सद्‌गुरुइस बार के स्पॉट में सद्‌गुरु दुनिया को प्रतिष्ठित करने के तीन बुनियादी तरीके बता रहे हैं जिससे दुनिया को बदला जा सकता है। तो क्या हैं वे तरीके?


क्या है प्रतिष्ठित स्थान का महत्व?

हर बार मैं जब भी यात्रा करता हूं तो मेरा सारा कार्यक्रम बेहद भागदौड़ व व्यस्तता से भरा होता है। लेकिन जब भी मैं आश्रम वापस आता है तो मुझे हमेशा हैरानी होती है कि मैं यह जगह क्यों छोड़ता हूं। एक ऊर्जा से प्रतिष्ठित जगह पर रहने का यही मतलब है। एक प्रतिष्ठित स्थान इंसान के लिए क्या कर सकता है, इसे एक उदाहरण से समझाता हूं।

इस धरती की एक सिर्फ एक ही समस्या है कि यहां बहुत सारे अप्रिय लोग रहते हैं। वर्ना इस धरती की हर चीज बहुत शानदार है। अगर बड़े पैमाने पर लोग प्रतिष्ठित हो जाएं तो इससे दुनिया में बदलाव आ जाएगा।
गमले में लगे एक पौधे को देखिए, भले ही कितनी भी अच्छी तरह से उसे पोषित क्यों न किया जाए, वे सीमितता में बंधे होते हैं। अब अगर आप उसी पौधे को गमले से निकाल कर एक उर्वर भूमि में लगा देंगे तो वह पौधा खुशी से झूमने लगेगा। मैंने यह चीज कई बार देखी है और देख कर खुशी भी हुई है। पौधों के साथ कुछ ऐसा होता है, जो उनके अस्तित्व को पूरी तरह से बदल देता है। हालांकि अब वे पहले की तरह संरक्षित वातावरण में नहीं रहते और ना ही उन्हें उस तरह से पोषित किया जाता है, लेकिन बस सही तरह की जमीन मिलने और खुद को मनचाही सीमा तक बढ़ने व फलने फूलने की आजादी मिलने से हर चीज बदल जाती है। इसी तरह से इंसान को भी उसके शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक कल्याण के लिए एक खास तरह का परिवेश चाहिए। लेकिन अपने आंतरिक विकास के लिए आपको एक अलग तरह के परिवेश की जरूरत होती है।

खुद में संतुलन और परिपक्वता लाना बहुत जरुरी

यहां तक कि अगर आपके बाहरी हालात ऐसे हों, जो जीवन के हर पहलू के लिए सहायक हों, तब भी जीवन को सही मायने में खूबसूरती से जीने के लिए आपके बुनियादी अस्तित्व को परिपक्व होना चाहिए।

आपको सबसे पहले और सबसे ज्यादा जिस चीज पर ध्यान देने की जरूरत है, वह है खुद को परिपक्वता और संतुलन के एक खास स्तर तक ले जाने पर।
आप अपने जीवन के हर पहलू को - भोजन करने से लेकर अपने संबंधों तक और किसी भी दूसरे पहलू को आप या तो भद्दे या अव्यवस्थित तरीके से संभाल सकते हैं या फिर खूबसूरत और कलात्मक तरीके से संचालित कर सकते हैं। यह सब इस पर निर्भर नहीं करता कि आप कितना अच्छा व्यवहार दर्शाते हैं, बल्कि इस बात पर निर्भर करता हे कि एक प्राणी के तौर पर आप कितने परिपक्व हैं। आपको सबसे पहले और सबसे ज्यादा जिस चीज पर ध्यान देने की जरूरत है, वह है खुद को परिपक्वता और संतुलन के एक खास स्तर तक ले जाने पर। नतीजा होगा कि आप जो कुछ भी करेंगे, वह बिना किसी प्रयास या दिखावे के स्वाभाविक तौर पर गरिमापूर्ण और शानदार होगा।

