आप ज्यादातर ऐसे लोगों को दोस्त बनाते हैं जो आपके सोचने, महसूस करने और समझने के तरीकों का, आपकी पसंद और नापसंद का समर्थन करते हैं। आपने खुद को जैसा बनाया है, उसके लिए बस आपको बस सपोर्ट की तलाश होती है।

एक बार सर्दियों में एक नन्हीं सी चिड़िया ने मौसम का कुछ ज्यादा आनंद उठा लिया और दक्षिण की ओर अपनी यात्रा की शुरुआत में देर कर दी। उसने भीषण सर्दियों में शुरुआत की और उड़ने की कोशिश की मगर वह ठंड से जम गई और गिर पड़ी। उसी रास्ते से एक गाय गुज़र रही थी और उसने ढेर सारा गोबर कर दिया। गोबर ठीक उस चिड़िया के ऊपर पड़ा और उसे पूरी तरह ढक दिया। गोबर की गर्माहट ने धीरे-धीरे चिड़िया को गर्मी पहुंचाई और वह स्वस्थ महसूस करने लगी और खुशी से चहचहाने लगी।

एक बिल्ली भी उस रास्ते से जा रही थी। उसने चहचहाहट सुनी, चारो ओर देखा तो पता चला कि आवाज़ गोबर के अंदर से आ रही है। उसने गोबर को दूर हटाया, चिड़िया को गोबर से बाहर निकाला और उसे खा गई। तो, जो भी आपको गंदगी से ढक देता है, वह जरूरी नहीं है कि आपका दुश्मन हो। और जो भी आपको गंदगी से बाहर निकाले, वह जरूरी नहीं है कि आपका दोस्त ही हो। और सबसे बढ़कर, जब आप गंदगी के ढेर में हों तो अपना मुंह बंद रखना सीखें।

लोगों के बीच बुरा बनने के लिए तैयार होना होगा

अगर आप किसी के दोस्त हैं, तो आपको हर समय उनकी गलतियां निकालने, उन्हें कुरेदने की जरूरत नहीं है, मुद्दा यह नहीं है। मगर साथ ही, आपके अंदर लोगों के बीच अलोकप्रिय होने(बुरा बनना) का साहस भी होना चाहिए। लोगों के साथ लोकप्रिय होने की कवायद में, अपने आस-पास सुखद माहौल बनाए रखने की कोशिश में, देखिए आपने अपने अंदर कितनी अप्रियता दबा रखी है।

सच्चा दोस्त वह है जिसमें आपको बताने का साहस है कि आप कितने बकवास हैं और फिर भी आपके लिए उसका प्रेम और अच्छाई कायम रहे – यही दोस्ती है!

अगर आप अप्रियता को दबाते हैं, अगर आप मिट्टी में अप्रियता के बीज डालते हैं, तो आपको अप्रियता के ही फल मिलेंगे। अगर कोई वाकई आपका दोस्त है, तो आपके अंदर उसे नाराज़ करने का साहस होना चाहिए, और फिर भी उसके प्रति प्रेम और सद्भाव(मिठास का भाव) होना चाहिए। फिलहाल, आपकी दोस्तियां हमेशा सहमति, पसंद-नापसंद पर बनती हैं। लेकिन चाहे आप सेब और संतरे की तरह भिन्न हों, फिर भी आप अच्छे दोस्त हो सकते हैं। सच्चा दोस्त वह है जिसमें आपको बताने का साहस है कि आप कितने बकवास हैं और फिर भी आपके लिए उसका प्रेम और अच्छाई कायम रहे – यही दोस्ती है!

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एक दिन, अमेरिकी सेना के तीन जनरल मिले। वे अपनी टुकड़ियों के साथ ग्रैंड कैन्यन घाटी की यात्रा पर थे। पहला जनरल अपने बटालियन में साहस और आज्ञापालन की भावना के बारे में डींग मारना चाहता था, तो वह बोला, ‘मेरे बटालियन जैसा कोई दूसरा नहीं है। यहाँ साहस और आज्ञा पालन का स्तर बहुत ऊंचा है। असली साहस। मैं एक उदाहरण दिखाता हूं।’ उसने कड़क आवाज़ में बुलाया, ‘प्राइवेट पीटर!’

