रूद्र की हुंकार

भरी जब पहली हुंकार आपने
आपकी रिक्तता से निकल आईं
कई आकाश गंगाएं
यहां हम चीखते चिल्लाते हैं
मिटाने को आपनी घुटन और बाधाएं

एक ही हुंकार में आपने
रच डाली अपनी असीम सृष्टि
चीखतें हैं हम आश लिए
मिटे हमारी यह निर्जीव सृष्टि

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उम्मीद है हमारी यह गर्जना
आपकी प्रबल हुंकार के साथ गूंजेगी

तारतार किए ध्वनि के तारों को हमने,
खोल दिए हैं परम के द्वार हमने

सुर हमारी हर निर्बल ध्वनि का,
हो आपकी हुंकार के सुर में
यही ख्वाहिश, यही है आरजू हमारी।

Love & Grace

यह कविता तब लिखी गई थी, जब भाव स्पंदन में प्रचंड गर्जन का दौर चल रहा था।