बुद्धि है और हमारे पास सामर्थ्य है, और पूरा विश्व हमसे कई तरीकों से उम्मीद कर रहा है कि हम उन्हें रास्ता दिखाएं। आज दुनिया में हर कोई भारत को दुनिया के सफल भविष्य के रूप में देख रहा है। आने वाले 20 सालों में भारत दुनिया की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक होगा, लेकिन हमें इसे संभव करना होगा। ये कोई भविष्यवाणी नहीं है, ये हमारा प्लान होना चाहिए।

एक महत्‍वपूर्ण चीज यह है कि हमें लेन-देन के सभी पहलुओं में टेक्‍नोलॉजी को लाना चाहिए।

अगली चीज यह है कि भ्रष्‍टाचार ने हमारे देश की व्यवस्था के ढाँचे को खोखला कर दिया है। इस संबंध में बहुत सारी चीजें की जा रही हैं। एक महत्‍वपूर्ण चीज यह है कि हमें लेन-देन के सभी पहलुओं में टेक्‍नोलॉजी को लाना चाहिए। हर तरह के लेन-देन में – चाहे वो जन्म प्रमाण पत्र हो, मृत्यु प्रमाण पत्र हो, बैंक के काम हों या कुछ और हो – इन सब में अगर तकनीक का इस्तेमाल होने लगे, तो भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं बचेगी। इस दिशा में कोशिशें की जा रही हैं, लोगों को उसमें सहयोग करना चाहिए और हमें सरकार से आगे जाकर इसे संभव करना चाहिए, क्योंकि यह हमारे हित में है कि हम किस तरह के स्वच्छ माहौल में रहते हैं, क्योंकि भ्रष्टाचार का संबंध सिर्फ पैसे से नहीं है, यह एक देश में रहने की मूलभूत मानवीय गरिमा को खत्म कर देता है।

बाहरी हमलों ने हमें पिछले हज़ार सालों से परेशान किया है

अगली चीज यह है कि यहां आतंकवाद और बाहरी हमलों के खतरे हैं, जिसके बारे में मैं सरकार और एजेंसियों और लोगों से सतर्क रहने का अनुरोध करता हूं, ताकि हम एक बार फिर अपने देश में ऐसी चीजें न होने दें।

यह बहुत अहम है कि एक संस्‍कृति ने जो कष्‍ट झेला है, उसका अनुभव हमारे जीवन में समझदारी के रूप में रूपांतरित हो, जख्‍म के रूप में नहीं।

हमें उन अत्‍याचारों को नहीं भूलना चाहिए जो पिछले हजार सालों में हमारे साथ हुए हैं, खास तौर पर पिछले 250 सालों में। यह बहुत महत्‍वपूर्ण है कि हम उसे न भूलें, मगर यह भी बहुत ही महत्‍वपूर्ण है कि अतीत में हमारे साथ जो कुछ हुआ है, उसके लिए हम नाराजगी से भरे न रहें। यह बहुत अहम है कि एक संस्‍कृति ने जो कष्‍ट झेला है, उसका अनुभव हमारे जीवन में समझदारी के रूप में रूपांतरित हो, जख्‍म के रूप में नहीं। अगर कोई चीज़ दर्द देती है, तो या तो हम समझदार बन सकते हैं, या जख्मी हो सकते हैं। हमें समझदार बनना होगा और ये पक्का करना होगा कि ये अनुभव हमें एक ऐसा देश और विश्व बनाने के लिए तैयार करते हैं जो आने वाली पीढ़ियों के रहने लायक होगा। इस स्‍वतंत्रता दिवस को मैं चाहता हूं कि आप सभी, हर भारतीय नागरिक, हम सभी यह ज़िम्मा लें कि ये तीन बुराइयां जो इस देश को खोखला बना रही हैं, हम जिस रूप में कर सकें, इन्‍हें सुलझाएंगे, और एक-दूसरे के खिलाफ काम नहीं करेंगे, एक-दूसरे के खिलाफ नहीं बोलेंगे बल्कि देश के लिए बोलेंगे, देश के लिए काम करेंगे और इसे संभव कर दिखाएंगे।

क्योंकि 40 करोड़ लोग आज भी कुपोषित हैं...

क्‍योंकि अब भी करीब 40 करोड़ लोगों ने ठीक से खाना नहीं खाया है, वे कुपोषित हैं। हमें इसे ठीक करना होगा। अगर ऐसा होना है, तो एकता और राष्‍ट्र निर्माण की दिशा में एक सामूहिक प्रयास करना होगा। मैं आपमें से हर एक से विनती करता हूं कि इस 72वें स्‍वतंत्रता दिवस पर हमें यह सुनिश्चित करने के लिए खुद को प्रतिबद्ध करना होगा कि जिन बदनसीब लोगों को इस देश में मूलभूत पोषण भी नहीं मिल रहा है, उनके लिए हमें अगले पांच से दस सालों में यह स्थिति बदलनी ही होगी।