प्राइवेट पीटर दौड़ता हुआ आया, ‘येस, सर।’

‘तुम इसे देख रहे हो!,’ जनरल ने ग्रैंड कैन्यन की ओर इशारा किया। ‘मैं चाहता हूं कि तुम अभी कैन्यन के ऊपर से छलांग लगाओ।’

वह आदमी पूरी तेज़ी से दौड़ा और छलांग मारी। निश्चित रूप से आप समझ गए होंगे कि वह कहां गिरा होगा। फिर दूसरा जनरल हंसते हुए बोला, ‘यह तो कुछ भी नहीं है। यह देखो।’ उसने पुकारा, ‘ट्रूपर हिगेंस!’ ‘येस सर!’ ट्रूपर हिगेंस पहुंचा।

‘यह इमरजेंसी है। मैं चाहता हूं कि तुम उड़कर खाई के पार जाओ और वहां मेरे अधिकारी को इसकी सूचना दो।’ उस आदमी ने अपने हाथ फड़फड़ाए, और फिर आप जानते हैं कि क्या हुआ होगा।

तीसरा जनरल चुपचाप रहा। बाकी दोनों ने उसे कुरेदा, ‘तुम्हारी बटालियन का क्या?’ और वे हंसने लगे, ‘कोई साहस नहीं।’

जनरल के कुछ जवान इधर-उधर घूम रहे थे, तो उसने बुलाया, ‘अरे सुनो।’ एक आया। जनरल ने कहा, ‘वहां नीचे देखो,’ और उसने एक बलखाती, तेज़ बहती धारा की ओर इशारा किया, जो एक ऊंचे प्रपात(वॉटरफॉल) से सिर्फ दो सौ मीटर दूर था। वह बोला, ‘मैं चाहता हूं कि तुम यह छोटी केनो(लम्बी पतली नाव) लेकर जाओ और नदी पार करो।’

जवान ने नीचे देखा और वह बोला, ‘जनरल, लगता है कि आप फिर से व्हिस्की पीने लगे हैं। मैं ऐसी बेवकूफाना चीज़ नहीं करने वाला।’

जनरल ने बाकियों की ओर मुड़कर कहा, ‘देखो, यह है सच्चा साहस।’

ये देखें कि आपके दोस्त के लिए क्या अच्छा है

अपनी दोस्ती में थोड़ा और साहस दिखाएं। उन्हें खोने को तैयार रहें, ऐसा करना ठीक है। कम से कम अगर आपको उनकी परवाह है तो आपको वह करना चाहिए जो आपके लिए नहीं, दूसरे के लिए अच्छा है।

आपका दोस्त भी इतना ही अव्यवस्थित(खोया हुआ) है, जितने कि आप, लेकिन अगर दो लोग एक-दूसरे के साथ सच्चाई रखते हैं, तो वे दोस्त बन जाते हैं।

मैं एक डॉक्टर को जानता था, जो बीयर पीता था। जब मैं उससे मिला, तो वह करीब सत्तर साल का था – बड़ी तोंद वाला लंबा-चौड़ा आदमी। कुछ समय पहले वह अक्सर अपने एक दोस्त से मिलने जाता था। जब भी वह जाता, तो उसका दोस्त बीयर परोसता और दोनों बैठकर पीते। उनके पास जब भी समय होता, तो कभी उसका दोस्त आ जाता या कभी यह चला जाता।

अचानक एक दिन, दोस्त किसी गुरु से मिला और उसने आध्यात्मिक क्रियाएं शुरू कीं, बीयर पीना छोड़ दिया। डॉक्टर ने मुझे बहुत विस्तार से यह कहानी सुनाई और कहा कि यह एक बढ़िया दोस्ती का अंत था। उसके बाद इसने कभी अपने दोस्त के घर नहीं जाना चाहा, क्योंकि दोस्त ने बीयर पिलाना छोड़ दिया था। ढेर सारे लोगों की दोस्ती इसी तरह खत्म हो जाती हैं। जब तक कोई चीज चलती रहती है, वह कायम रहती है। उसके जाने के साथ ही, सब कुछ खत्म हो जाता है।

अगर आपके जीवन में कोई सच्चा दोस्त नहीं है, तो आप कुछ मिस कर रहे हैं। आखिरकार, एक दोस्त क्या होता है? एक दोस्त आपकी तरह ही एक कन्फ़्यूज़्ड इंसान है। दोस्त का मतलब यह नहीं है कि वह एक परफेक्ट इंसान है। बात बस इतनी है कि जब दो लोग आपस में इतने सहज होते हैं कि कम से कम एक दूसरे से सच्चाई से मिल सकें, तो वे दोस्त बनते हैं। आपका दोस्त भी इतना ही अव्यवस्थित(खोया हुआ) है, जितने कि आप, लेकिन अगर दो लोग एक-दूसरे के साथ सच्चाई रखते हैं, तो वे दोस्त बन जाते हैं। आपके सिर्फ एक नहीं, ढेर सारे सच्चे दोस्त होंगे। अगर आपका एक भी दोस्त नहीं है, तो बेहतर है कि अब आप अपने जीवन के बारे में कुछ सोचें।

संपादक का नोट : चाहे आप एक विवादास्पद प्रश्न से जूझ रहे हों, एक गलत माने जाने वाले विषय के बारे में परेशान महसूस कर रहे हों, या आपके भीतर ऐसा प्रश्न हो जिसका कोई भी जवाब देने को तैयार न हो, उस प्रश्न को पूछने का यही मौक़ा है! - unplugwithsadhguru.org