मेरा राज़
इस हफ्ते के स्पॉट में सद्गुरु ने हमें अमेरिका से एक कविता भेजी है, जिसका शीर्षक है- ‘मेरा राज़‘। यह कविता उनके भीतर छिपी असीम करुणा की झलक देती है। "चलो तुम्हें बताऊँ अपना एक राज़, मेरे पास एक नहीं , दिल हैं दो...
ArticleMay 9, 2013
मेरा राज़
चलो तुम्हें बताऊँ अपना एक राज़
मेरे पास एक नहीं , दिल हैं दो
एक जो हमेशा रिसता है करुणा से
और दूसरा जो रहे हमेशा आनंद मगन
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एक भर उठता है करुणा से कीड़े के लिए
और दूसरा खुश होता है पंछी के लिए
दुख मनाता हूं हारने वाले के लिए
झूम उठता हूं विजयी के लिए
कीड़े-मकोड़े,
पशु- पंछी या इंसान और निःसंदेह
पेड़ -पौधों की मौत पर रोता हूं मैं
आनंदित होता हूं हर जीवन के लिए
आज से अनंत तक
Love & Grace