सद्गुरु : अभी हाल ही में, एक महिला मुझे बता रही थी कि कैसे वह कुछ खास ऊर्जाओं को महसूस कर पाती है और कैसे अलग अलग लोग, विभिन्न प्रकार के रूप और कई ख़ास स्थान आप पर प्रभाव डालते हैं। प्राण-प्रतिष्ठा का विज्ञान भी बस यही है। प्राण-प्रतिष्ठा करने के लिये सबसे अच्छी सामग्री तो मनुष्य ही है क्योंकि इस धरती पर जीवन के जितने भी रूप हैं, उन सब में वही सर्वाधिक विकसित है। मनुष्य ही सबसे ज्यादा आसानी से प्राण-प्रतिष्ठित किया जा सकता है लेकिन मनुष्यों के साथ समस्या ये है कि हर कुछ मिनटों में वे यू-टर्न ले लेते हैं। आप उन्हें अभी प्राण-प्रतिष्ठित कर सकते हैं पर कल सुबह वे कैसे होंगे, ये हमें नहीं मालूम। तो सबसे बड़ा मुद्दा खास तौर पर आज की दुनिया में ये है कि जो उन्हें आज दिया जा रहा है, क्या वे उसके साथ पूरी तरह से प्रतिबद्ध होंगे? इसी कारण हम अन्य रूपों को प्राण-प्रतिष्ठित करते हैं।

वह जो मापा नहीं जा सकता 
पर जाना जा सकता है :

आज, आधुनिक विज्ञान अब भी भौतिक वस्तुओं का ही अध्ययन कर रहा है। आप में जो भी भौतिक है, वह सब बाहर से इकट्ठा किया गया है। आप जिसे 'मेरा शरीर' कहते हैं वो तो इस धरती का बस एक टुकड़ा है। आप ने इसको उस भोजन से एकत्रित किया है जो आप खाते आये हैं। आप में जो भी भौतिक है, उसे बस आप ने बाहर से इकट्ठा किया है तो फिर वो आप तो नहीं हो सकते। आप क्या हैं? निश्चित रूप से भौतिकता से परे भी कोई आयाम है। आप अगर उसे अनदेखा करेंगे, तो कोई जीवन ही नहीं होगा। लेकिन अभी तो परिस्थिति ये है कि मानवीय तर्क बुद्धि, जो अपने आप को वैज्ञानिक मानती है, अभी उस स्तर पर है, जहाँ वो ये निष्कर्ष निकालती है कि जो उपकरणों से मापा न जा सके, उसका अस्तित्व ही नहीं है। इस तरह देखें तो अभी आप सबका कोई अस्तित्व नहीं है क्योंकि आप को मापा नहीं जा सकता। 

अगर आप ये सोचते हैं कि क्योंकि आप को मापा नहीं जा सकता, आप का अस्तित्व ही नहीं है, तो आप कैसा महान निष्कर्ष निकाल रहे हैं?

Subscribe

Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox.

मेरे साथ एक बार कुछ ऐसा हुआ था। अब मैं इस तरह की अपमानजनक बातों से दूर रहता हूँ, लेकिन बहुत पहले, किसी बाध्यता के करण मुझे एक ऐसे संस्थान में जाना पड़ा। वे बोले, "हम आप की गामा तरंगों को नापना चाहते हैं"। मैं ये नहीं जानता था कि मेरे पास गामा तरंगें हैं। वे बोले, "नहीं, गामा तरंगें आप के मस्तिष्क में हैं, हम उन्हें नापेंगे"। उन्होंने मेरे शरीर में 14 इलेक्ट्रोड्स लगाये और फिर  कहा, "आप ध्यान कीजिये"। मैंने उत्तर दिया, " मैं नहीं जानता, ध्यान कैसे किया जाता है"। वे चौंके और बोले, "आप तो सब को ध्यान करना सिखाते हैं"। मैंने कहा, "मैं ऐसा इसलिये करता हूँ क्योंकि वे स्थिर बैठना नहीं जानते। अगर आप चाहते हैं तो मैं स्थिर बैठ सकता हूँ"। उनकी समस्या ये थी कि वे बस एक नाम और एक प्रक्रिया चाहते थे जिसके परिणाम को वे नाप सकें। 

मैं उन्हें ऐसी कोई खुशी देना नहीं चाहता था, तो मैं बस चुपचाप बैठा रहा। लगभग 20 मिनट बाद वे किसी धातु की वस्तु से मेरी कोहनी के उस भाग पर मार रहे थे जहाँ सबसे ज्यादा दर्द होता है। मैं समझा कि ये भी उनके प्रयोग का कोई भाग है, तो मैं बैठा रहा। फिर उन्होंने मेरे टखनों और घुटनों पर मारना शुरू किया और लगातार मारते रहे। जब मुझे बहुत ज्यादा दर्द होने लगा तो मैंने आँखें खोलीं और पूछा, "क्या मैं कुछ गलत कर रहा हूँ, आप मुझे मार क्यों रहे हैं" ? वे बोले, "हमारे यंत्रों के अनुसार आप मृत हैं"। मैंने कहा, "ये तो एक अद्भुत आंकलन है"। तो उन्होंने सोचा और कहा, "नहीं, ऐसा लगता है कि आप का मस्तिष्क मृत है"। मैने कहा, "मैं पहले अनुमान के साथ जाऊंगा, ‘मैं मर गया हूँ’ मेरे लिए ठीक है, पर अगर आप मुझे ‘मृत मस्तिष्क’ वाला प्रमाण पत्र देंगे तो ये कोई अच्छी बात नहीं होगी"।