दो ऊँचे ढाँचे पूरे विश्व को प्रतिष्ठित करने के लिए

जब हम इस दुनिया को ही ऊर्जा से प्रतिष्ठित करने की बात करते हैं तो उसके बुनियादी रूप से तीन तरीके हैं। एक तरीका तो यह है कि ऊर्जा के दो महत्वपूर्ण स्मारकीय ढांचे बनाए जाएं, जिसमें से एक उत्तरी गोलार्द्ध में हो और दूसरा दक्षिण गोलार्द्ध में हो, जिनमें धरती के बड़े हिस्से तक पहुंचने की शक्ति होगी। यह कैसे काम करेगा, इसे समझने के लिए हम एक तड़ित चालक का उदाहरण लेते हैं।

आज के दौर में मुझे नहीं लगता कि लोग हमें यह करने देंगे। इसके अलावा, इस ढांचे को बनाने में बहुत ज्यादा निवेश और सरकार की या विशाल पैमाने पर कॉर्पोरेट जगत की भागीदारी की जरूरत होगी।
तड़ित चालक ऊंचे भवनों पर लगाया जाना वाला धातु का एक संचालक होता है जो आसमानी बिजली से भवन की रक्षा करता है। मानलीजिए एक तड़ित चालक की पहुंच 15 डिग्री तक है। अगर आप इसे कम ऊंचाई पर स्थापित करते हैं तो यह एक छोटे से क्षेत्र में गिरने वाली बिजली को ही संभाल पाएगा। अगर उस परिधि के बाहर बिजली गिरती है तो यह भवन को नुकसान पहुंचाएगी ही। लेकिन आप इसी कोण पर रहते हुए एक बड़े क्षेत्र को सुरक्षित करना चाहते हैं तो इसे आपको कहीं ज्यादा ऊंचाई पर स्थापित करनी होगी। इसी तरह से अगर आप चाहते हैं कि ऊर्जा के स्मारक की पहुँच धरती के ज्यादा से ज्यादा हिस्से तक हो तो आपको एक विशालकाय ढांचा तैयार करना होग। आज के दौर में मुझे नहीं लगता कि लोग हमें यह करने देंगे। इसके अलावा, इस ढांचे को बनाने में बहुत ज्यादा निवेश और सरकार की या विशाल पैमाने पर कॉर्पोरेट जगत की भागीदारी की जरूरत होगी।

शक्तिशाली ऊर्जा रूपों का एक जाल

दुनिया को प्रतिष्ठित करने का दूसरा तरीका है कि शक्लिशाली ऊर्जा रूपों का एक जाल तैयार किया जाए, जिस तरह से यह भारत के कई हिस्सों में किया गया था। लेकिन फिर कुछ बाहरी ताकतों के चलते इसे मूर्तिपूजा करार देते हुए कुछ समय के लिए खारिज कर दिया गया था।

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केवल अभी हाल में ही लोगों ने इस ओर गौर करना शुरू किया कि अपने यहां प्राचीन काल में पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में बड़ी ही भौगोलिक परिशुद्धियों के साथ कई महत्वपूर्ण ऊर्जा केंद्र तैयार किए गए थे।
केवल अभी हाल में ही लोगों ने इस ओर गौर करना शुरू किया कि अपने यहां प्राचीन काल में पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में बड़ी ही भौगोलिक परिशुद्धियों के साथ कई महत्वपूर्ण ऊर्जा केंद्र तैयार किए गए थे। अगर आप उनकी स्थिति के अक्षांशों और देशांतरों पर गौर करेंगे तो आप पाएंगे कि वे पूरी तरह से संरेखित हैं। ये ऊर्जा केंद्र अलग-अलग समय में विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग योगियों द्वारा स्थापित किया गए थे। लेकिन चूंकि वे जानते थे कि यह सिस्टम कैसे काम करता है, इसलिए उनके द्वारा प्रतिष्ठित की गई संरचनाएं पूरी तरह से संरेखित रहीं। इस तरह ऊर्जा का ग्रिड यानी जाल तैयार करना पूरे इलाके को बड़े स्तर पर प्रभावित करेगा।

तीसरा तरीका - लोगों को प्रतिष्ठित करना

एक और तरीका है - और वह है लोगों को प्रतिष्ठित करना। हालांकि यह तरीका अपने आप में सबसे आसान है, लेकिन इसमें सिर्फ एक ही समस्या है कि लोग उतने भरोसमंद और दृढ़ नहीं है, जितनी कि एक चट्टान।

