हम लोग महाभारत की तैयारियों में जुटे हैं। दो हफ्ते के भीतर हम इस महाकाव्य का मंचन करने जा रहे हैं। हाल ही में बने आदि योगी आलयम में इसका मंचन होगा। अमूमन ये कार्यक्रम काफी उल्लासपूर्ण और भव्य होते हैं। महाभारत का कार्यक्रम आठ दिनों तक चलेगा। पहले हमने ‘वैभव शिव’ किया था, जिसमें बताया गया कि कैसे शिव ने योग की शिक्षा दी। उसके बाद हमने ‘लीला’ का मंचन किया, जिसमें दिखाया गया कि कृष्ण ने योग की शिक्षा कैसे दी। इस बार हमने सोचा कि हम महाभारत का मंचन करें। आमतौर पर हम जो भी करते रहे हैं, यह उससे काफी अलग है।

आखिर महाभारत का महत्व क्या है? पहली बात तो यह कि इसे अगर कहानी की तरह देंखे तो यह एक अनूठी कहानी है। एक ऐसी कहानी है, जिसके भीतर एक और कहानी, उसके भीतर भी कहानी यानी कहानी दर कहानी.... यह दुनिया का सबसे लंबा महाकाव्य माना जाता है, इलियाड और ओडिसिया  को अगर मिला दिया जाए तो उससे भी तकरीबन दस गुना लंबा। दुनिया की किसी और कहानी में महाभारत जितने पात्र नहीं है और ऐसा भी नहीं कि इसमें पात्र आते और चले जाते हैं। इसमें हर पात्र अपना पूरा जीवन जीता है- जीवन से मृत्यु तक, इसलिए यह रचना अत्यंत जटिल है। अगर कोई एक कहानी बता सकती है कि मनुष्य वास्तव में कैसा प्राणी है तो वह महाभारत ही है। महाभारत अच्छे या बुरे की बात नहीं करता और न ही यह प्रेम या घृणा के बारे में बताता है, बल्कि यह जीवन की तमाम जटिलताओं को सामने लाता है। यह जीवन की हर तरह की भावनाएं और हर तरह के इंसानों व निचले दर्जे से लेकर उच्च दर्जे तक की बात करता है। इसमें हर स्तर की मानवीय चेतना का प्रतिनिधित्व मिलता है और हर दर्जे व कोटि का विकास और प्रगति दिखाई देती है। हम इन चीजों को आठ दिनों के भव्य मंचन द्वारा इस तरह से पेश करने की कोशिश करेंगे, ताकि यह हरेक के जीवन से जुड़ सके। यह सिर्फ किस्सागोई या कहानी सुनाना भर नहीं है, बल्कि यह ऐसा प्रदर्शन होगा, जिसमें विभिन्न तरह की कलाएं, संगीत, नृत्य व नाटक सभी का समावेश होगा।

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कथा की सबसे बड़ी खूबसूरती है कि अगर आप इसकी कहानी में शामिल हो गए या जुड़ गए तो आप जीवन के दर्द से गुजरे बिना ही पूरे जीवन का अनुभव ले सकते हैं। आप थिएटर में इसलिए बैठ पाते हैं, क्योंकि आप बिना किसी खतरे या जोखिम के जीवन के तमाम अनुभवों से सुरक्षित गुजर जाते हैं। अगर आप उन सारी चीजों को अपने जीवन में आजमाने की कोशिश करेंगे तो आप मौत के गले भी लग सकते हैं । इसलिए अगर आप महाभारत का रसास्वादन करें तो आप बिना घायल हुए हिंसा को अनुभव कर सकते हैं, जो कि बेहद महत्वपूर्ण है। चाहे आप पंसद करें या न करें, लेकिन मानव समाजों में हिंसा मौजूद रही है। बेहतर होगा कि हम यह समझें कि हिंसा होती क्यों है। अगर आप हिंसा के पीछे का कारण नहीं समझेंगे तो यह आपके कारण होगी। कृपया इसे समझने की कोशिश कीजिए। आप हिंसा से दूर रहने की कामना नहीं कर सकते।