मेरे कहने का मतलब ये है कि मूल रूप से आप जो जीवन हैं, क्या आप सोचते हैं कि इसे किसी यंत्र से मापा जा सकता है? हम सिर्फ भौतिक प्रक्रिया को नाप सकते हैं, है कि नहीं? और ये तो आप जानते ही हैं कि आप के पास जो कुछ भी भौतिक है, वह सब बाहर का है, इस धरती का एक हिस्सा है। ये आप का नहीं है। अब, अगर आप ये सोचते हैं कि क्योंकि आप को मापा नहीं जा सकता, इसलिए आप का अस्तित्व ही नहीं है, तो आप कैसा महान निष्कर्ष निकाल रहे हैं?

तो प्रतिष्ठा ऊर्जा का वह आयाम है जो स्वभाव से भौतिक नहीं है पर यह एक सघन जीवन है। प्रतिष्ठा, एक अत्यंत सघन जीवन प्रक्रिया का निर्माण करने का एक तरीका है। कुछ खास संस्कृतियों में, विशेषकर भारत में, एक समय था, जब हर गली, हर रास्ता प्रतिष्ठित हुआ करता था। आज भी यहाँ बहुत से ऐसे अद्भुत स्थान हैं जो प्राण-प्रतिष्ठित किये गये हैं। आप को वहाँ जा कर इनका अनुभव लेना चाहिये। अगर आप किसी भी स्थान पर जाते हैं तो आप जान सकते हैं कि वह स्थान कितना जीवंत या निष्प्राण है? क्या ये किसी चीज़ से नापा जा सकता है? नहीं! सिर्फ जीवन ही जीवन को जान सकता है। जब कोई जीवन किसी जीवन से मिलता है, तो ये जान जाता है। जब कोई जीवन मृत्यु से मिलता है तब भी ये जान जाता है। क्या इसे नापने के लिये कोई यंत्र या उपकरण है?नहीं। क्योंकि आप के सभी यंत्र सिर्फ भौतिक क्रियाओं को ही नाप सकते हैं। 

प्राण-प्रतिष्ठितस्थानों पर रहना

हर दिन आप के गाल प्रेम, खुशी और परमानंद के आंसुओं से धुलने चाहियें।
   यदि ऐसा नहीं हो रहा, तो आप अभी तक जी ही नहीं रहे।

प्राण-प्रतिष्ठा एक सघन जीवन प्रक्रिया है, किसी भी मनुष्य को ऐसे स्थान पर नहीं रहना चाहिये जो प्रतिष्ठित नहीं है। अगर आप को मानवता की परवाह है, विशेष रूप से 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की, तो आप को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे कुछ खास समय प्रतिष्ठित स्थानों पर अवश्य बितायें। मेरा विश्वास कीजिये, अगर आप ऐसा करेंगे तो उन्हें किशोरावस्था की कोई समस्या नहीं होंगीं। अभी तो स्थिति ये है कि अगर आप एक शिशु हैं तो डायपर समस्या है, एक छोटे बच्चे हैं तो भाग जाने की समस्या है, किशोर उम्र के हैं तो कोई और समस्या, मध्यम उम्र में हमेशा ही विपत्ति, बूढें हैं तो भयंकर समस्यायें। तो फिर आप जियेंगे कब ? आप सारी जीवन प्रक्रिया को बस एक समस्या की तरह देख रहे हैं। आप इसे समस्या बना रहे हैं क्योंकि आप जीवन को अपनी बुद्धिमत्ता में बैठाने की कोशिश कर रहे हैं। नहीं, वास्तव में आप की बुद्धिमत्ता जीवन में सही तरह से बैठती है लेकिन अगर आप जीवन को बुद्धिमत्ता में बैठाने का प्रयास करेंगे तो ये काम नहीं करने वाला। 

प्रतिष्ठा एक आयाम है, एक विज्ञान और एक तकनीक है जिससे आप जीवन को कुछ इस तरह से केंद्रित करते हैं कि आप की सारी ऊर्जा प्रणाली एक विस्फोटक रूप में बाहर आती है। हमने ऐसे स्थान बनाये हैं। अगर लोग बस वहाँ जायें, तो सिर्फ वहाँ की तीव्रता के कारण, आंसू बहने लगते हैं। उन्हें पता नहीं, ऐसा क्यों होता है? हर दिन, आप के गाल प्रेम, खुशी और परमानंद के आंसुओं से धुलने चाहियें, अगर ऐसा नहीं हो रहा, तो आप अभी तक जी ही नहीं रहे!

Yantra 2019

 

Editor's note: The next Yantra Ceremony will be held at Isha Yoga Center on July 31, 2019. You will be initiated into a powerful process and receive the Yantra in Sadhguru's presence. For more details, click here or call 844 844 7708.