हम लोगों को जो शांभवी महामुद्रा भेंट करते हैं, वह सिर्फ एक अभ्यास भर नहीं है बल्कि अपने आप में प्रतिष्ठा है। अगर आप इसका अभ्यास करते रहेंगे तो आपके किए बिना चीजें आपके साथ घटित होती रहेंगी।
इंसानों के साथ सबसे बड़ी समस्या यही है कि वे यह नहीं जानते है कि उनके साथ मस्तिष्कीय विकास की जो हालिया घटना हुई हैं, उसे वे कैसे संभालें। जैसे अपने हाथ को अपने नए मोबाइल फोन से दूर नहीं रखना वे नहीं जानते। प्रथ्वी पर प्राणियों के विकासक्रम में उनका मस्तिष्कीय विकास अपेक्षाकृत नया है। लोग नहीं जानते कि अपने विचारों और भावनाओं को कैसे संभालें। चूंकि अभी लोग अपनी ही मेधा को संभालने की स्थिति में नहीं पहुँचे हैं, इसलिए वे सुस्थिर नहीं हो पा रहे हैं। हम लोगों को जो शांभवी महामुद्रा भेंट करते हैं, वह सिर्फ एक अभ्यास भर नहीं है बल्कि अपने आप में प्रतिष्ठा है। अगर आप इसका अभ्यास करते रहेंगे तो आपके किए बिना चीजें आपके साथ घटित होती रहेंगी।

हो सभी को अहसास - कि भीतर ही है आनंद

चूंकि हमारे जीवन में समय सीमित है, इसलिए मैं दोनों ही काम कर रहा हूं - प्रतिष्ठित ऊर्जा संरचना का निर्माण करने के साथ-साथ लोगों को भी प्रतिष्ठित कर रहा हूं। लेकिन आज के दौर में सबसे बेहतर संभावना यही है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रतिष्ठित किया जाए। हमें दुनियाभर में प्रतिष्ठित लोगों की इतनी संख्या तैयार करनी है, जिससे लोग यह देख सकें कि प्रतिष्ठित स्थिति, अस्तित्व में होने की सर्वश्रेष्ठ स्थिति है।

हमें दुनियाभर में प्रतिष्ठित लोगों की इतनी संख्या तैयार करनी है, जिससे लोग यह देख सकें कि प्रतिष्ठित स्थिति, अस्तित्व में होने की सर्वश्रेष्ठ स्थिति है।
हर इंसान को इस बात का अहसास होना चाहिए कि सबसे बड़ा आनंद नशा, कामवासना या दूसरे उपभोगों में नहीं, बल्कि अपने भीतर की ओर मुड़ने में है। अगर हम लोग ऐसा इको सिस्टम और परिवेश तैयार कर लेंगे तो लोग मन भटकाने वाली ऐसी सारी दूसरी चीजों को, पीछे ले जाने वाले कदम की तरह देखने लगेंगे। इंसानी आकांक्षा हमेशा पहले से बेहतर होने की होती है। आध्यात्मिक प्रक्रिया का मतलब ही सत्य की खोज में रहना और जीवन के परम सत्य या आयाम को जानने की चाहत है। इस प्रक्रिया का मुख्यधारा का हिस्सा बनना अभी बाकी है। फिलहाल यह अभी भी एक गौण तत्व है। अगर आप इस गौण चीज़ यानि आध्यात्मिक प्रक्रिया पर लंबे समय तक अटके रहेंगे, तो दूसरे लोग आपका मजाक बना सकते हैं। और अगर आपमें किसी भी हाल में वहां बने रहने का धैर्य या सहनशक्ति नहीं है, तो आप आज की मुख्यधारा यानि मन भटकाने वाली चीज़ों में वापस जाना चाहने लगेंगे।

वास्तविकता की सही समझ

कई लोग मुझसे कहते हैं, ‘ सद्‌गुरु, वैसे तो यह अपने आप में शानदार है, लेकिन जब मैं अपनी वास्तविक जिदंगी में जाता हूं तो...।’ इस पर मेरा जवाब होता है, ‘तो क्या यह वास्तविक नहीं है? क्या मैं वास्तविक नहीं हूं?’ उन्हें लगता है कि जो कुछ उनके काम करने की जगह, ऑफिस, घर या बार में हो रहा है, केवल वही हकीकत है। ये सारी तो व्यवस्थाएं हैं। देखिए, जीवन का स्रोत तो आपके भीतर है, और वही वास्तविक है।

