सद्‌गुरु: योग इतना लोकप्रिय क्यों हो रहा है इसके कई कारण हैं। एक बात ये है कि इससे आप अपने बारे में बहुत सी मूल बातें जान जाते हैं। एक बार एक किंडरगार्टन स्कूल में एक शिक्षिका ने बच्चों से पूछा, "मैं अगर अपने सिर के बल खड़ी हो जाऊं तो आप लोग देखेंगे कि मेरा चेहरा लाल हो जायेगा क्योंकि शरीर का खून मेरे सिर में आ जायेगा। पर जब मैं अपने पैरों पर खड़ी होती हूँ तो ऐसा नहीं होता, बताओ क्यों"? एक छोटा बच्चा बोला, "क्योंकि पैर खाली नहीं हैं"!

आप का शरीर एक बैरोमीटर( हवा का दबाव मापने का यंत्र) जैसा है। अगर आप जानते हैं कि इसे कैसे देखना है तो ये आप को आप के बारे में सब कुछ बतायेगा। आप अपने बारे में जो कल्पनायें करते हैं, वह नहीं, आप के बारे में जो सच है वो। आप का मन अत्यंत धोखेबाज़ है। ये हर दिन आप को आप के बारे में कुछ नया बताता है। अगर आप अपने शरीर को पढ़ना जानते हैं, उसे पहचानते हैं, तो ये आप को वही बतायेगा जो है, सच है, एक प्रकार से आप का भूतकाल, वर्तमान औरभविष्य। यही कारण है कि मूल रूप से योग शरीर के साथ शुरू होता है।

बहुत सी अन्य बातें बदलते फैशन के साथ आती हैं और जाती हैं लेकिन योग हज़ारों वर्षों से वैसा ही रहा है और आज भी गति पकड़ रहा है। यद्यपि ये बहुत ही मौलिक ढंग से बताया, सिखाया जाता है और कई बार विकृत रूप से भी, पर ये फिर भी टिका हुआ है। योग ही एक ऐसी व्यवस्था है जो 15000 से भी ज्यादा वर्षों से, बिना किसी धर्मगुरु के आश्रय या बिना किसी के द्वारा बलपूर्वक लागू किये बिना जीवित है, टिकी हुई है। मानवता के इतिहास में ऐसा कहीं भी, कभी भी नहीं हुआ है कि किसी ने किसी के गले पर तलवार रख कर कहा हो, " तुमको योग करना ही पड़ेगा"। ये इसलिये टिका हुआ है और जीवित है क्योंकि योग खुशहाली लाने की प्रक्रिया की तरह काम करता है, और कुछ भी नहीं।

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दूसरी बात ये है कि सारी दुनिया में सामान्य रूप से लोग -- छोटे, बड़े, जवान, बूढ़े सभी -- इतने ज्यादा तनावग्रस्त हैं, जैसे पहले कभी नहीं थे। लोग चिंतातुर हैं और दिमागी रूप से परेशान भी। अपनी आंतरिक शांति को संभालने के लिये वे चाहे जो अन्य उपाय करें - डिस्को में जायें या लंबी ड्राइव पर या फिर पहाड़ों पर चढ़ें, उनसे बस थोड़ा बहुत ही लाभ हुआ है पर समस्या का निदान नहीं मिला है। तो योग की ओर मुड़ना लोगों के लिये स्वाभाविक ही है।

इसकी लोकप्रियता का एक और कारण ये भी है कि अब शिक्षण का स्तर भी बड़ा हो गया है। पहले किसी भी समय के मुकाबले आज धरती पर ज्यादा बुद्धिमत्ता है। तो स्वाभाविक रूप से जैसे जैसे बुद्धिमत्ता ज्यादा मजबूत होती जा रही है, लोगों को हर चीज़ के लिये तार्किक समाधान चाहिये। जितने ज्यादा वे तार्किक होते जाते हैं, उतने ही ज्यादा विज्ञान पर निर्भर होते जाते हैं और विज्ञान का परिणाम है तकनीक। जैसेजैसे बुद्धिमत्ता की गतिविधि दुनिया में ज्यादा मजबूत हो रही है, और अधिक लोग अगले कुछ समय में योग की ओर बढ़ेंगे और खुशहाली पाने का ये सबसे ज्यादा लोकप्रिय तरीका बन जायेगा।

 

योग कोई व्यायाम नहीं है

आजकल जिस प्रकार से दुनिया में अधिकतर स्थानों पर योग किया जा रहा है वह एक मृत बच्चे के जन्म जैसा है। मृत बच्चे को जन्म देने की अपेक्षा गर्भवती न होना बेहतर है, है कि नहीं ? आप अगर सिक्स ऐब्स या कुछ भी ऐसा चाहते हैं तो मैं कहूंगा कि आप जा कर टेनिस खेलिये या पहाड़ों पर चढ़िये। योग कोई व्यायाम नहीं है, इसके कई और आयाम हैं। शरीर को चुस्त, दुरुस्त रखने का एक अलग आयाम अवश्य है, आप इससे स्वास्थ्य भी प्राप्त कर सकते हैं पर ये सिक्स ऐब्स के लिये नहीं है।

पश्चिम में प्रवेश लेने के 20 साल बाद,अब, जबकि योग लोकप्रिय होता जा रहा है, तब मेडिकल वैज्ञानिक अब आगे आ रहे हैं, अध्ययन कर रहे हैं और कह रहे हैं, "योग से फायदे हैं"। यद्यपि योग बहुत सी जगह पर गलत, व्यर्थ तरीकों से सिखाया जाता है, फिर भी सारे संसार में इसके स्वास्थ्य संबंधी फायदों को कोई नकार नहीं सकता। लेकिन यदि योग को गलत ढंग से, विकृत रुप में पढ़ाने का क्रम चलता रहा, बढ़ता रहा तो 10 से 15 वर्षों के समय में वैज्ञानिक अध्ययन स्पष्ट रूप से आप को बतायेंगे कि कितने ही तरीकों से ये मनुष्यों के लिये नुकसानदेह है, और ये योग का पतन होगा।

यह आवश्यक है कि योग का अभ्यास सूक्ष्म,सरल, नर्म ढंग से, बिना बल प्रयोग के,किया जाये, जबरदस्ती मांसपेशियां बनाने, बढ़ाने के लिये नहीं, क्योंकि ये व्यायाम नहीं है।भौतिक शरीर के पास एक पूर्ण यादों, स्मृतियों की संरचना है। अगर आप इस भौतिक शरीर को पढ़ने, समझने के लिये तैयार हैं तो सब कुछ - कैसे इसब्रह्मांड का शून्य से अब तक विकास हुआ - ये सब इस शरीर में लिखा हुआ है। योग एक तरीका है जिससे इस याददाश्त को, इन स्मृतियों को खोला जाये और इस जीवन की, अंतिम संभावना की ओर बढ़ने के लिये, पुनर्रचना की जाये। ये एक बहुत सूक्ष्म और वैज्ञानिक प्रक्रिया है।