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पहले मैं कई विश्व शांति सम्मेलनों में यह सोच कर भाग लिया करता था कि ये लोग कुछ न कुछ फायदे का काम तो जरूर करते होंगे। एक बार मैं एक ऐसे ही महत्वपूर्ण शांति सम्मेलन में भाग ले रहा था, जहां 42 नोबल पुरस्कार विजेता भी शामिल थे। मैंने इन लोगों को देखा, मुझे हर कोई बेहद व्याकुल और घबराया हुआ नजर आया। तब मेरे मन में ख्याल आया- ‘ये लोग दुनिया में शांति लाएंगे?’ इसलिए जब मेरी बोलने की बारी आई तो मैंने पूछा - ‘आप सब लोग दुनिया में शांति लाना चाहते हैं। मैं आपके जज्बे की कद्र करता हूं, लेकिन आप में से कितने ऐसे हैं, जो अपने दिल पर हाथ रखकर कह सकते हैं कि उनके जीवन जीवन में शांति हैं। कृपया मुझे बताइए कि क्या वाकई आपके जीवन में शांति है?’ उन्होंने जवाब दिया- ‘नहीं’। मैंने उसने पूछा - ‘तब आप इस दुनिया में कैसे शांति लांएगे, जब आपको ही नहीं पता कि इस दिमाग को कैसे शांत किया जाए या कैसे दिमागी सुकून लाया जाए। अगर आपको यही नहीं पता कि अपने एक जीवन में शांति कैसे लाई जाए तो दुनिया में आप शांति कैसे ला पांएगे? क्या यह आपके लिए मनोरंजन का कोई साधन है या फिर आप सिर्फ नोबल पुरस्कार पाने के लिए ये सब कर रहे हैं?’

सिर्फ आपके कामना करने भर से संसार में शांति नहीं आएगी। शांति तभी आएगी, जब आप अपने दिमाग में मौजूद हिंसा की प्रक्रिया को समझेंगे। अगर आप अपने जीवन में इन चीजों को उतारने या करने की कोशिश करेंगे तो उलझ कर रह जाएंगे। लेकिन एक कहानी में जबर्दस्त संभावनाएं होती हैं, एक ऐसी जगह, जहां आप कई चीजें कर सकते हैं, आप जीवन की तमाम परिस्थितियों से गुजर सकते हैं, इन प्रक्रियाओं में अटके बिना उनके अंदर व बाहर जा सकते हैं। अगर आप किसी थिएटर या सिनेमा में जाकर उसे देखें तो कोई और व्यक्ति आपकी तरफ से युद्ध करता है, कोई व्यक्ति आपके लिए प्यार करता है, कोई व्यक्ति आपकी तरफ से हर चीज से गुजरता है जबकि आप खुद अनछुए से इन सारी परिस्थितियों और अनुभवों से गुजर जाते हैं।

इसकी तैयारियों के सिलसिले में मुझे आश्रम में लगभग डेढ़ महीने रुकने का सुंदर मौका मिला। गुजरा वक्त काफी फलदायी रहा। चंद कविताओं का लिखना हुआ और कुछ पेंटिंगें भी बनीं। मुझे इस तरह का काम किए लंबा अर्सा बीत चुका था। छह साल पहले लीला की थी - फिलहाल मैं काफी उत्साहित हूं।
आगे जारी...

प्रेम व प्रसाद

ये दोनों ही प्राचीन यूनानी कवि होमर द्वारा लिखे महाकाव्य हैं, जो उन्होंने प्रख्यात ‘ट्राय के महायुद्ध’ की पृष्ठभूमि पर लिखे थे।

पेंटिंग-   कृष्ण और अर्जुन कुरुक्षेत्र में, 18-19वी सदी