जब आप अपनी सभी बाध्याताओं से ऊपर उठकर वास्तविक रूप से चेतन होंगे, तभी आप एक असाधारण इंसान बन पाएंगे।
वास्तविकता केवल एक है, सत्य केवल एक है। आप लाखों झूठ तैयार कर सकते हैं, लेकिन सच सिर्फ एक होता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम दुनिया के हर घर को, हर गांव को, हर शहर को मानव विकास की एक असाधारण या भव्य जगह बनाएं। आज की दुनिया में असाधारण या भव्य का मतलब कुछ-कुछ वेगास से है। आपको अपनी चकाचौंध से अंधा करने वाली चमक-दमक या अपनी बाध्याताओं के आगे परास्त हो जाने में कोई असाधारणता नहीं है। जब आप अपनी सभी बाध्याताओं से ऊपर उठकर वास्तविक रूप से चेतन होंगे, तभी आप एक असाधारण इंसान बन पाएंगे। जब आप अपने अस्तित्व की बाध्यकारी व चक्रीय प्रकृति से बाहर निकलेंगे, तभी जीवन असाधारण हो पाएगा।

घरों, शहरों और फिर लोगों को प्रतिष्ठित करना होगा

तो सवाल है कि इसके लिए जरूरी परिवेश तैयार करने के लिए हमें क्या करना चाहिए? पहली चीज तो हमें अपने घरों को प्रतिष्ठित करना होगा और अगर संभव हो सके तो शहरों को। हम लोग पूरी धरती को कब प्रतिष्ठित करेंगे? मैं उन लोगों में से नहीं हूं, जो सिर्फ ख्याली पुलाव पकाने में लगे रहते हैं। इसे कुछ हद तक साकार किया जा सकता है। जब भी संभव होता है हम भौतिक चीजों को प्रतिष्ठित करते हैं। महत्वपूर्ण है कि लोगों को प्रतिष्ठित किया जाए।

अगर बड़े पैमाने पर लोग प्रतिष्ठित हो जाएं तो इससे दुनिया में बदलाव आ जाएगा। फिलहाल हम अपने इनर इंजीनियरिंग कार्यक्रम के जरिए बुनियादी रूप से यही करने की कोशिश कर रहे हैं।
वही लोग माहौल बदलेंगे। अगर आप ऐसे इंसान बन गए, जो अपने चारों तरफ जीवन का उल्लास और समभाव बिखेरता हो तो यह दुनिया भी धीरे-धीरे ऐसी ही बन जाएगी। इस धरती की एक सिर्फ एक ही समस्या है कि यहां बहुत सारे अप्रिय लोग रहते हैं। वर्ना इस धरती की हर चीज बहुत शानदार है। अगर बड़े पैमाने पर लोग प्रतिष्ठित हो जाएं तो इससे दुनिया में बदलाव आ जाएगा। फिलहाल हम अपने इनर इंजीनियरिंग कार्यक्रम के जरिए बुनियादी रूप से यही करने की कोशिश कर रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि हर इंसान को एक जीवंत मंदिर में बदल दिया जाए। अगर यह हो जाता है तो दुनिया में बदलाव आएगा। हर पीढ़ी को अपने दौर को असाधारण बनाने के लिए मेहनत करनी होती है। यहां कोई एक ऐसा उपाय नहीं है, जो कर दिया जाए और वह हमेशा काम करता रहे। यह हमारा दौर है, इसलिए इसे असाधारण बनाना हमारी जिम्मेदारी है। आइए इसे साकार कर दिखाएं।

संपादक की टिप्पणी:

*कुछ योग प्रक्रियाएं जो आप कार्यक्रम में भाग ले कर सीख सकते हैं:

21 मिनट की शांभवी या सूर्य क्रिया

*सरल और असरदार ध्यान की प्रक्रियाएं जो आप घर बैठे सीख सकते हैं। ये प्रक्रियाएं निर्देशों सहित उपलब्ध है:

ईशा क्रिया परिचय, ईशा क्रिया ध्यान प्रक्रिया

नाड़ी शुद्धि, योग नमस्कार